सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न और भरण पोषण से जुड़े कानूनों को जेंडर न्यूट्रल बनाने की जनहित याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में कानून का निर्णय प्रत्येक केस के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर होना चाहिए, और यह काम सांसदों का है, न कि अदालत का। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी कानून के दुरुपयोग के आरोपों को मामले दर मामले देखा जाएगा।