भारत को टी-20 विश्व कप और वनडे विश्व कप जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले गौतम गंभीर जब टीम इंडिया के कोच बने तो सोशल मीडिया बल्लियों उछल रहा था. गंभीर बीजेपी सांसद रहे हैं. ऐसे में उनके समर्थकों में पार्टी समर्थक तो थे ही, वो क्रिकेटप्रेमी भी थे जो स्टार खिलाड़ियों के फैनक्लब कल्चर के विरोधी थे. वे सभी गौतम गंभीर के कोच बनने को एक ऐसा पल बता रहे थे, जो भारतीय क्रिकेट को बदलकर रख देगा. भारतीय क्रिकेट बदला तो लेकिन बिल्कुल उलटी दशा में. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में मिली हार के बाद अब कहा जाने लगा है कि भारतीय टीम टेस्ट में घर की शेर भी नहीं बची है. ये हार दरअसल पिछले कुछ वक्त से भारतीय टेस्ट टीम में चल रहे ‘गंभीर’ प्रयोगों का ही नतीजा है.
जून 2024 में टीम इंडिया ने रोहित शर्मा की अगुवाई में टी-20 वर्ल्ड कप जीता. ये राहुल द्रविड़ का बतौर कोच टीम इंडिया के साथ लास्ट असाइनमेंट था. इसी बीच गौतम गंभीर की कोचिंग में रहकर कोलकाता नाइट राइडर्स ने आईपीएल भी जीता था. इसी माहौल में सोशल मीडिया पर गौतम गंभीर को टीम इंडिया का कोच बनाने का हल्ला मचा और जुलाई 2024 में बीसीसीआई ने एक ट्वीट करके ये ऐलान कर दिया कि गौतम गंभीर ही मुख्य कोच होंगे.
ये एक ऐसा फैसला था, जिसके आगे का घटनाक्रम हर किसी को मालूम था क्यूंकि गौतम गंभीर जिस स्टार कल्चर के अपने पूरे क्रिकेट और कमेंट्री कल्चर के विरोधी रहे, वो एक ऐसी टीम का कोच बनने जा रहे थे जो स्टार्स के सहारे ही चलती थी. शुरुआत ऐसी ही हुई. निशाने पर आए विराट कोहली और रोहित शर्मा. कुछ मौके दिए गए, लेकिन बयानबाज़ी, लीडरशिप चेंज और कुछ अन्य संकेतों से ये साफ हो गया कि कोहली, रोहित का सूर्य अस्त हो गया है. सिर्फ एक साल के भीतर अब दोनों टेस्ट से विदा ले चुके हैं, रोहित की वनडे कप्तानी जा चुकी है और 2027 के वनडे वर्ल्ड कप की कोई गारंटी नहीं है.
गौतम गंभीर के पक्ष में ये बातें आ सकती हैं कि हर किसी के काम करने का एक अपना तरीका होता है, वो अपनी तरह की टीम, माहौल क्रिएट करना चाहता है, अपने प्रयोग करते हैं और फिर नतीजा आता है. गंभीर को उसका पूरा हक भी है, क्यूंकि बीसीसीआई ने उन्हें 2027 तक अपने साथ जोड़ा है और पूरी छूट के साथ जोड़ा है, लेकिन टीम की खबरें जिस तरह से छनकर मीडिया और सोशल मीडिया में आईं उसने गौतम गंभीर को विलेन बना दिया. और उसके साथ टीम इंडिया का प्रदर्शन भी खराब होता चला गया, वरना अगर टीम इंडिया लगातार जीत रही होती तो गौतम गंभीर के इन्हीं फैसलों की तारीफ हो रही होती और हर कोई इन्हें मास्टरस्ट्रोक बता रहा होता.
