कर्नाटक सरकार में कलह, क्या बीजेपी को दिखाई दे रहा है कांग्रेस की आपदा में अवसर?

कर्नाटक में डिप्टी सीएम डीके शिकुमार और सीएम सिद्धारमैया के बीच कुर्सी के लिए कोल्ड वॉर कोई नई बात नहीं है. ढाई साल पहले जब कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने वाली थी, तब भी कई दिनों तक सीएम की कुर्सी के लिए कांग्रेस में जद्दोजहद चली थी.

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कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और सीएम सिद्धारमैया कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और सीएम सिद्धारमैया

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 21 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:09 PM IST

किकर- कर्नाटक में डिप्टी सीएम डीके शिकुमार और सीएम सिद्धारमैया के बीच कोल्ड वॉर कोई नई बात नहीं है. ढाई साल पहले जब कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने वाली तब भी कई दिनों तक सीएम की कुर्सी के लिए कांग्रेस में जद्दोजहद चली थी. 

करीब दो हफ्ते पहले की बात है कि कर्नाटक में कांग्रेस के भीतर  मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच चल रही अनबन को नवंबर क्रांति का नाम देते हुए, भाजपा ने एक व्यंग्यात्मक वीडियो जारी किया था. इस वीडियो में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, डिप्टी सीएम शिवकुमार, सतीश जरकिहोली और जी परमेश्वर को म्यूजिकल चेयर्स खेलते हुए दिखाया गया था.

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इस व्यंग्यात्मक वीडियो के साथ भाजपा ने लिखा था कि नवंबर क्रांति की उल्टी गिनती शुरू. भाजपा ने इस वीडियो के ज़रिए कांग्रेस के शासन के भेष में सत्ता संघर्ष पर निशाना साधा था. बीजेपी की यह भविष्यवाणी काफी हद तक सही होती दिख रही है. जिस तरह डीके शिवकुमार के बयान आ रहे हैं उससे यही लगता है कि नवंबर में क्रांति होकर रहेगी.  पर असली सवाल यह उठता है कि क्या इस क्रांति को हवा देने का काम बीजेपी भी कर रही है? क्योंकि बीजेपी का इतिहास रहा है कि वो आपदा में अवसर की तलाश में रहती है. बीजेपी के ठीक उलट कांग्रेस का भी इतिहास रहा है कि वह बहुत आसानी से अपनी सत्ता बीजेपी को सौंप देती रही है.

डीके के मेसेज से कांग्रेस में खलबली

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ऐसे समय में जब कर्नाटक के नेतृत्व की खींचतान दिल्ली तक पहुंच चुकी है डीके का एक मेसेज बहुत गूढ़ संदेश देता है. शिवकुमार ने कन्नड़ में एक पोस्ट लिखा कि जहां प्रयास है, वहां फल है-जहां भक्ति है वहां भगवान है.हालांकि यह मेसेज उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती के दिन किया था पर इसे सीधे सीधे सरकार के ढाई साल पूरे होने पर कांग्रेस हाईकमान को अपना याद दिलाना समझा गया. 

दरअसल ढाई साल पहले कांग्रेस ने जब कर्नाटक में जीत हासिल की उस समय यही समझा गया कि सीएम की कुर्सी डीके को मिलेगी. डीके कांग्रेस के ट्रबल शूटर रहे हैं और कांग्रेस के बचे खुचे नेताओं में शामिल हैं जो साम दाम दंड भेज सभी कला को जानते हैं. जब जब दूसरे राज्यों में कांग्रेस में सकट आता था डीके शिवकुमार ही उद्धारक बनकर उभरते थे. कर्नाटक में उन पर सीबीआई और ईडी का बहुत दबाव पड़ा पर वो कभी टूटे नहीं बल्कि और मजबूत होकर उभरे. इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि सीएम पद के वो असली हकदार थे. पर जिस तरह राजस्थान में सचिन पायलट की बलि अशोक गहलोत के चलते ले ली गई वैसा ही कुछ डीके के साथ हुआ. शायद यही कारण था कि कांग्रेस ने ढाई साल के रोटेशन का फॉर्मूला लागू करके उस समय डीके मना लिया था. अब वही वादा जिन्न बनकर कांग्रेस के ऊपर मंडरा रहा है.

