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धर्म

तीन घंटे के लिए लगा चंद्र ग्रहण, जानें क्या करें और क्या नहीं

aajtak.in
  • 05 जून 2020,
  • अपडेटेड 10:11 AM IST
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इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लग चुका है. रात 11 बजकर 15 मिनट से यह चंद्र ग्रहण शुरू होकर देर रात 2 बजकर 34 मिनट पर खत्म होगा. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन लगा ये ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण है. इस चंद्र ग्रहण में चांद अपने पूरे आकार में नजर आएगा. ये ग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और भारत में भी देखा जा सकता है.

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कहां देख सकते हैं चंद्र ग्रहण (Live Streaming of Lunar Eclipse)

टेलिस्‍कोप की मदद से देखने से यह चंद्र ग्रहण बहुत ही खूबसूरत दिखाई देगा. इसे आप www.virtualtelescope.eu पर वर्चुअल टेलिस्‍कोप की मदद से देख सकते हैं. इसके अलावा आप इसे यूट्यूब चैनल CosmoSapiens, Slooh पर लाइव भी देख सकते हैं.

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चंद्रग्रहण देखना, सुरक्षित या नहीं?

सूर्य ग्रहण से विपरीत, चंद्र ग्रहण की घटना को नग्न आंखों से देखा जा सकता है. इससे आंखों पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है. वैज्ञानिकों के अनुसार, आज रात्रि के समय चंद्र ग्रहण को आसानी से देखा जा सकता है क्योंकि रात के समय कोई भी हानिकारक किरणें वातावरण में नहीं होंगी. चंद्र ग्रहण को देखने के लिए चश्मा पहनने आवश्यकता नहीं है.

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क्या होता है उपछाया ग्रहण?

11 बजकर 15 मिनट पर लगा ये ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण है. जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल आता है तो उसे उपछाया ग्रहण कहते हैं. चंद्रमा जब धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तभी उसे पूर्ण रूप से चंद्रग्रहण माना जाता है. उपछाया ग्रहण को वास्तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना जाता है.

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चंद्र ग्रहण का प्रभाव

चंद्रमा मन का कारक है इसलिए जब ये ग्रसित होता है तो लोगों के मन में नकारात्मक विचार जरूर आते हैं. 3 घंटे के ग्रहणकाल के दौरान अपने चंद्रमा को बलवान करने की कोशिश करें. इससे आपके मन पर किसी भी तरह का दुष्प्रभाव नहीं आ पाएगा. अपने आपको शुद्ध और पवित्र बनाए रखें.

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किस राशि में लगा है ग्रहण


ये उपछाया चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि में लगा है. वृश्चिक राशि के लोगों को ग्रहण काल के दौरान सावधान रहना है. खासतौर से इस राशि के लोगों को सेहत पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है.

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ग्रहण काल के दौरान क्या ना करें

इस बार का ये चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण है. शास्त्रों में उपछाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण नहीं माना जाता है. इसलिए इस ग्रहण में ना तो सूतक काल और ना ही किसी तरह के धार्मिक कार्यों पर प्रतिबंध लगा है. इस ग्रहण काल में चिंता करने की कोई बात नहीं है. ग्रहण काल के दौरान रात में जगे रहने की भी जरूरत नहीं है.

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ग्रहण काल में क्या करें

ग्रहण काल के दौरान भगवान शिव की चालीसा का पाठ करें और ऊं नम: शिवाय के मंत्रों का जाप करें. आप जितनी भगवान शिव की पूजा करेंगे, आपको उतना ही लाभ होगा. ग्रहणकाल के दौरान बुजुर्गों और छोटे बच्चों पर विशेष ध्यान दें.

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क्या होता है चंद्रग्रहण?

जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो सूर्य की पूरी रोशनी चंद्रमा पर नहीं पड़ती है, इसे चंद्रग्रहण कहते हैं. चंद्रग्रहण की स्थिति में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं. एक साल में अधिकतम तीन बार पृथ्वी के उपछाया से चंद्रमा गुजरता है, तभी चंद्रग्रहण लगता है.

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क्या चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन ही पड़ता है?

चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन पड़ता है लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता है. इसका कारण है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा का झुके होना. यह झुकाव तकरीबन 5 डिग्री है इसलिए हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता. उसके ऊपर या नीचे से निकल जाता है. यही बात सूर्यग्रहण के लिए भी है.

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इस साल कब-कब लगेगा ग्रहण

साल का पहले पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी को और दूसरा  आज रात में लगेगा. यह एक उपछाया ग्रहण है.

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इसके बाद 21 जून को सूर्य ग्रहण लगेगा और चौथा ग्रहण 5 जुलाई को लगेगा जो की चंद्र ग्रहण होगा.

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