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धर्म

वाल्मीकि की वो रामायण, जो कुरान की पहली आयत से होती है शुरू

aajtak.in
  • 18 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 8:30 AM IST
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रामायण का नाम सुनते ही मन में किसी पंडित, मंदिर या फिर किसी हिंदू की छवि तैरने लगती है. रामायण को हिंदू धर्म का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ माना जाता है. इस ग्रंथ की रचना वाल्मीकि ने संस्कृत में की थी. पर क्या आप जानते हैं एक ऐसी रामायण भी है जिसकी शुरूआत पवित्र कुरान की सबसे पहली आयात 'बिस्मिल्लाह अर्रहमान-अर्रहीम' से होती है. आइए जानते हैं इस अनोखी रामायण के बारे में कुछ रोचक बातें.

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दुनियाभर में ये अनोखी रामायण अकेले रामपुर की रजा लाइब्रेरी में मौजूद है. इस रामायण की खासियत यह है कि इसकी शुरूआत पवित्र कुरान की सबसे पहली आयात 'बिस्मिल्लाह अर्रहमान-अर्रहीम' (अल्लाह के नाम से शुरूआत जो अत्यंत दयालु और कृपालु है ) से शुरू होती है. जबकि हिंदू धर्म में किसी भी काम की शुरूआत ऊं या श्री गणेशाय नम: के साथ की जाती है.

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तीन सौ वर्ष पहले इस रामायण को सुमेर चंद नाम के एक लेखक ने संस्कृत की वाल्मीकि रामायण से फारसी में अनुवादित किया था. इसके बाद फारसी में लिखी इस रामायण का प्रो. शाह अब्दुस्सलाम और डा. वकारुल हसन सिद्दीकी ने हिंदी में अनुवाद किया.

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इस रामायण में रावण की तस्वीर के ऊपर हर जगह गधे के सिर की तस्वीर बनाई गई है. ऐसा इसलिए क्योंकि उसने सीता का हरण किया था.

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सुमेर चंद ने इस रामायण का अनुवाद संस्कृत से फारसी में सन् 1713 में किया था. उन्होंने इस रामायण को मुगल शासक फर्रुखसियर के शासनकाल में लिखा.

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यह रामायण मुगल शैली की 258 रंगीन तस्वीरों वाली पहली रामायण है.

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सुमेर चंद ने इस रामायण का अनुवाद संस्कृत से फारसी में सन् 1713 में किया था. उन्होंने इस रामायण को मुगल शासक फर्रुखसियर के शासनकाल में लिखा.इस रामायण की खासियत यह है कि इसे सोने के पानी के अलावा कीमती पत्थरों के रंगों से गुलबूटे और नक्शो-निगार से पन्ने का ऊपरी भाग को सजाया गया है.

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