LAC पर चीन की चालबाजी जारी है. बातचीत के जरिए विवाद का समाधान निकालने की बात करने वाली चीन की सेना अब भी लद्दाख में फिक्शन प्वाइंट से पीछे हटने के संकेत नहीं दिखा रही है. सरकार ने भी स्पष्ट किया कि यह एक अस्थायी स्थिति है जब तक कि डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया समाप्त नहीं हो जाती.
कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर ये स्थिति लंबे समय तक जारी रहती है तो यह यथास्थिति को बदल सकती है. भारत और चीन के सैनिक अभी भी बस कुछ फासलों की दूरी हैं.
मेजर जनरल (रि.) अशोक मेहता कहते हैं कि डिसएंगेजमेंट डॉयलाग सिर्फ मिलिट्री कमांडर्स पर नहीं छोड़ देना चाहिए. उन्होंने कहा कि डिसएंगेजमेंट और डिएक्सलेशन आप मिलिट्री कमांडर्स पर नहीं छोड़ सकते. यह उच्च स्तरीय राजनीतिक वार्ता से होना चाहिए था, जहां पर पीछे हटने का फैसला लिया जाना था.
उन्होंने आगे कहा कि चीनी सैनिक ऐसी जगह बैठे हैं जहां पर लाभ वाली स्थिति में हैं. सेना के पूर्व अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल एसएल नरसिम्हन, जो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (एनएसएबी) के सदस्य हैं, ने उस दावे को खारिज किया जिसमें कहा गया कि एलएसी भारतीय क्षेत्र में 1 किमी है और इस धारणा को गलत तरीके से रखा गया है.
जनरल एसएल नरसिम्हन ने कहा कि डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया अभी पहले स्टेप पर है. ये जारी रहेगी. हम 1962 में 20 किमी पीछे हटने से सहमत नहीं थे तो अब क्यों सहमत होंगे.
वहीं, LAC पर सैनिकों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है. भारतीय सेना ने सर्दियों के लिए भी तैनाती की योजना शुरू कर दी. लगभग 45,000 से 50,000 सैनिकों की तैनाती होती है और सर्दी जब अपने चरम पर होती है तो उन्हें बनाए रखने के लिए व्यवस्था करनी पड़ती है. 14 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई वाली जगह के लिए तो अभी से ही तैयारी शुरू कर दी गई है.
पैंगोंग झील और हॉट स्प्रिंग-गोगरा क्षेत्र जो पैट्रोल प्वाइंट 17 ए का हिस्सा हैं, अभी भी अस्थिर हैं. सूत्रों ने कहा कि अभी भी चीनी सेना द्वारा फिंगर 8 और फिंगर 4 के बीच स्थापित किए गए ढांचे को ध्वस्त करने के कोई संकेत नहीं हैं. सूत्रों ने कहा कि नदी के तट पर दोनों ओर की सेनाओं के बीच की दूरी 4-5 किमी है.
चीनी सैनिक फिंगर 8 से फिंगर 4 में 8 किमी आ गए थे. भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को बनाए रखा है. 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे. हालांकि इसमें चीन को भी नुकसान हुआ था. लेकिन उसने कभी साफ नहीं किया कि उसके कितने सैनिक मारे गए हैं.
अभिषेक भल्ला