कहते हैं कि हौसला और हिम्मत हो तो कोई भी सपना असंभव नहीं. चंडीगढ़ में जन्मी और ग्रेटर नोएडा में रहने वाली 18 साल की इंजीनियरिंग स्टूडेंट मेहरीन ढिल्लों ने इसे सच कर दिखाया. उन्होंने अपनी ऑफरोडिंग SUV से हिमालय के 13 सबसे ऊंचे माउंटेन पास को 14 दिन में पार कर 3482 किलोमीटर की यात्रा पूरी की.
इस उपलब्धि ने उन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में सबसे कम उम्र की महिला के रूप में जगह दिलाई, जिसने इतने सारे हिमालयी दर्रों को पार किया.
मेहरीन का रोमांचक सफर
मेहरीन ढिल्लों का जन्म 8 अगस्त 2006 को चंडीगढ़ में हुआ. वह इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक कर रही हैं. 13 जून 2025 को उन्होंने ग्रेटर नोएडा से अपनी यात्रा शुरू की. 14 दिन बाद, 3482 किलोमीटर की दूरी तय कर वापस लौटीं.
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इस दौरान उन्होंने हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के खतरनाक रास्तों को पार किया. उनकी यात्रा में तीर्थन वैली, जिस्पा, पुर्णे, पदम, लेह, समूर, पैंगोंग, हानले, चो, सोमरेरी और मनाली जैसे स्थान शामिल थे. इस समय उनकी उम्र 18 साल, 11 महीने और 8 दिन थी.
मेहरीन ने अपनी SUV से 13 हिमालयी दर्रों को पार किया, जिनमें दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल सड़क उमलिंग ला (19,024 फीट), खारदुंग ला (18,328 फीट), चांग ला (17,492 फीट), वारी ला (17,429 फीट), लाचुंग ला (16,616 फीट), शिंकु ला (16,580 फीट), सिंगे ला (16,120 फीट), बारालाचा ला (16,040 फीट), सिर्सिर ला (15,757 फीट), पोलोजिंगकाला (15,892 फीट), याये त्सो (15,647 फीट), और त्सागाला (15,260 फीट) शामिल थे. ये दर्रे बर्फीले रास्तों, तेज हवाओं और जोखिम भरे मोड़ों के लिए जाने जाते हैं.
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मेहरीन की प्रेरणा और परिवार का साथ
मेहरीन के पिता धरमपाल सिंह ढिल्लों और मां सिमरन ढिल्लों, जो एक प्राइवेट टेक कंपनी में काम करते हैं, उनके सबसे बड़े प्रेरणास्त्रोत रहे. मेहरीन ने aajtak.in को बताया कि मैंने पापा को देखकर ड्राइविंग सीखी. मैंने जल्दी ही लर्निंग लाइसेंस ले लिया था. इस यात्रा में उनके माता-पिता उनके साथ थे, जो उनका हौसला बढ़ाते रहे. उनके पिता ने उन्हें इच्छाशक्ति की योद्धा कहा और बताया कि मेहरीन ने दिखाया कि साहस से कोई भी चोटी जीती जा सकती है.
मेहरीन ने कहा कि हर ट्रिप मां-पापा के साथ ही बनती है, लेकिन ड्राइविंग सीट पर मैं ही होती हूं. सामान रखने के बाद मैं खुद गाड़ी चलाती हूं. इस यात्रा में टूटी सड़कें, बर्फीले रास्ते और कई मुश्किलें आईं, लेकिन मेहरीन ने हार नहीं मानी. उन्होंने बिना स्नो चेन्स के भी ड्राइविंग की, जो उनके साहस को दर्शाता है. उनके पिता और मेंटर्स ने हर मोड़ पर उनकी हिम्मत बढ़ाई.
पहला रिकॉर्ड: विंटर स्पीति सर्किट
फरवरी 2025 में उन्होंने विंटर स्पीति सर्किट में 1192 किलोमीटर की यात्रा 7 दिन में पूरी की थी. यह यात्रा कुफरी से मनाली तक थी, जिसमें रैंपुर, काजा, चिचम ब्रिज, काल्पा और जलोरी पास शामिल थे. इस दौरान वह 82 गाड़ियों के काफिले के साथ थीं, लेकिन उन्होंने अपनी SUV खुद चलाई. इस उपलब्धि ने उन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में “विंटर स्पीति सर्किट में ड्राइव करने वाली सबसे कम उम्र की महिला” का खिताब दिलाया, जिसे 3 मार्च 2025 को दर्ज किया गया.
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इस यात्रा में मेहरीन ने हिक्किम (दुनिया का सबसे ऊंचा डाकघर), कोमिक (सबसे ऊंचा मोटरेबल गांव) और की मठ जैसे स्थानों को देखा. उन्होंने हिमालयन आइबेक्स (एक दुर्लभ जानवर) को देखा, जो उनकी प्रेरणा बना. मेहरीन ने कहा कि हिक्किम में आइबेक्स को असंभव ढलानों पर चढ़ते देख मुझे हिम्मत मिली. बर्फीले तूफानों और -20 डिग्री तापमान में भी उन्होंने ड्राइविंग जारी रखी.
मेहरीन ने अपनी ड्राइविंग की शुरुआत अपने पिता से प्रेरणा लेकर की. उनके पिता धरमपाल एक शानदार ड्राइवर हैं, जो माउंटेन गोट 313 नामक ग्रुप के साथ केरल से उमलिंग ला तक की रिकॉर्ड ड्राइव में हिस्सा ले चुके हैं. मेहरीन ने बताया कि पापा ने मुझे सिखाया कि डर को हावी नहीं होने देना. उनकी मां सिमरन ने भी हर कदम पर उनका साथ दिया.
मेहरीन का सपना है कि वह ऐसी ही रोमांचक यात्राएं करती रहें. उन्होंने कहा कि मैं हर जगह एक्सप्लोर करना चाहती हूं, मां-पापा के साथ भी और अकेले भी. वह अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान दे रही हैं. इंजीनियर बनना चाहती हैं. मेहरीन का मानना है कि इंजीनियरिंग उनकी साहसिक यात्राओं को और रोमांचक बनाएगी.
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