भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को होने के कारण इसको कृष्णजन्माष्टमी कहते हैं. भगवान कृष्ण का रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, इसलिए जन्माष्टमी के निर्धारण में रोहिणी नक्षत्र का बहुत ज्यादा ध्यान रखते हैं.
भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथी को हुआ था. इसलिए जन्म का उत्सव इसी काल में मनाया जाता है. इस बार अष्टमी 14 अगस्त को सायं 07.45 पर आरम्भ होगी. यह 15 अगस्त को सायं 05.40 पर समाप्त होगी. रात्रि में अष्टमी तिथि 14 अगस्त को होगी. ऐसे में कुछ ज्योतिषी का मानना है कि इस बार जन्माष्टमी 14 अगस्त को मनाना उत्तम होगा. वहीं, कुछ ज्योतिष विशेषज्ञ का मानना है कि कोई भी शुभ कार्य उदया तिथि में ही मनाई जाती है. इसलिए भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव 15 तारीख को ही मनाया जाएगा. 15 अगस्त की मध्य रात्रि में श्रीकृष्ण का जन्म होगा और तभी जन्मोत्सव मनाया जाएगा.
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूजन से ये होगा लाभ : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है. जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान प्राप्ति होती है. यही नहीं पूजन करने वाले जातक को दीर्घायु का वरदान मिलता है और समृद्धि की प्राप्ति होती है. जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर हो वे जन्माष्टमी पर विशेष पूजा से लाभ पा सकते हैं.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव हमें अपने पूरे परिवार के साथ आनंद से मनाना चाहिए. प्रात:काल स्नान करके घर स्वच्छ कर लड्डू गोपाल की मूर्ति को चांदी अथवा लकड़ी के पटिए पर स्थापित करना चाहिए.
सामान्यतः जन्माष्टमी पर बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है. आप अपनी आवश्यकता और मनोकामना के आधार पर जिस स्वरुप को चाहें स्थापित कर सकते हैं. अगर आप इस जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति घर लेकर आ रहे हैं तो कुछ बातों को ध्यान में रखकर ही मूर्ति की खरीदारी करें...
जो जातक संतान की मनोकामना पूरी करना चाहते हैं वो भगवान श्रीकृष्ण के बालक रूप को घर ले आएं. यानी कि बालकृष्ण को घर लेकर आएं.
अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भक्त बंशी वाले कृष्ण की घर में स्थापना करें.
प्रेम और दाम्पत्य जीवन के लिए ऐसी मूर्ति खरीदें जिसमें राधा और कृष्ण दोनों साथ-साथ हों.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन शंख और शालिग्राम की स्थापना भी बहुत शुभ होती है. इसलिए अगर आपके पूजा घर में शंख नहीं है तो जन्माष्टमी पर उसकी स्थापना कर सकते हैं.