Navratri Kanya Pujan Shubh Muhurt: चैत्र नवरात्रि का आज नौवां और अंतिम दिन है. इसे महानवमी भी कहा जाता है. आज मां सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा-अर्चना होगी. इसके बाद देवी स्वरूप कन्याओं का पूजन होगा. महानवमी पर कन्या पूजन के साथ ही देवी मां को विदाई दी जाएगी. अगर महानवमी पर आज आप भी कन्या पूजन करने वाले हैं तो पहले इसका शुभ मुहूर्त और विधि जान लीजिए.
महानवमी का शुभ मुहूर्त
महानवमी पर आज कन्या पूजन के लिए तीन बहुत ही खास शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. अगर आप इन शुभ मुहूर्तों में कन्या पूजन करते हैं तो निश्चित ही देवी का आशीर्वाद आपको मिलेगा. आज गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग रहेंगे. महानवमी पर ऐसे शुभ योग में कन्या पूजन से श्रेष्ठ फल प्राप्त हो सकता है.
गुरु पुष्य योग- 30 मार्च को सुबह 6.14 से अगले दिन सुबह 6.12 तक
अमृत सिद्धि योग- सुबह 4.41 से सुबह 5.28 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 11.45 से दोपहर 12.30 तक
कन्या पूजन की विधि
महानवमी से एक दिन पहले कन्या पूजन के लिए कन्याओं को आमंत्रित किया जाता है. नवमी पर घर आने वाली कन्याओं का पुष्प वर्षा के साथ स्वागत किया जाता है. नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाए जाते हैं. इन कन्याओं के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से से धोए जाते हैं.
इसके बाद पैर छूकर आशीष लें. माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाएं. फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं. भोजन में आप हलवा, पूरी और चने इनकी थाली में परोस सकते हैं. इसके बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पैर छूकर आशीष लें.
कन्या की उम्र के हिसाब से मिलेगा फल
महानवमी पर कन्या पूजन से प्रसन्न होकर माता रानी दुख और दरिद्रता मां दूर करती हैं. तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति रूप में मानी जाती है. त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से धन-धान्य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है. चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है. इसकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है.
पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है. रोहिणी को पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है. छह वर्ष की कन्या को कालिका रूप कहा गया है. कालिका रूप से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है. सात वर्ष की कन्या का रूप चंडिका का है. चंडिका रूप का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
aajtak.in