21वीं सदी का सबसे लंबा खग्रास चंद्रग्रहण 27 जुलाई को होने वाला है. यह एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है. इसकी महत्ता को ऐसे भी समझा जा सकता है कि इसके आगे-पीछे 13 जुलाई और 11 अगस्त 2018 को दो खंडग्रास सूर्यग्रहण पड़ेंगे.
27 जुलाई 2018 का
चंद्रग्रहण 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण रहने वाला है. इसकी कुल
अवधि 6 घंटा 14 मिनट रहेगी. इसमें पूर्णचंद्र ग्रहण की स्थिति 103 मिनट तक
रहेगी. पंडित अरुणेश कुमार शर्मा चंद्र ग्रहण पर दे रहे हैं विस्तृत जानकारी.
भारत में यह लगभग रात्रि 11 बजकर 55 मिनट से स्पर्श कर लगभग 3 बजकर 54 पर
पूर्ण होगा.
इसके प्रभाव से विशेषतः कर्क रेखा क्षेत्र में विनाशकारी भूकंप, सुनामी, चक्रवात, ज्वालामुखी विस्फोट एवं आगजनी की घटनाएं हो सकती हैं.
इसके अतिरिक्त पृथ्वी की कक्षा में मौजूद विभिन्न देशों के हजारों
सैटेलाइट्स इससे प्रभावित हो सकते हैं. सैटेलाइट्स सेवाएं कठिनाई में आ
सकती हैं.
पूर्व माहों में ऐसी घटनाएं हो भी चुकी हैं. नेपाल में हुए विमान हादसे के
अलावा इस वर्ष लगभग आधा दर्जन विमान हादसे हो चुके हैं.
एक वर्ष के अंदर इसरो के दो सैटेलाइट लांच फेल हो चुके हैं. चीन का स्पेस स्टेशन गिरा है. रूस का उपग्रह खोया है.
ग्रहण से पृथ्वी के मध्यक्षेत्र की छाया चंद्रमा पर पड़ेगी. इसके आगे-पीछे की अमावस्याओं पर खंडग्रास सूर्य ग्रहण भी होंगे. इसका गहरा प्रभाव पृथ्वी पर होना सुनिश्चित है.
इससे पहले 26 जुलाई 1953 को बीसवीं सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण पड़ा था. यह पूर्णावस्था में लगभग 101 मिनट रहा. इसका कुल ग्रहण समय 5 घंटा 27 मिनट था.
1953 के इसी ग्रहण के बाद अगस्त के मध्य में ग्रीस के केफलोनिया और जाकिनथोस के लगभग 113 भूकंप आए.
इनमें सबसे विनाशकारी 12 अगस्त को लोनियन आइसलैंड में आया 7.2 मैग्निट्यूड स्केल का भूकंप आया था. इसमें लगभग 800 लोगों की मौत हुई थी. भूकंप में तबाह हुईं इमारतों के चिह्न वहां अभी मौजूद हैं.
कर्क रेखा क्षेत्र में भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, चीन, ताइवान, संयुक्त राज्य अमेरिका का हवाई द्वीप, मैक्सिको, बहामास, मुरितानिया, माली, अल्जीरिया, नाइजर, लीबिया, चाड, मिस्त्र, सउदी अरब, यूएई और ओमान देश प्रमुखता से आते हैं.
ज्योतिषाचार्य शर्मा कहते हैं कि ग्रहण महज सूर्य प्रकाश से निर्मित छाया में सूर्य और चंद्रमा के नजर न आने की घटना मात्र नहीं है. इस दौरान ग्रह-उपग्रह लेते हैं ऑटोकरेक्शन.
सूर्य के साथ संपूर्ण सौरमंडल 70 हजार किलोमीटर की गति से आगे बढ़ रहा है. ग्रहों-उपग्रहों को इससे तालमेल बनाए रखना होता है.
इसी कारण इस दौरान गहन शारीरिक-मानसिक कार्यों से बचने सलाह दी जाती है. अग्निकर्म व मशीनरी के प्रयोग को त्याज्य माना जाता है. सनातनी परम्परा में देवदर्शन और यज्ञादि कर्म निषेध रखे जाते हैं. सहज मुद्रा में भजन-कीर्तन और जप के माध्यम से ईश्वर को याद किया जाता है.
13 जुलाई को खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा. हालांकि यह भारत में मान्य नहीं है लेकिन पृथ्वी पर विभिन्न हलचलों को बढ़ाएगा. जलीय क्षेत्रों में बसे लोग सावधानी बरतें. हो सके तो अगले खंडग्रास सूर्यग्रहण तक समुद्री सीमा से दूरी बढ़ाएं.
19 जुलाई को सौरमंडल की महत्वपूर्ण घटना है. सूर्य के एक ओर बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, गुरु और शनि आदि सारे ग्रह एक ओर उपस्थिति मौजूद होंगे. यह स्थिति सौरमंडल में असंतुलन बढ़ाएगा. चूंकि सौरमंडल का जीवनयुक्त एक मात्र ग्रह पृथ्वी है, इसके अधिक प्रभावित होने की आशंका है.
26 जुलाई को ज्योतिष में चंद्रमा का पुत्र माना जाने वाला बुध ग्रह वक्री होगा. यह परिवर्तन सदी के सबसे लंबे चंद्रग्रहण को और प्रभावी बनाएगा.
27 जुलाई को सदी का सबसे लंबा खग्रास चंद्रग्रहण होगा. यह विभिन्न विनाशकारी भौगोलिक घटनाओं का कारक हो सकता है.