Papankusha Ekadashi 2025: 02 या 03 अक्टूबर कब है पापांकुशा एकादशी? जानें सही तिथि, पारण समय और महत्व

Papankusha Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में आश्विन माह में पड़ने वाली पापांकुशा एकादशी का खास महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का विधिपूर्वक पूजन किया जाता है.

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से जातक को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है.  (Photo Credit: AI Generated) धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से जातक को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है. (Photo Credit: AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:37 PM IST

Papankusha Ekadashi 2025: सनातन धर्म में सालभर आने वाली 24 एकादशियों का विशेष महत्व बताया गया है. इन एकादशियों में से आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से साधक को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति तथा समृद्धि बनी रहती है.

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यह एकादशी विशेष रूप से पापों के नाश और मोक्ष प्राप्ति के लिए मानी जाती है. कहा जाता है कि इस दिन किया गया व्रत स्वर्गलोक की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है और सभी जाने-अनजाने पापों का नाश हो जाता है.

पापांकुशा एकादशी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त

द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष  की एकादशी तिथि 02 अक्टूबर शाम 07 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर 03 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 32 मिनट तक रहेगी. ऐसे में इस साल पापांकुशा एकादशी का व्रत 3 अक्टूबर को रखा जाएगा.

व्रत पारण 

एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर किया जाता है. पापांकुशा एकादशी व्रत पारण करने का मुहूर्त 04 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 16 मिनट से सुबह 08 बजकर 37 मिनट तक है. इस दौरान किसी भी समय व्रत का पारण किया जा सकता है.

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पापांकुशा एकादशी का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पापांकुशा एकादशी का व्रत करता है, उसके सभी पाप मिट जाते हैं. यहां तक कि बड़े से बड़े अपराध भी क्षमा हो जाते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से साधक को वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है और जीवन में सौभाग्य तथा समृद्धि आती है.

एकादशी व्रत की विधि

प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ और साफ कपड़े पहनें. इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं. साथ ही भगवान को पीले पुष्प, तुलसीदल, फल और पीले वस्त्र अर्पित करें. भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें. इसके बाद विष्णु सहस्रनाम, विष्णु चालीसा या गीता पाठ का श्रवण-पाठ करें. दिनभर सात्विकता का पालन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए उपवास करें. शाम के समय पुनः आरती और भजन-कीर्तन करें.

एकादशी के दिन जरूर करें ये कार्य

भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा. व्रत कथा का श्रवण और पाठ. जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दान. सात्विक भोजन का सेवन करें. पीले रंग के वस्त्र धारण करना, क्योंकि यह रंग भगवान विष्णु को प्रिय है.

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