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धर्म

शादी के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए द्रौपदी ने बताए ये सूत्र

प्रज्ञा बाजपेयी
  • 27 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:23 PM IST
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एक बार श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा और द्रौपदी आपस में बातें कर रहे थे. सत्यभामा ने बेहिचक द्रौपदी से एक सवाल कर दिया जिससे द्रौपदी असहज हो गईं. सत्यभामा ने द्रौपदी से पूछा  कि आप पांचों पांडवों को कैसे खुश रखती हैं? वे कभी आप पर नाराज नहीं होते हैं! क्या आपने कोई तंत्र-मंत्र किया है या आप कोई जड़ी बूटी का इस्तेमाल करती हैं? इसका क्या रहस्य है, कृपया मुझे भी बताएं द्रौपदी...

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सत्यभामा के इस सवाल से पहले तो द्रौपदी हैरान रह गईं लेकिन फिर उन्होंने इसका जवाब दिया.

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द्रौपदी ने कहा, अगर कोई पत्नी अपने पति पर कोई मंत्र या जड़ी-बूटी का इस्तेमाल करती है तो उसका पति उससे भयभीत हो जाता है. भय के साथ कैसे शांतिपूर्वक जिया जा सकता है और बिना खुशी के कैसे शांतिपूर्वक वैवाहिक जीवन की प्राप्ति हो सकती है?

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तब सत्यभामा ने द्रौपदी से पूछा कि वह पांडवों के साथ किस तरह का व्यवहार करती हैं?

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तब द्रौपदी ने सत्यभामा को आचरण से संबंधित कई नियम बताए. द्रौपदी ने कहा, मैं पांडवों की नि:स्वार्थ भाव से सेवा करती हूं, उनकी पसंद औऱ नापसंद का पूरा ख्याल रखती हूं. मैं उनके दिलों पर बिना किसी बुरे भाव, बुरे शब्द, बुरी नजर के बिना राज करती हूं. देवता हो या गांधर्व, अमीर हो या रूपवान मुझे पांडवों के सिवा अन्य कोई व्यक्ति अच्छा नहीं लग सकता है.

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द्रौपदी ने सत्यभामा को बताया, मैं अपनी सारी बातें अपने पतियों से सीधे कहती हूं. मैं बुरी स्त्रियों की संगत में नहीं रहती हूं. मैं कभी कामकाज में आलस नहीं करती हूं.

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मैं अपने पतियों को बिना खिलाए नहीं खाती हूं. मैं उनके हर काम का ध्यान रखती हूं चाहे नौकर मौजूद हों.

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द्रौपदी कहती है कि मैं पांडव परिवार के सभी सदस्यों का पूरा सम्मान करती हूं. ऐसा करने पर पति और पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है.

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मैं अपने पतियों के लिए कभी भी मन में बुरे भाव नहीं लाती हूं. पति के अभिप्राय को पूर्ण संकेत समझकर अनुसरण करती हूं.

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द्रौपदी सत्यभामा से कहती हैं कि स्त्री को बार-बार दरवाजे पर या खिड़की पर खड़े नहीं रहना चाहिए. ऐसा करने वाली स्त्रियों की छवि समाज में खराब होती है. स्त्री को क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए. क्रोध के कारण बड़ी-बड़ी परेशानियां उत्पन्न हो जाती है. इसलिए क्रोध पर काबू रखें. साथ ही पराए लोगों से व्यर्थ बात नहीं करनी चाहिए.

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 मैं जरूरत से ज्यादा हंसने से बचती हूं. मैं अपने पतियों को क्रोधित होने का कोई मौका नहीं देती हूं.

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द्रौपदी ने बताया- मैं अपने पतियों को बिना खिलाए नहीं खाती हूं. मैं उनके हर काम का ध्यान रखती हूं चाहे नौकर मौजूद हों. मैं उन्हें समय पर और हमेशा अच्छा खाना खिलाती हूं.

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