विकास दुबे एनकाउंटर: सुप्रीम कोर्ट की योगी सरकार को नसीहत- ऐसी घटना दोबारा न हो

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि वह सुनिश्चित करे कि राज्य में ऐसी घटना फिर से न हो. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने जांच समिति को भी अप्रूवल दिया.

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एनकाउंटर में मार गिराया गया था विकास दुबे (फाइल फोटो) एनकाउंटर में मार गिराया गया था विकास दुबे (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 8:13 PM IST

  • विकास दुबे एनकाउंटर मामले की कोर्ट में हुई सुनवाई
  • SC ने दो महीने के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा

गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि वह सुनिश्चित करे कि राज्य में ऐसी घटना फिर से न हो. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने जांच समिति को भी अप्रूवल दिया. विकास दुबे के एनकाउंटर की जांच करने वाली समिति में रिटायर्ड जस्टिस बीएस चौहान और यूपी के पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता को शामिल किया गया है.

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जांच कमेटी को दो महीने में रिपोर्ट सौंपनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने जांच कमीशन को एक हफ्ते में गठित करने को कहा है. सचिव और अन्य अधिकारी केंद्र सरकार मुहैया कराएगी. दो महीने में आयोग अपनी रिपोर्ट दाखिल करेगा. आयोग हर पहलू पर गंभीरता से जांच करेगा.

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इससे पहले यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि जांच समिति में जस्टिस बीएस चौहान और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता को शामिल किया जाएगा. जस्टिस चौहान ही समिति की अध्यक्षता भी करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इस जांच समिति को दो महीने में जांच पूरी करने का आदेश दिया है.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील घनश्याम उपाध्याय ने राज्य के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए. वकील ने कहा कि जस्टिस चौहान का नाम क्यों सुझाया गया है. हमने 12 जजों के नाम सुझाए थे. इस पर सीजेआई ने कहा कि हम जस्टिस की पसंद खोजने के लिए उन्हें दोष नहीं दे सकते.

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याचिकाकर्ता के वकील घनश्याम उपाध्याय ने कहा राज्य के अधिकारियों को कमेटी का हिस्सा नहीं होना चाहिए. समिति में केवल बाहर के लोग हों. इस पर सीजेआई ने कहा कि हैदराबाद मामले में यही समस्या थी, जो हम चाहते थे कि आयोग दिल्ली में बैठे, लेकिन हमने पाया कि सारे सबूत तेलंगाना में हैं. जब यूपी में सबूत हैं तो आयोग को दिल्ली में क्यों बैठना चाहिए?

'ऐसी घटना दोबारा न हो'

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि वह इस मामले से जुड़ी जांच को अगले एक हफ्ते में शुरू करें. 2 महीनों के भीतर इसकी रिपोर्ट सौंपी जाए. कोर्ट ने यूपी सरकार से ये भी कहा कि वह सुनिश्चित करे कि इस तरह की कोई भी घटना भविष्य में न हो.

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