कोर्ट के आदेश के बाद भी मासूम तनिष्क को नहीं लग सका 16 करोड़ का इंजेक्शन, हुई मौत

Rajasthan News: राजस्थान के नागौर में 16 करोड़ रुपये का इंजेक्शन न लग पाने की वजह से 2 साल के मासूम बच्चे ने दम तोड़ दिया. बताया जा रहा है कि बच्चे के पिता ने सरकार से लेकर कोर्ट तक मदद की गुहार लगाई थी. कोर्ट ने बच्चे के इलाज को लेकर आदेश भी जारी किया था, लेकिन इसके बाद भी उसका इलाज नहीं हो सका.

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(प्रतीकात्मक फोटो) (प्रतीकात्मक फोटो)

केशाराम गढ़वार

  • नागौर,
  • 29 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 7:01 AM IST

राजस्थान के नागौर में एक मासूम ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया. बताया जा रहा है कि बच्चे को गंभीर बीमारी थी, जिसके लिए उसे 16 करोड़ रुपये कीमत वाला इंजेक्शन लगना था. बच्चे के पिता ने सरकार से लेकर कोर्ट तक गुहार लगाई थी. कोर्ट ने राजस्थान सरकार को इलाज के संबंध में आदेश भी जारी किया था, लेकिन इसके बाद भी बच्चे का इलाज नहीं हो सका. बताया जा रहा है कि दुर्लभ बीमारी के लिए 16 करोड़ तक का टैक्स भी माफ कर दिया गया था. बावजूद इसके इंजेक्शन का इंतजाम नहीं हो सका.

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बच्चे के पिता ने सरकार से मांगी थी मदद

पीड़ित परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह खुद इतने रुपयों का इंतजाम कर पाता. परिजनों ने सरकार से कई बार गुहार लगाई, लेकिन बच्चे के पिता शैतान सिंह को अपने बेटे के लिए आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला. नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मदद के लिए पत्र भी लिखा था. बता दें कि इस तरह की दुर्लभ बीमारी में शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिसके चलते हुए बच्चा स्तनपान नहीं कर पाता और धीरे-धीरे अंग काम करना बंद कर देते हैं.

9 माह से अस्पताल में भर्ती का मासूम

मासूम बच्चा पिछले 9 महीने से जयपुर के अस्पताल में भर्ती था. डॉक्टरों का कहना था कि उसके शरीर में प्रोटीन नहीं बन रहा है, जिसकी वजह से वह कुछ खा नहीं पा रहा है, न ही वह ठीक से सो पाता है. इस बीमारी को ठीक करने के लिए जोलोन्स्म्मा इंजेक्शन की जरूरत होती है, जिसकी बाजार में कीमत करीब 16 करोड़ रुपये है.

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सरकार की तरफ से पीड़ित परिवार को नहीं मिली मदद

डॉक्टरों ने 16 करोड़ के इंजेक्शन की बात कही तो परिजनों ने राज्य और केंद्र सरकार से मदद मांगी, लेकिन कहीं से भी मदद नहीं मिली. इसके बात बच्चे के पिता शैतान सिंह ने कोर्ट का सहारा लिया. कोर्ट ने राज्य सरकार को बच्चे का इलाज करवाने के लिए निर्देश दिए, लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया और मासूम को नहीं बचाया जा सका.

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