Comet 3I/ATLAS: सौरमंडल में घूमने आया 'मेहमान'... भारत के टेलिस्कोप ने खींची पहली तस्वीर

माउंट आबू की फिजिकल रिसर्च लेबोरेट्री के 1.2m दूरबीन से रहस्यमयी धूमकेतु 3I/ATLAS की तस्वीरें और स्पेक्ट्रम लिया गया. गोल कोमा साफ दिखा. जब से ये धूमकेतु हमारे सौरमंडल में चर्चा का विषय बना हुआ है. कुछ वैज्ञानिक इसे एलियन कह रहे हैं. भारत से इसकी पहली बड़ी ऑब्जर्वेशन हुई है.

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ये है फिजिकल रिसर्च लेबोरेट्री के टेलिस्कोप से खींची हुई तस्वीर. (Photo: PRL/ISRO) ये है फिजिकल रिसर्च लेबोरेट्री के टेलिस्कोप से खींची हुई तस्वीर. (Photo: PRL/ISRO)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 19 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:37 PM IST

भारत के वैज्ञानिकों ने एक बार फिर अंतरिक्ष में कमाल कर दिखाया है. फिजिकल रिसर्च लेबोरेट्री (PRL) के वैज्ञानिकों ने माउंट आबू की 1.2 मीटर दूरबीन से धूमकेतु 3I/ATLAS (जिसे C/2025 A11 भी कहते हैं) की शानदार तस्वीरें और स्पेक्ट्रम लिया है. यह धूमकेतु हमारे सौरमंडल से बाहर का मेहमान है. अभी सूरज के सबसे नजदीक आने के बाद वापस बाहर की ओर जा रहा है.

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धूमकेतु कैसा दिख रहा है?

  • तस्वीरों में धूमकेतु के चारों तरफ गोलाकार कोमा (धूमकेतु का चमकदार बादल) साफ दिख रहा है.
  • धूल की पूंछ (डस्ट टेल) अभी सूरज की दिशा में पीछे की ओर है, इसलिए पृथ्वी से नहीं दिख रही.
  • अगर गहरी और चौड़ी तस्वीरें लें तो आयन पूंछ (आयनों की पूंछ) दिख सकती है.

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स्पेक्ट्रम में क्या खास मिला?

12-15 नवंबर की सुबह-सुबह वैज्ञानिकों ने धूमकेतु का स्पेक्ट्रम (प्रकाश के रंगों का विश्लेषण) लिया. इसमें हमारे सौरमंडल के सामान्य धूमकेतुओं जैसे ही चमकदार लाइनें मिलीं...

CN (सायनोजन)
C2 (डाइकार्बन)
C3

यानी इस दूसरे तारे से आए धूमकेतु की रासायनिक संरचना हमारे सौरमंडल के धूमकेतुओं से बहुत मिलती-जुलती है.

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कितना सक्रिय है यह धूमकेतु?

वैज्ञानिकों ने गणना की कि हर सेकंड करीब 10^25 अणु (यानी 1 के बाद 25 जीरो) गैस के रूप में बाहर निकल रहे हैं. इसे प्रोडक्शन रेट कहते हैं. इसकी तुलना करने पर 3I/ATLAS बिल्कुल सामान्य धूमकेतु लगा – न ज्यादा सक्रिय, न कम.

अब आगे क्या?

धूमकेतु अब रात के अंधेरे हिस्से में आ रहा है, इसलिए आने वाले दिनों में और बेहतर तस्वीरें और स्पेक्ट्रम लिए जाएंगे. इससे हमें पता चलेगा कि दूसरे तारों के धूमकेतु हमारे वाले धूमकेतुओं से कितने अलग या एक जैसे हैं.

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माउंट आबू की 1.2 मीटर दूरबीन

गुरुशिखर के पास 1680 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह दूरबीन PRL की है. यहीं से एक्सोप्लैनेट, ब्लैक होल और सौरमंडल की चीजों का अध्ययन होता है. भारत में अंतरतारकीय धूमकेतु की यह पहली बड़ी ऑब्जर्वेशन है.पहले 2I/बोरिसोव (2019) और अब 3I/ATLAS – अंतरिक्ष से आने वाले ये मेहमान हमें ब्रह्मांड की नई कहानियां सुना रहे हैं. भारतीय वैज्ञानिक भी अब इस कहानी में अपना अध्याय जोड़ रहे हैं.

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