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अब सवाल उठता है कि क्या डीके महाराष्ट्र की राजनीति के शिंदे बनेंगे

डीके बार-बार कहते रहे हैं कि उनके खून में कुर्सी के दलबदल करना नहीं है. अभी कुछ घंटे पहले का उनका ट्वीट देखकर यही लगता है कि वो केवल मंत्रिमंडल फेरबदल में अपने समर्थकों के लिए उचित जगह लेने के लिए ये सब कर रहे हैं. पर कुर्सी का संघर्ष इतना आसान नहीं होता है. कुर्सी के लिए दल बदलने से पहले तक नेता ऐसे ही बयान देते रहे हैं. यह भी सत्य है कि कुर्सी का मोह सब कुछ छोड़ने को मजबूर कर देता है.
 
सवाल उठता है कि क्या डीके महाराष्ट्र की राजनीति के एकनाथ शिंदे बनना चाहते हैं? अगर डीके के पहले के बयानों और कार्रकलापों को देखा जाए तो वो पहले से बीजेपी और उसकी नीतीयों के साथ अछूतों जैसा व्यवहार नहीं करते रहे हैं. डीके शिवकुमार न केवल राम लला का दर्शन करने अयोध्या पहुंचे थे बल्कि प्रयागराज में कुंभ स्नान करने भी पहुंचे थे. बीजेपी में उनके बहुत से मित्र भी हैं. इसलिए इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि बीजेपी उनको एकनाथ शिंदे की तरह कर्नाटक का सीएम बनाने के लिए समर्थन दे दे.

सरकार गिरने की संभावना, कितनी उम्मीद बीजेपी को?

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कांग्रेस के पास 135 विधायक हैं इसलिए सरकार को बहुत मजबूत है.लेकिन कलह के चलते 20-25 विधायक नाराज हैं.  अगर शिवकुमार नाराज होकर 'शिंदे मॉडल' अपनाते हैं, तो 30-40 विधायक ले जा सकते हैं. 
 हो सकता है कि कैबिनेट री-शफल से शिवकुमार के समर्थकों को मंत्रिमंडल में जगह मिल जाए फिर भी बीजेपी के लिए चांस तो रहेगा ही. इसके साथ ही अगर सरकार गिरती है, तो बीजेपी मिड-टर्म पोल करा सकती है. 2024 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब होने के चलते कभी नहीं चाहेगी कि मिड टर्म पोल की नौबत आए.  

 इसके अलावा बीजेपी ने MUDA स्कैम, हाउसिंग ब्राइबरी जैसे मुद्दों को गरमाए हुए है. अगर CBI-ED सक्रिय हुए, तो विधायक डर सकते हैं. ये बातें अगर कांग्रेस को समझ में आती हैं तो संभावना है कि डीके की ताजपोशी भी हो जाए. ऐसी दशा में सिद्धारमैया अगर विद्रोह करने की कोशिश करते हैं तो उन्हें बीजेपी का साथ मिल सकता है. 

बीजेपी को इंतजार करना पड़ेगा

कर्नाटक कांग्रेस का यह 'आपदा काल' सिद्धारमैया की जिद और शिवकुमार की महत्वाकांक्षा का नतीजा है. गवर्नेंस ठप, विकास रुका, और जनता नाराज है. बीजेपी को अवसर जरूर मिला है कि वो कांग्रेस के खिलाफ जितना ट्रोलिंग हो सके कर ले. लेकिन आज नहीं तो कल सरकार गिरनी ही है. कांग्रेस हाईकमान संभालने की स्थिति में नहीं दिख रहा है. कांग्रेस पिछले कुछ दिनों से सिद्धारमैया को केंद्र में ले जाने की कोशिश कर रही है. कुछ दिनों पहले उन्हे कांग्रेस के ओबीसी विभाग की सलाहकार परिषद का सदस्य नियुक्त किए जाने की चर्चा थी.तब भाजपा ने दावा किया था कि सिद्धारमैया को दिल्ली बुलाकर कांग्रेस बेंगलुरु में डीके की ताजपोशी कराना चाहती है.

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ओबीसी पैनल के लिए कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक गहलोत और भूपेश बघेल सहित 24 नेताओं के नाम प्रस्तावित किए गए हैं, लेकिन सिद्धारमैया के नाम ने उनके और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच सत्ता संघर्ष की पृष्ठभूमि में लोगों को चौंका दिया था.हालांकि सिद्धारमैया ने उस समय ही अपनी उदासीनता दिखा दी थी. अब सिद्धारमैया खुलकर कह रहे हैं कि उन्हें अगले साल का बजट पेश करना है. वो अपने 5 साल के कार्यकाल के लिए प्रतिबद्धता जताते हैं.

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