Vinayak Chaturthi 2025: मार्गशीर्ष की विनायक चतुर्थी पर दो शुभ योग, भद्रा का भी रहेगा साया, नोट कर लें शुभ मुहूर्त

Vinayak Chaturthi 2025: विनायक चतुर्थी हर महीने आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि होती है. यह दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए बहुत शुभ माना जाता है. इसे लोग मासिक गणेश चतुर्थी भी कहते हैं.

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इस चतुर्थी पर दो बहुत ही शुभ योग बन रहे हैं. इस चतुर्थी पर दो बहुत ही शुभ योग बन रहे हैं.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:01 AM IST

Vinayak Chaturthi 2025 Date: मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाने वाली विनायक चतुर्थी इस बार और खास होगी. हर महीने आने वाली यह चतुर्थी भगवान गणेश की उपासना के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है. इसे ‘मासिक गणेश चतुर्थी’ के नाम से जाना जाता है. इस वर्ष मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी पर विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाएगा. तिथि और ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार यह दिन बेहद शुभ है.

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इस चतुर्थी पर दो बहुत ही शुभ योग बन रहे हैं, जो गणेश उपासना को और अधिक फलदायी बनाने वाले हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसे योगों में की गई पूजा मनोकामनाओं को पूरी करती है. हालांकि इस दिन भद्रा काल का साया भी रहेगा. 
ज्योतिष के अनुसार भद्रा में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करना अशुभ माना जाता है. इसलिए गणेश पूजा और व्रत की विधि करते समय शुभ मुहूर्त देखकर ही पूजा करने की सलाह दी जाती है. जानते हैं इस महीने विनायक चतुर्थी कब है और पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त कब है.


विनायक चतुर्थी 2025 

दृक पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि प्रारंभ 23 नवंबर 2025, शाम 7:24 बजे होगा, चतुर्थी तिथि समाप्त 24 नवंबर 2025, रात 9:22 बजे होगी. उदयातिथि के नियम के अनुसार विनायक चतुर्थी का व्रत 24 नवंबर 2025, सोमवार को रखा जाएगा. 

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विनायक चतुर्थी पर बन रहे शुभ योग

इस वर्ष विनायक चतुर्थी के दिन दो बेहद शुभ योगों का संयोग बन रहा है, जो इस पर्व की पवित्रता और लाभ को और अधिक बढ़ा देता है. 

 1. रवि योग

रवि योग 24 नवंबर सुबह 06:51 बजे से रात 09:53 बजे तक रहेगा. रवि योग में किए गए शुभ कार्य अत्यंत फलदायी माने जाते हैं. भगवान गणेश की पूजा इस योग में विशेष सिद्धि मिलती है. 

 2. गण्ड योग

दोपहर 12:37 बजे से प्रारंभ होगा. गण्ड योग भी शुभ फल देने वाला योग माना गया है, जो बाधाओं व विघ्नों को दूर करने में सहायक होता है. 

नक्षत्र परिवर्तन

सुबह पूर्वाषाढा नक्षत्र और रात उत्तराषाढा नक्षत्र रहेगा, दोनों नक्षत्रों की ज्योतिषीय दृष्टि से यह संयोजन पूजा के महत्व को और शक्तिशाली बनाता है. विनायक चतुर्थी पर गणेश पूजन के लिए सबसे शुभ समय सुबह 11:04 बजे से दोपहर 1:11 बजे तकरहेगा इस मुहूर्त में पूजा करने से व्रत का पूर्ण फल मिलका है. 

विनायक चतुर्थी पर अशुभ भद्रा का साया 

नवंबर महीने में विनायक चतुर्थी पर भद्रा का साया रहने वाला है. 24 नवंबर को सुबह 08 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 22 मिनट भद्रा काल रहेगा. हालांकि भद्रा का वास पाताल लोक में रहेगा . इसलिए पूजा-पाठ पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

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चंद्र दर्शन वर्जित

विनायक चतुर्थी पर चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे झूठा कलंक या मानहानि का योग माना गया है. इसलिए इस रात चंद्रमा को देखने से पूरी तरह बचना चाहिए.

विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व

गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है. इस दिन व्रत रखकर उनकी विधिपूर्वक पूजा करने से सभी संकट दूर होते हैं. कार्यों में सफलता मिलती है. मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.घर-परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है. 

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