राजस्थान में नकली खाद बनाने की बड़ी फैक्ट्रियों के बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है. राजस्थान सरकार के कृषि विभाग और उपभोक्ता विभाग के साथ मिलकर आजतक नकली खाद बनाने वाली 13 फैक्ट्रियों तक पहुंचा, जिसमें लाखों टन DAP, एमओपी, एसएसपी, प्रोम, बायोजाइम, जिप्सम जैसे आधा दर्जन नकली खाद मार्बल, मिट्टी और बालू को रंगकर तैयार किया जा रहा था. इतना ही नहीं, इसे बिहार, पंजाब, हरियाणा और यूपी में सप्लाई किया जा रहा था. शातिर नकली फर्टिलाइजर को ब्रांडेंड कंपनियों के नाम वाले कट्टों में भरकर सप्लाई करते थे. सभी फैक्ट्रियों को सीलकर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
राजस्थान के किशनगढ़ के उदयपुर कलां इंडस्ट्रियल एरिया में एग्रो के नाम से चल रही बड़ी फैक्ट्रियां कहने को तो खाद की हैं, लेकिन ये किसानों को बर्बाद करने और मिट्टी को हमेशा के लिए बंजर बनाने की फैक्ट्रियां हैं. आजतक की टीम राजस्थान सरकार के कृषि अधिकारियों के साथ यहां पहुंची तो देखकर हैरान रह गई. दरअसल यहां मार्बल की कटाई से निकलने वाले कचरे जिसे मार्बल स्लरी कहते हैं, उसे मिट्टी में मिलाकर सभी तरह के खाद का रॉ मैटेरियल बनाया जा रहा था.
ऐसे तैयार होता था नकली खाद
जब आजतक की टीम इन फैक्ट्रियों के अंदर गई तो वहां हर तरह के फर्टिलाइजर की अलग-अलग पैकिंग चल रही थी. काले रंग का डीएपी, डायअमोनम फॉस्फेट, सफेद रंग का एसएसपी सिंगल सुपर फास्फेट और लाल कलर का एमओपी म्यूरेट ऑफ पोटाश की पैकिंग की जा रही थी.
मार्बल की कटिंग से निकलने वाले वेस्ट स्लरी और मिट्टी को इस फैक्ट्री में गर्म किया जाता है, जिससे दाने बन जाते हैं, जो खाद की तरह लगता है. इसे अलग-अलग रंगों में रंगने के लिए कलर रखे हुए हैं. काला, भूरा, कत्थई और सिंदूरी रंग कट्टों में भरकर रखा गया है, जिनसे जो खाद बनाना होता वो रंग मिला देते हैं.
ट्रकों पर लादे जा रहे थे नकली खाद के कट्टे
इस कार्रवाई के दौरान एक फैक्ट्री का मालिक तो भाग गया, लेकिन जब हम दूसरी भूमि एग्रो फैक्ट्री में पहुंचे तो वहां इससे भी बड़ा घोटाला चल रहा था. बड़े-बड़े ट्रकों पर नक़ली खाद के कट्टे लादे जा रहे थे. हरियाणा और पंजाब की कंपनियों के नाम के कट्टों में मिट्टी और मार्बल का बुरादा रंगकर इसे गर्म कर नक़ली खाद बनाया जा रहा था. मैनेजर से हमने बात करने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही हमने पूछताछ की तो वो कहने लगा कि हम नहीं जानते ये कट्टे कहां जा रहा हैं. इस फैक्ट्री का मालिक मंत्री का पैर पकड़ने लगा और गलती मानी.
अधिकारियों से थी फैक्ट्री मालिकों की सांठगांठ
जब आजतक की टीम तीसरी फैक्ट्री में पहुंची तो वहां बजरी और बालू से देश के बाहर एक्सपोर्ट होने वाले मंहगे खाद से लेकर बायोजाइम और सी वीड जैसे खाद भी तैयार की जा रही थी. हैरानी की बात ये है कि इस इलाके के सभी अधिकारी फैक्ट्रियों से मिले हुए थे. लिहाज़ा कभी कोई कार्रवाई नहीं होती थी. इसलिए दूसरे जिलों से टीमें बुलाई गई थी. आजतक ने जब अधिकारियों से इस बारे में पूछा तो वे बहाने बनाने लगे.
34 फैक्ट्रियों का खुलासा
बता दें कि राजस्थान में इस तरह की 34 फैक्ट्रियों का पता चला है, जहां से रोज़ाना दो से ढाई लाख खाद की बोरियां देशभर में सप्लाई हो रही थीं, सोचिए अगर रोज़ाना इतने पत्थर के वेस्ट और रेत-बजरी खेत में जमा होते हैं, तो खेती के साथ-साथ खेतों का कितना बड़ा नुक़सान हो रहा होगा, जो हमेशा के लिए बंजर हो रहे हैं.
क्या बोले कृषि अधिकारी?
कृषि विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर नवल किशोर मीणा ने कहा कि इफ़्को के नाम पर ये मार्बल की स्लेरी, मिट्टी और रेत में कलर मिलाकर नक़ली खाद बना रहे थे. फैक्ट्री में हीट देकर ग्रेनुअल बना रहे थे, जो पूरी तरह से नक़ली है. दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केंद्र में कृषि अधिकारी धर्म सिंह गुर्जर ने कहा कि इस खाद से पूरा खेत हमेशा के लिए बर्बाद हो जाएगा. पत्थर का चूरा मिट्टी में मिलने से मिट्टी के बंजर होने का खतरा है और फ़सल धीरे-धीरे मर जाएगी. वहीं, अजमेर ज़िले की कृषि अधिकारी ज्योति यादव ने बताया कि ये नक़ली प्रोडक्ट है, इसकी जांच कर रहे हैं, ये खेती के लिए बहुत ख़तरनाक है. हम नज़र तो रखते हैं, लेकिन ये कैसे हो रहा था इसकी जांच करेंगे.
बहुत बड़े रैकेट का भंडाफोड़ः किरोड़ी लाल मीणा
कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि ये बहुत बड़ा रैकेट है, जिसमें रंग के जरिए मिट्टी और पत्थर के पाउडर से डीएपी, एसएसपी और एमओपी जैसे खाद बना रहे हैं, जो पूरे देश में सप्लाई किया जा रहा है. इतना ही नहीं, इफ़्को जैसी बड़ी कंपनी के सागरिका और बायोजाइम जैसे प्रिमियम प्रोडक्ट भी नक़ली बना रहे थे.
शरत कुमार