सबसे बुरा हाल टेस्ट क्रिकेट का हुआ है, पिछले दशक में वर्ल्ड क्रिकेट का अगर कोई सबसे बड़ा हाइलाइट था तो वो भारतीय टीम का टेस्ट क्रिकेट में डोमिनेंस था, जो बिल्कुल 2000 के शुरुआती दशक में ऑस्ट्रेलिया के वनडे डॉमिनेंस के बराबर था. उसके साथ ही भारत को भारत में हराना हर किसी के लिए सपना होता था, यानी ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम भी अपने पीक समय में ऐसा सोच नहीं पाती थी. लेकिन चीज़ें बहुत तेज़ी से बदलीं और अब तो भारत लगातार दो सीरीज़ अपने घर में हार गया है, यानी अब कोई ये नहीं कह सकता है कि न्यूज़ीलैंड जो सीरीज़ जीता था, वो तुक्का थी क्यूंकि साउथ अफ्रीका ने फिर आपको मात देकर किला ढहने की बात की पुष्टि कर दी है. और ये सब हुआ गौतम गंभीर की कोचिंग कार्यकाल में. गौतम गंभीर की कोचिंग में भारत ने अब तक 19 टेस्ट खेले हैं, जिनमें से 7 जीते, 10 हारे और 2 ड्रॉ हुए. जीत का प्रतिशत सिर्फ 36.82% रह गया है, जो स्पष्ट करता है कि टीम सही दिशा की तलाश में भटक रही है. छह पूरी हुई सीरीज में केवल दो ही जीत भारत के नाम रही, वो भी बांग्लादेश और वेस्टइंडीज़ के खिलाफ़ थीं.
'घर का शेर' कहलाने का रुतबा खोना भारतीय टेस्ट टीम के लिए सबसे बड़ी त्रासदी है, और ये आंकड़े चीख़-चीख़कर इस बदलाव की गवाही देते हैं. राहुल द्रविड़ के कोचिंग कार्यकाल (नवंबर 2021 से जुलाई 2024) में भारत ने अपने घर में खेली गई 13 टेस्ट सीरीज़ में से सिर्फ़ 1 में हार का सामना किया था. इससे पहले, 2013 से लेकर 2021 तक के स्वर्णिम दौर में तो भारतीय टीम अजेय थी, जिसने घर में लगातार 14 सीरीज़ जीती थीं. लेकिन गौतम गंभीर के आने के बाद, मात्र 17 महीनों के भीतर, भारत ने दो घरेलू सीरीज़ (न्यूजीलैंड से 0-3 और दक्षिण अफ्रीका से 0-2) गंवा दी हैं. इन दो सीरीज़ों में भारत ने कुल 5 टेस्ट खेले और सभी में हार मिली है. ये 5 लगातार घरेलू हार, पिछले दशक में मिली कुल 4 हार (2013-2023 के बीच) से भी अधिक है.
गौतम गंभीर जब कोच नहीं थे और कमेंटेटर के तौर पर क्रिकेट के साथ जुड़े थे, तब उनकी कुछ बातें बार-बार चर्चा में रहती थीं. उनकी एक शिकायत ये रही कि वनडे वर्ल्ड कप 2011 के फाइनल में उनकी खेली गई 97 रनों की पारी का उन्हें उतना क्रेडिट नहीं मिला, जिसके वो हकदार थे, तभी वो बार-बार कहते हैं कि एक सिक्स ने वर्ल्ड कप नहीं जिताया (एमएस धोनी के विनिंग सिक्स का बात), इसके अलावा जब रवि शास्त्री और विराट कोहली की जोड़ी टीम इंडिया को चला रही थी, तब भी गंभीर कहते थे कि रवि शास्त्री ने बतौर कोच सिर्फ टेस्ट मैच जीते हैं, कोई टूर्नामेंट या ट्रॉफी नहीं जीती है इसलिए वो उसे उपलब्धि नहीं मानते हैं.
समय के चक्र ने गौतम गंभीर को अब उसी जगह लाकर खड़ा कर दिया है. उसपर भी बुरा ये है कि गौतम गंभीर की कोचिंग में तो टेस्ट मैच भी नहीं जीते जा रहे. जिस क्रेडिट कल्चर के खिलाफ गौतम गंभीर बातें करते थे, अब वो खुद गिनाते हैं कि उनकी कोचिंग में टीम ने एशिया कप और चैम्पियंस ट्रॉफी जीती है, ऐसे में कुछ हार के बाद उनपर सवाल क्यों हो रहे हैं. गौतम गंभीर कोच रहेंगे या नहीं, ये फैसला तो वाकई बीसीसीआई ही करेगा लेकिन क्रिकेट फैन्स जो अपने दिन और अपना दिल इस खेल में झोंकते हैं, वो सवाल तो ज़रूर पूछेंगे कि क्या विराट, रोहित को जबरन रिटायर करवाना ज़रूरी था, क्या टीम इंडिया पर थोपा गया ट्रांजिशन जल्दबाज़ी में हुआ और अगर आपके पास इन सब चीज़ों का प्लान था तो नतीजा कब आएगा.
मोहित ग्रोवर