Tulsidas Jayanti 2022: पत्नी से मिलने लाश पकड़कर नदी पार कर गए थे तुलसीदास, ऐसे बने महान संत

Tulsidas Jayanti 2022 Kab Hai: इस साल तुलसीदास जयंती गुरुवार, 4 अगस्त को है. ऐसा कहते हैं कि जब तुलसीदास का जन्म हुआ तो उनके मुख से 'राम' नाम शब्द निकला था. यही वजह थी कि उनका नाम रामबोला पड़ गया. तुलसीदास के जन्म की तरह उनके दांपत्य जीवन की भी एक दिलचस्प कहानी है.

Advertisement
Tulsidas Jayanti 2022: लाश के सहारे नदी पार कर पत्नी से मिलने पहुंचे थे तुलसीदास, जानें कैसे बने महान संत Tulsidas Jayanti 2022: लाश के सहारे नदी पार कर पत्नी से मिलने पहुंचे थे तुलसीदास, जानें कैसे बने महान संत

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 8:20 PM IST

Tulsidas Jayanti 2022: रामचरितमानस के रचियता तुलसीदास का जन्म चित्रकूट के राजापुर गांव में हुआ था. वह श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को पैदा हुए थे. इस साल तुलसीदास जयंती गुरुवार, 4 अगस्त को मनाई जाएगी. ऐसा कहते हैं कि जब तुलसीदास का जन्म हुआ तो उनके मुख से 'राम' नाम शब्द निकला था. यही वजह थी कि उनका नाम रामबोला पड़ गया. तुलसीदास के जन्म की तरह उनके दांपत्य जीवन की भी एक दिलचस्प कहानी है.

Advertisement

यह कहानी तुलसीदास और उनकी पत्नी रत्नावती की है. रत्नावती अति सुंदर थीं और तुलसीदास उन्हें बहुत प्रेम करते थे. रत्नावती के सौंदर्य का जादू उन पर इस कदर चढ़ा था कि वे दुनिया-जहां की परवाह किए बगैर उन्हें प्रेम करने लगे. एक बार रत्नावती अपने मायके चली गईं तो तुलसीदास उनसे दूरी बर्दाश्त नहीं कर पाए. इस प्रेम पीड़ा में तुलसीदास एक ऐसा काम कर बैठे जिससे उनकी पत्नी नाराज हो गईं.

श्रावण मास की एक रात जब बारिश, कड़कड़ाती बिजली और तूफान आया तो तुलसीदास को रत्नावती की याद सताने लगी. पत्नी से मिलने की चाहत में तुलसीदास गंगा नदी के तट तक तो पहुंच गए, लेकिन उफनती नदी को पार करने का खतरा उठाने वाला एक भी नाविक उन्हें नहीं मिला. तभी तुलसीदास को वहां नदी में अचानक एक तैरती लाश दिखाई दी. तुलसीदास ने फौरान लाश को पकड़ा और उसके सहारे नदी को पार कर गए.

Advertisement

तुलसीदास से नाराज हुईं पत्नी
ससुराल पहुंचने के बाद तुलसीदास को समझ नहीं आ रहा था कि वो अपनी पत्नी के कमरे तक कैसे पहुंचें. तब उन्होंने खिड़की से लटकते एक सांप की पूंछ रस्सी समझकर पकड़ ली और पत्नी के कक्ष में दाखिल हो गए. तुलसीदास ने जब अपनी पत्नी को मिलन के इस सफर की कहानी सुनाई तो वो नाराज हो गईं. अपने पति का अनादर करते हुए उन्होंने कहा, ‘अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति। नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत।।’

इसका मतलब है- 'हड्डी और मांस के इस शरीर से इतना प्रेम. अगर इतना ही प्रेम तुमने राम से किया होता तो ये जीवन सुधर जाता.' पत्नी की बात सुनते ही रामबोला का अंतर्मन जाग उठा. वह उसी वक्त राम की तलाश में निकल पड़े. तुलसीदास पर राम के नाम का ऐसा असर पड़ा कि आगे चलकर उन्होंने रामचरित मानस की रचना कर दी.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement