आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किये गए चार मठों में यह परंपरा है कि संन्यास लेने के बाद दीक्षा लेने वालों के नाम के साथ विशेषण भी लगाया जाता है. माना जाता है कि यह विशेषण लगाने से यह संकेत मिलता है कि संन्यासी किस मठ से है और वेद की किस परम्परा का वाहक है. आइए जानते हैं मठ के संन्यासियों के नाम के बाद दीक्षा लेने के बाद कौनसा विशेषण जुड़ जाता है...
रामेश्वरम के श्रृंगेरी मठ के तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद सरस्वती, भारती और पुरी सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि विशेषण लगने के बाद दीक्षा लेने वाला उस विशेष संप्रदाय का संन्यासी कहलाता है.
इसी तरह उड़ीसा के पुरी स्थित गोवर्धन मठ के तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद 'आरण्य' सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है. जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है.
गुजरात के द्वारका धाम स्थित शारदा (कालिका) मठ के तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद 'तीर्थ' और 'आश्रम' सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है.
उत्तराखंड के ज्योतिर्मठ के तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद 'गिरि', 'पर्वत' और 'सागर' सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है.