Microsoft Global Outage: Microsoft के सर्वर दुनिया भर में ठप हो गए हैं. जिसकी वजह से एयरलाइन सेवाएं बाधित हुई हैं. लोगों के बोर्डिंग पास हाथ से लिख कर दिए जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में एयरपोर्ट, एयरलाइन कंपनी और हवा में उड़ रहे विमान आपस में किस तरह संपर्क करते हैं. ऐसे में सात-आठ तरह के विकल्प होते हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में...
बैकअप सर्वर... एयरलाइंस कंपनियों के पास बैकअप रिडटेंट सर्वर होते हैं, जो मुख्य सर्वर के बंद होते ही ऑटोमैटिकली टेकओवर कर लेते हैं. इससे काम धीमा हो सकता है लेकिन पूरी तरह से बंद नहीं होता.
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इमरजेंसी कम्यूनिकेशन नेटवर्क... ऐसी स्थिति में एयरलाइन कंपनियां, एयरपोर्ट सैटेलाइट कम्यूनिकेशन, वायरलेस नेटवर्क या डेडिकेटेड इमरजेंसी चैनल्स का इस्तेमाल करते हैं. ताकि वो हवा में उड़ रहे विमानों से, ग्राउंड स्टाफ और एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से कॉर्डिनेट कर सकें.
रेडियो कम्यूनिकेशन... एयरलाइन कंपनियों के पास विशेष तरह का रेडियो कम्यूनिकेशन होता है. जो अलग रेडियो फ्रिक्वेंसी पर काम करता है. इसके जरिए विमानों, एयर ट्रैफिक कंट्रोल और ग्राउंड स्टाफ से बातचीत की जाती है.
वैकल्पिक डेटा सेंटर्स... एयरलाइन कंपनियों के पास सेकेंडरी डेटा सेंटर या क्लाउड सर्विसेज होती है, जो ऐसी स्थिति में एक्टीवेट कर दिया जाता है. ताकि प्राइमरी डेटा सेंटर में हुई दिक्कत से तत्काल निपटा जा सके.
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मैन्युअल प्रोसीजर... कुछ पेपरवर्क मैन्यूअली किए जाते हैं. जैसे टिकट हाथ से लिख कर दिए जाते हैं. ताकि गंभीर स्थितियों में यात्री परेशान न हो. इसमें चेक-इन, बैगेज हैंडलिंग और फ्लाइट ऑपरेशन जैसी चीजें शामिल होती हैं.
एयर ट्रैफिक कंट्रोल के साथ सामंजस्य... ऐसी विषम स्थितियों में एयरलाइन कंपनियां एयर ट्रैफिक कंट्रोल के मुताबिक काम करती है. उनके साथ खास तरह का सामंजस्य स्थापित किया जाता है. ताकि हवा में मौजूद विमानों की लैंडिंग और ग्राउंडेड प्लेन्स के टेकऑफ का रास्ता क्लियर किया जा सके.
पैसेंजर क्म्यूनिकेशन... एयरलाइन कंपनियां परेशान यात्रियों को संभालने के लिए पब्लिक एड्रेस सिस्टम का इस्तेमाल करती हैं. सोशल मीडिया और पैसेंजर ऐप्स का सहारा लेती हैं. ताकि यात्रियों को सही सूचना दी जा सके. उन्हें विमानों के आने और जाने की सही सूचना दी जा सके.
एयरलाइन कंपनियां यात्रियों की सुरक्षा और सहज यात्रा के लिए अपने सभी बैकअप सिस्टम को एक्टिवेट करती हैं. ताकि सामान्य तरीके से विमानों का संचालन किया जा सके. चाहे सर्वर ही क्यों न फेल हो जाए.
आजतक साइंस डेस्क