प्रेमानंद महाराज के प्रवचन में एक भक्त ने प्रश्न किया कि महाराज, हम अनहोनी से कैसे बच सकते हैं? जब जीवन में सब कुछ ठीक चल रहा हो और अचानक दुख आ जाए, तब क्या करें