आज रात 11 बजकर 15 मिनट पर साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लग रहा है. यह ग्रहण उपछाया चंद्रग्रहण होगा जो 6 जून को तड़के 2 बजकर 34 मिनट पर खत्म होगा. चंद्र ग्रहण ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन लग रहा है, जो एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और भारत में दिखाई देगा. हालांकि, ज्योतिष में उपछाया ग्रहण को वास्तविक ग्रहण नहीं माना जाता है. इसमें चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया के बजाय उसकी बाहरी छाया से ही होकर निकल जाता है.
आज पड़ने वाले चंद्र ग्रहण की एक और खास बात ये है कि इसे स्ट्रॉबेरी मून (Strawberry Moon) भी कहा जा रहा है. इस 'स्ट्रॉबेरी चंद्र ग्रहण' में चांद का 57 फीसदी हिस्सा पृथ्वी की उपछाया में चला जाएगा. हालांकि लोगों को ये स्ट्राबेरी मून एक पूर्ण चंद्रमा के रूप में ही दिखाई देगा.
स्ट्रॉबेरी मून क्यों कहते हैं?
'स्ट्रॉबेरी मून' शब्द अमेरिका की एक प्रसिद्ध वार्षिक किसान पत्रिका Farmers Almanac से निकला है. इस पत्रिका के अनुसार, अमेरिका की एलगॉनक्विन जनजातियों ने जून और वसंत के पूर्ण चंद्रमा को स्ट्रॉबेरी मून का नाम दिया था. उत्तर-पूर्वी अमेरिका में जून के मौसम में स्ट्रॉबेरी के फसल की कटाई की जाती है. यही वजह है कि जून में दिखाई देने वाले चांद को स्ट्रॉबेरी मून भी कहा जाता है.
स्ट्रॉबेरी चंद्र ग्रहण में उपछाया ग्रहण के दौरान चंद्रमा की छाया और गहरी हो जाती है. इसे रोज मून, हॉट मून और मिड मून के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में पूर्ण चंद्रमा को वट पूर्णिमा से जोड़कर देखा जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं.
जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में चला जाता है तो उसे चंद्र ग्रहण कहते हैं. ये तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक रेखा में होते हैं. इस स्थिति में सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है. चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं- चंद्र ग्रहण, आंशिक चंद्र ग्रहण और उपछाया चंद्र ग्रहण.
जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और जब चंद्रमा धरती की
छाया से निकलता है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है. जब पृथ्वी सूर्य की किरणों को
पूरी तरह से रोक लेती है तो उसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं लेकिन जब
चंद्रमा का सिर्फ एक भाग छिपता है तो उसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहते हैं. वहीं, जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल आता है तो उसे उपछाया ग्रहण कहते हैं. उपछाया चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा की सतह पर सूरज की किरणों को सीधे पहुंचने से कुछ हद तक रोक देती है.
शास्त्रों में उपछाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण नहीं माना जाता है. इसलिए आज कोई भी कार्य करने पर प्रतिबंध नहीं होगा. इस ग्रहण में चंद्रमा वृश्चिक राशि में ज्येष्ठ नक्षत्र में लगने वाला है.
इस उपछाया में किसी भी तरह के सूतक के नियम लागू नहीं होंगे और सभी तरह के पूजा-पाठ और धार्मिक कार्य किए जा सकेंगे.