पत्नी की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाए जुगताराम, 4 घंटे बाद ही तोड़ा दम... एक साथ उठी अर्थी

राजस्थान के बाड़मेर जिले में पत्नी की मौत के कुछ घंटे बाद पति की भी मौत हो गई. जिससे पूरे गांव में मातम फैल गया. जब दोनों की अर्थी एक साथ निकली तो पूरे गांव के लोगों की आंखें नम हो गईं.

Advertisement
जुगताराम और उनकी पत्नी हीरों देवी. (File Photo: Dinesh Vohra/ITG) जुगताराम और उनकी पत्नी हीरों देवी. (File Photo: Dinesh Vohra/ITG)

दिनेश बोहरा

  • बाड़मेर,
  • 09 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:50 AM IST

कहते हैं कि सच्चा प्रेम कभी मरता नहीं, बस रूप बदल लेता है और जब प्यार व समर्पण अटूट हो तो मौत भी उस बंधन को तोड़ नहीं पाती. राजस्थान के बाड़मेर जिले के महाबार गांव से ऐसा ही एक दिल छू लेने वाला वाकया सामने आया है. सात फेरों में सात जन्मों का साथ निभाने की कसमें खाने वाले एक वृद्ध जोड़े ने एक साथ इस दुनिया को अलविदा कहकर उस वादे को अमर कर दिया.

Advertisement

पहले पत्नी ने अंतिम सांस ली और महज़ चार घंटे बाद पति ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया. जब दोनों की अंतिम यात्रा एक साथ निकली तो पूरा गांव नम आंखों से इस अमर प्रेम को निहारता रह गया. 

यह भी पढ़ें: दूल्हा-दुल्हन की सुहागरात पर हार्ट अटैक से एक साथ मौत, ऐसा क्यों हुआ? विशेषज्ञ ने बताई ये वजह

पहले पत्नी तो 4 घंटे बाद पति ने दुनिया को कहा अलविदा

महाबार निवासी 89 वर्षीय हीरों देवी पत्नी जुगताराम का शुक्रवार शाम को निधन हो गया. परिवार के लोगों ने रिश्तेदारों और अन्य लोगों को सूचना देकर घटना की जानकारी दी. रिश्तेदार जब तक इकठ्ठा होते तब तक हीरों देवी के पति जुगताराम (90) ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

महज 4 घंटों के अंतराल में हुई दो मौतों ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया. अब गांव में हर किसी की जुबान पर एक ही बात है. प्रेम हो तो हीरों देवी और जुगताराम जैसा. अकसर ऐसा वाकया लोग फिल्मों में ही देख पाते हैं. लेकिन, इस घटना ने एक बार फिर प्रेम और समर्पण को जीवंत कर दिया.

Advertisement

समाज सेवा के साथ निभाया एक दूसरे का साथ

जीवित रहते हुए पति पत्नी दोनों ने समाज सेवा के साथ लोगों का सुख दुःख बांटा और एक दूसरे का बेहतरीन साथ भी निभाया. लेकिन आज उनकी प्रेम कहानी हमेशा के लिए अमर हो गई. हीरों देवी और जुगताराम के 3 बेटे और एक बेटी हैं. एक बेटा राणाराम लकड़ी का काम करता है. दूसरा उदाराम वाहन चालक है. वहीं तीसरा बेटा कमाराम सेना में है.

ग्रामीण राणाराम प्रजापत का कहना है कि ऐसा पहला मौका है. जब इतने कम अंतराल में पति - पत्नी ने एक साथ दुनिया को अलविदा कहा हो. दोनों के अंतिम संस्कार में पूरा गांव उमड़ पड़ा और हर कोई उनके प्रेम और जीवन की चर्चा करता नजर आया.

वियोग और त्याग की अमर कहानी

मृतक दंपति के भतीजे राणाराम ने बताया कि यह कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि प्रेम की पराकाष्ठा है. जहां वियोग नहीं, मिलन की कहानी लिखी गई है. महाबार गांव के इस जोड़े ने दिखा दिया कि सच्चा प्यार न वक्त जानता है, न मौत और उनकी यह अमर कहानी सदियों तक हर दिलों में बसकर रहेगी.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement