दिल्लीः छवि सुधारने की कवायद

राष्ट्रमंडल खेलों के वक्त दागदार हुई दिल्ली की छवि सुधारने में लगी है प्रदेश सरकार. विकास की जगह फिलहाल रखरखाव को अहमियत दी जा रही है.

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सुधीर गोरे

  • नई दिल्ली,
  • 20 जनवरी 2012,
  • अपडेटेड 3:37 PM IST

नष्ट होकर बनना और बढ़ना दिल्ली की फितरत है. अतीत में दिल्ली सात बार उजड़ी, बनी और फिर आगे बढ़ी है. राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से दागदार हुई दिल्ली का कनॉट प्लेस इन दिनों ब्लॉक दर ब्लॉक सुधार कार्यों और पुनर्निमाण की प्रक्रिया से गुजर रहा है.

11 जनवरी 2012: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे

सीमेंट-सरिये के इस्तेमाल से उभरी नई परतें कई दाग-धब्बों को ढक रही हैं. बीते दिसंबर में राष्ट्रीय राजधानी के रूप में अपना 100वां जन्म दिन मनाने के बाद दिल्ली एक बार फिर भविष्य की ओर देख रही है.

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4 जनवरी 2012: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे

राष्ट्रमंडल खेलों के बाद दिल्ली में विकास कार्यों की गति धीमी जरूरी पड़ी है. इस वजह से 2011 इंडिया कंपीटीटिवनेस रिपोर्ट में दिल्ली का स्कोर कम हुआ है लेकिन बेहतरीन 20 शहरों में यह इस बार भी अव्वल है. इस शहर के मामले में एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि 2011 की जनगणना में दिल्ली अधिकतम जनसंख्या के मामले में मुंबई से आगे निकल गई है.

28 दिसम्‍बर 2011: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे

दिल्ली का मजबूत बुनियादी ढांचा, पूरे शहर में परिवहन के लिए एक समान उन्नत सुविधाएं, मानव संसाधन की अधिकतम क्षमता, देश का सबसे ज्‍यादा जनसंख्या वाला शहर होना, ऊंची क्रय शक्ति वाले उपभोक्ता और यहां के बड़े और अच्छे बाजार जैसे कई कारक इसे बेस्ट शहरों की सूची में काफी ऊपर रखते हैं.

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21 दिसम्‍बर 2011: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे

दिल्ली में रोजगार के चलते लोग दूसरे प्रदेशों से आते हैं और हर साल उनमें से पांच लाख यहीं बस जाते हैं. दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित इस बात को लेकर चिंता जाहिर कर चुकी हैं.

14 दिसंबर 2011: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे

बाहर से आने वाली जनसंख्या का दबाव शहर के संसाधनों को नाकाफी बना देता है. लेकिन राष्ट्रीय राजधानी होना दिल्ली की सबसे बड़ी ताकत है. यहां होने वाली राजनैतिक और आर्थिक गतिविधियां इसे आला दर्जे का शहर बनाती हैं. देश के कई क्षेत्रीय बाजार दिल्ली से जुड़े हुए हैं.

07 दिसंबर 2011: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे

माल की आवाजाही के सुगम होने के कारण यह रिटेल कारोबार का अहम केंद्र है. सड़क और परिवहन का मजबूत बुनियादी ढांचा, ज्‍यादातर नागरिकों का शिक्षित होना और कारोबार से जुड़ी सुविधाएं दिल्ली को अतिरिक्त शक्तियां प्रदान करती हैं.

30 नवंबर 2011: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ए. के. वालिया का दावा है, ''दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों के बाद भी विकास की प्रक्रिया जारी है. यहां कई अस्पताल, शिक्षा संस्थानों, फ्लाइओवर, फुटओवर ब्रिज का निर्माण हुआ है ताकि नागरिकों के जीवन को आसान बनाया जा सके.'' उनके मुताबिक, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों से दिल्ली सरकार को अपनी छवि एक बार फिर सुधारने में मदद मिली है.

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वालिया का कहना है, ''हमने करीब 1,639 अनधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत करने का फैसला किया है. साथ ही हम शहर में पर्याप्त आवास व्यवस्था के लिए इंतजाम करेंगे.''

