13 जुलाई का दिन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में काफी खास है. 21 साल पहले इसी दिन 2002 में भारत ने इंग्लैंड को नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल में दो विकेट से हराकर उसका घमंड चूर कर दिया था. लॉर्ड्स में खेले गए उस फाइनल मुकाबले में सौरव गांगुली की कप्तानी वाली टीम इंडिया को जीत के लिए 327 रनों का टारगेट मिला था, जिसे उसने तीन गेंद बाकी रहते हासिल कर लिया.
टीम इंडिया की इस यादगार जीत में मोहम्मद कैफ की अहम भूमिका रही थी. मोहम्मद कैफ ने युवराज सिंह के साथ मिलकर छठे विकेट के लिए 121 रनों की पार्टनरशिप की थी. युवराज सिंह तो 63 गेंदों पर 69 रन (9 चौका और एक सिक्स) बनाकर आउट हो गए, लेकिन कैफ ने मैच जिताकर ही पवेलियन का रास्ता नापा. कैफ ने 75 गेंदों पर 87 रनों की पारी खेली, जिसमें 6 चौके और दो छक्के शामिल रहे. कैफ को इस शानदार पारी के लिए प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया था.
कैफ की मां हुईं भावुक
मुकाबले में एक समय भारत ने 146 रनों पर पांच विकेट खो दिए थे. तब सबने टीम इंडिया की जीत की उम्मीद छोड़ दिया. इलाहाबाद में घर पर मैच देख रहे कैफ के माता-पिता को टीम इंडिया के जीतने की उम्मीद नहीं दिख रही थी. कैफ के माता-पिता मैच छोड़कर पास के सिनेमाघर में मूवी देखने चले गए थे. कैफ ने इसे लेकर कहा था, 'मेरे माता-पिता तब शाहरुख खान की मूवी देवदास देखने चले गए थे. वो घर में ताला बंद करके थिएटर में चले गए. बाद में उन्हें बुलाने के लिए लोग हॉल में पहुंच गए और उन्हें मूवी छोड़कर वापस आना पड़ा.'
कैफ ने आज (13 जुलाई) के दिन उस मोमेंट को याद करते हुए ट्वीट किया, 'इलाहाबाद अपने घर गया और माता-पिता के साथ नेटवेस्ट का मुकाबला फिर से देखा, माँ के शब्द थे- फाइनल लाइव तो नहीं देख पाए, लेकिन अल्लाह का करम कि हजार बार ये मैच टीवी पर देखा. 'दादा' को लॉर्ड्स की बालकनी में देखकर पापा बहुत खुश हुए.'
फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड के कप्तान नासिर हुसैन ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया. जहीर खान ने ओपनर निक नाइट (14) को जल्द ही चलता कर दिया, लेकिन दूसरे ओपनर मार्कस ट्रेस्कोथिक पूरी लय में थे. ट्रेस्कोथिक ने नासिर हुसैन के साथ दूसरे विकेट के लिए 185 रन जोड़कर इंग्लैंड को बड़े स्कोर की ओर ले गए. नासिर हुसैन ने 115, जबकि ट्रेस्कोथिक ने 109 रनों की शानदार पारियां खेलीं. आखिरी ओवरों में एंड्रयू फ्लिंटॉफ (40) ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी कर इंग्लैंड को 325/5 रनों तक पहुंचा दिया.
उस समय वनडे में 300 से ज्यादा रनों का टारगेट का पीछा करना असंभव सा माना जाता था. डेरेन गफ, एंड्रयू फ्लिंटॉफ और एलेक्स टूडर जैसे तेज गेंदबाजों के सामने तो ये और भी कठिन काम था, लेकिन भारतीय बल्लेबाज बुलंद हौसलों के साथ मैदान पर उतरे. वीरेंद्र सहवाग (45) और सौरव गांगुली (60) ने पहले विकेट के लिए ताबड़तोड़ 106 रनों की साझेदारी कर भारतीय टीम को शानदार शुरुआत दिलाई. लेकिन सहवाग और गांगुली के आउट होते ही मैच में नाटकीय मोड़ आ गया. इसके बाद इंग्लिश गेंदबाजों ने दिनेश मोंगिया (9), राहुल द्रविड़ (5) और सचिन तेंदुलकर (14) को सस्ते में आउट कर भारतीय टीम की कमर तोड़ दी.
फिर कैफ-युवी ने जिता दिया मैच
भारत ने 146 रनों पर ही 5 विकेट खो दिए थे और भारत के जीत की राह मुश्किल लग रही थी. इसके बाद युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ की साझेदारी ने भारत को मैच में लौटाया. 267 रन के स्कोर पर कोलिंगवुड ने युवराज को चलता कर इस साझेदारी का अंत कर दिया. इसके बाद कैफ ने हरभजन सिंह के साथ 7वें विकेट के लिए 47 रनों की साझेदारी कर मैच को भारत की ओर झुका दिया. लेकिन 48वें ओवर में फ्लिंटॉफ ने हरभजन (15) और कुंबले (0) को आउट कर भारतीय खेमे में खलबली मचा दी. अब भारत को 13 गेंदों पर 12 रनों की जरूरत थी, जिसकी पूरी जिम्मेदारी कैफ और जहीर के कंधों पर थी. दोनों ही खिलाड़ियों ने करोड़ों भारतीय फैन्स की उम्मीदों पर खरे उतरते हुए भारत को यादगार जीत दिला दी.
गांगुली ने फ्लिटॉफ से लिया बदला
फाइनल मुकाबले में जीत के बाद सौरव गांगुली ने शर्ट लहराकर सिर्फ जीत का जश्न ही नहीं बनाया, बल्कि वानखेड़े का भी बदला ले लिया था. दरअसल, 3 फरवरी 2002 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भारत-इंग्लैंड के बीच वनडे मुकाबला हुआ था. उस मैच में इंग्लैंड ने भारत को पांच रनों से हराकर छह मैचों की सीरीज को 3-3 से ड्रॉ करवाया था. पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड ने सभी विकेट खोकर 255 रन बनाए थे. जवाब में पूरी भारतीय टीम 250 पर ऑलआउट हो गई थी. इस मैच में एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने जीत के बाद टी-शर्ट उतारकर जश्न मनाया था. फ्लिंटॉप के उसी जीत के जश्न का जवाब सौरव गांगुली ने लॉर्ड्स में दिया था.
प्रयागराज (इलाहाबाद) के कीडगंज मोहल्ले से लेकर भारतीय टीम तक मोहम्मद कैफ की यात्रा काफी दिलचस्प रही. मोहम्मद कैफ ने युवराज सिंह की तरह ही अंडर-19 क्रिकेट के जरिए पहली बार सुर्खियां बटोरी थीं. कैफ ने 13 टेस्ट में 32.84 की औसत से 624 रन बनाए. वहीं 125 वनडे इंटरनेशनल में उनके नाम पर 32.01 की औसत से 2753 रन दर्ज हैं. वह विश्व कप 2003 में फाइनल खेलने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा रहे थे. उत्तर प्रदेश को अपनी कप्तानी में पहली बार रणजी ट्रॉफी जिताने वाले कैफ ने आखिरी प्रथम श्रेणी मैच छत्तीसगढ़ के लिए खेला था.
aajtak.in