Virat Kohli Test Captaincy: भारतीय क्रिकेट इस वक्त बड़े बदलाव के दौर से गुज़र रहा है. ये बदलाव लीडरशिप वाला है, जहां पिछले करीब 7 साल से विराट कोहली का वर्चस्व रहा है. लेकिन अब ये वर्चस्व खत्म होने लगा है, पांच महीने पहले जो विराट कोहली टी-20, वनडे और टेस्ट टीम के कप्तान थे. अब वह तीनों ही फॉर्मेट में टीम के एक सीनियर खिलाड़ी हो गए हैं, जो पिछले दो साल से खराब फॉर्म से जूझ रहा है.
सचिन तेंदुलकर और महेंद्र सिंह धोनी के बाद मौजूदा वक्त में विराट कोहली ही ऐसे प्लेयर रहे जिन्होंने भारतीय क्रिकेट पर एकछत्र राज किया. मैदान पर अपने बल्ले और कमाल के दम पर, मैदान के बाहर फैन्स का दिल जीतकर, ऐसे में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) का भी इन्हें पूरा समर्थन रहा. लेकिन पिछले पांच महीने में ऐसा क्या बदल गया कि विराट कोहली का रोल अचानक ही बदल गया.
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खराब फॉर्म ने बदले सारे समीकरण?
विराट कोहली के बल्ले से जब शुरुआत में रन बरस रहे थे, तब हर किसी को पता लग गया था कि ये कोई आम खिलाड़ी नहीं है. शतकों की झड़ी, रनों का अंबार लगातार लग रहा था इसी वजह से सचिन तेंदुलकर का 100 शतकों का रिकॉर्ड भी टूटने के करीब लग रहा था. लेकिन साल 2019 के बाद से ही विराट का बल्ला उनसे रूठा है.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 70 शतक लगा चुके विराट कोहली नवंबर 2019 के बाद से एक शतक की इंतज़ार में हैं. ना सिर्फ शतक बल्कि उनके बल्ले से लगातार कोई बड़ी पारियां भी नहीं निकल रही हैं, जो उनके लेवल के खिलाड़ी के खेल का मुकाबला कर सकें. यही वजह है कि बतौर बल्लेबाज विराट कोहली के रोल पर कुछ असर पड़ा है.
जब कप्तान के बल्ले से ही दो साल से रन ना निकले हो, तो उसकी शक्तियां भी कमजोर पड़ती ही हैं. कई एक्सपर्ट्स ने हालिया दौर में इस बात का जिक्र भी किया है, कि विराट कोहली का बल्ला लंबे वक्त तक शांत होना, उनपर आसानी से दबाव बनने और बढ़ने का कारण भी है.
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रवि शास्त्री के जाने से खत्म हुआ सपोर्ट?
कप्तान बनने के बाद विराट कोहली का पहला विवाद अनिल कुंबले के साथ ही हुआ था. जब उन्होंने अनिल कुंबले की जगह रवि शास्त्री को कोच बनवाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया. क्योंकि उस वक्त कप्तान का बल्ला बोल रहा था, ऐसे में बीसीसीआई को भी विराट के आगे झुकना पड़ा था. तब से लेकर अबतक विराट कोहली और रवि शास्त्री की जोड़ी ने भारतीय क्रिकेट को आगे बढ़ाया. इस दौरान भारतीय क्रिकेट टीम ने कई बड़ी और ऐतिहासिक सफलताएं हासिल कीं, लेकिन आईसीसी ट्रॉफी दूर ही रही.
सौरव गांगुली के बीसीसीआई अध्यक्ष बनने से पहले जो कमेटी बोर्ड को चला रही थी, उस दौर में भी विराट कोहली को भरपूर समर्थन मिला था. लेकिन सौरव गांगुली के अध्यक्ष बनने के बाद सारी चीज़ें बदल गईं. साथ ही विराट कोहली को बतौर कप्तान चैम्पियंस ट्रॉफी, क्रिकेट वर्ल्डकप गंवाने का भी नुकसान हुआ.
रवि शास्त्री का कार्यकाल आगे नहीं बढ़ा, राहुल द्रविड़ को काफी कोशिशों के बाद भारतीय क्रिकेट के साथ जोड़ा गया. इधर आईपीएल में रोहित शर्मा की बतौर कप्तान सफलता विराट कोहली पर दबाव बना रही थी, इसी दबाव के बीच उन्होंने टी-20 फॉर्मेट की कप्तानी छोड़कर हर किसी को हैरान कर दिया.
ड्रेसिंग रूम में खराब माहौल भी बना कारण?
विराट कोहली के कप्तान बनने के बाद से ड्रेसिंग रूम के माहौल को लेकर लगातार अलग-अलग खबरें छन-छनकर आईं. विराट कोहली की रोहित शर्मा के साथ अनबन, रविचंद्रन अश्विन-चेतेश्वर पुजारा-अजिंक्य रहाणे जैसे सीनियर खिलाड़ियों की बेरुखी, कुलदीप यादव समेत कुछ अन्य खिलाड़ियों का बयान ये सब बार-बार ड्रेसिंग रूम से बाहर निकलकर आता रहा.
हालांकि, विराट कोहली समेत इन सभी खिलाड़ियों ने किसी भी तरह की अनबन होने से इनकार किया. लेकिन हाल ही में जब विराट कोहली ने टेस्ट टीम की कप्तानी से इस्तीफा दिया, तब एजेंसी से बीसीसीआई से जुड़े अधिकारी ने फिर दोहराया कि ये हर कोई जानता है कि विराट कोहली ड्रेसिंग रूम में पॉपुलर नहीं थे.
आखिर में बढ़ गया बीसीसीआई से विवाद
पिछले तीन-चार महीने में विराट कोहली का बीसीसीआई से विवाद भी जारी रहा. टी-20 वर्ल्डकप से ठीक पहले विराट ने टी-20 फॉर्मेट की कप्तानी छोड़ दी, तब सौरव गांगुली ने बयान दिया था कि उन्होंने खुद विराट को ऐसा नहीं करने के लिए कहा था. लेकिन विराट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आकर बोला कि उनसे किसी ने कप्तानी ना छोड़ने की अपील नहीं की थी.
ऐसे में विराट कोहली और बीसीसीआई के बीच बयानों के तीर चले, कौन सच्चा-कौन झूठा का दबाव भी बना. यही वजह रही कि विराट कोहली को बाद में वनडे की कप्तानी से भी हाथ धोना पड़ा, क्योंकि बीसीसीआई व्हाइट बॉल में एक ही कप्तान चाहता था. जबकि विराट ने बयान दिया था कि वह वनडे, टेस्ट की कप्तानी करना चाहते थे.
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