23 नवंबर 2011: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे

साल 2012 में विधानसभा के पहले सत्र को संबोधित करते हुए दिल्ली के उपराज्‍यपाल तेजेंद्र खन्ना के अभिभाषण को सरकार के अगले कदमों का संकेत माना जाए तो बुनियादी ढांचे पर खर्च की जगह अब समावेशी विकास, प्रशासनिक सुधारों और सरकारी संपत्ति के रखरखाव पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही गई है.

लेकिन दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार मल्होत्रा का कहना है, ''नगर निगम का तीन हिस्सों में बंटवारा, पानी, पर्यावरण, बुनियादी ढांचा और उद्योग राजनैतिक रूप से अहम मुद्दे हैं. राष्ट्रमंडल खेलों के बाद दिल्ली में विकास ठप है क्योंकि भ्रष्टाचार के अनेक मामलों में सरकारी कर्मचारियों और इंजीनियरों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है.''

मल्होत्रा के मुताबिक ऐसी स्थितियों में अधिकारी नई योजनाएं बनाने में दिलचस्पी नहीं ले रहे. उधर, लगातार बढ़ रहे अपराध दिल्ली की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं.

2011 में 52,675 मामले दर्ज किए गए जबकि पिछले साल 50,972 मामले थे, यानी 3 फीसदी की बढोतरी हुई. जाहिर है, दिल्ली पुलिस को इतनी बड़ी संख्या में बलात्कार, छेड़छाड़, डकैती, उठाईगीरी और वाहनों की चोरी जैसे अपराध रोकने के लिए नई रणनीति अपनानी होगी.

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हालांकि जानलेवा ब्लूलाइन बसें दिल्ली की सड़कों से हट गई हैं लेकिन 2011 में डीटीसी बसों ने पिछले साल की तुलना में दोगुना लोगों को रौंद दिया. 45,000 नए ऑटो रिक्शा और बस क्लस्टर सेवाएं, सभी ऑटोरिक्शा में जीपीएस, सरोजिनी नगर की तर्ज पर मल्टीलेवल पार्किंग और बस टिकट वितरण में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ाने जैसे कदम दिल्ली में परिवहन के साधनों की तस्वीर बदलेंगे.

हाइस्पीड एयरपोर्ट मेट्रो रेल सेवा, मेट्रो रेल के तीसरे चरण का काम शुरू होना और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के साथ बेहतर कनेक्टिविटी शहर के विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

विकास की दौड़ में अव्वल होने के अलावा दिल्ली देशवासियों की धड़कन है. इसकी विरासत और सांस्कृतिक अहमियत को लेकर कोई दो राय नहीं. साथ ही रोजगार के अवसरों की खान होने के कारण यह पहले भी लोगों का चहेता शहर था और आगे भी रहेगा.

कुछ अच्छी बातें: मजबूत बुनियादी ढांचा, उच्च शिक्षित नागरिक, खरीदारी की क्षमता वाले उपभोक्ता
बढ़ते अपराधः जनसंख्या का दबाव, कई जगह बेतरतीब विकास.

खूबियां और खामियां
ताकतः
दिल्ली की लोकेशन उसकी सबसे बड़ी ताकत है. देश की राजधानी होने के साथ ही यह समूची राजनैतिक सत्ता का केंद्र बिंदु है. देश के दूसरे महानगरों से दिल्ली तक पहुंच सरल और सुलभ है. व्यापार और वाणिज्‍य का अहम केंद्र होना दिल्ली की ताकत है.
कमजोरीः भूमि का प्रबंधन कमजोर. पार्किंग और कचरे के निस्तारण के लिए माकूल इंतजाम नहीं. बढ़ता वायू प्रदूषण और सीवेज निकासी संबंधी बदइंतजामी.
संभावनाएं: आर्थिक मोर्चे पर दिल्ली में काफी संभावनाएं हैं. दूसरे शहरों से कनेक्टिविटी और अत्यधिक शिक्षित तथा उद्यमशील नागरिकों की मौजूदगी लाभप्रद.

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