कर्नल सोफिया कुरैशी पर बयान देने वाले मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विजय शाह की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी विजय शाह को फटकार लगाई और पूछा कि मंत्री होकर किस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस बीच, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक बार फिर इस मामले में सख्त रुख दिखाया और मंत्री के खिलाफ पुलिस एफआईआर की भाषा पर नाराजगी जताई है.
दरअसल, मंत्री विजय शाह ने सेना की वरिष्ठ अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर विवादित बयान दिया था. विजय शाह ने एक सभा में कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम लिए बिना पाकिस्तानी आतंकियों को लेकर कहा था कि 'हमने उनकी बहन भेजकर उनकी ऐसी-तैसी करवाई.' इस विवादित बयान को लेकर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और कोर्ट ने बयान पर स्वतः संज्ञान लेते हुए 4 घंटे के भीतर विजय शाह के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट की फटकार के कुछ ही घंटे बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने मंत्री विजय शाह पर एफआईआर दर्ज कर ली थी.
सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप से किया इनकार
एक दिन बाद मंत्री ने हाई कोर्ट के आदेश से राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हालांकि, SC ने मंत्री के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में हस्तक्षेप करने से फिलहाल इनकार कर दिया है. CJI बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से जिम्मेदारी से काम करने की उम्मीद की जाती है. वो किस तरह का बयान दे रहे हैं? क्या एक मंत्री के लिए इस तरह के बयान देना उचित है? शाह के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मंत्री ने माफी मांग ली है. अपने बयान पर पश्चाताप भी किया है. उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है.
किन धाराओं में एफआईआर?
बुधवार को हाईकोर्ट ने कर्नल कुरैशी को 'आतंकवादियों की बहन' कहने पर विजय शाह के खिलाफ स्वतः संज्ञान लिया था और उनकी टिप्पणियों को 'अपमानजनक' और 'गटर छाप भाषा' बताया था. विजय शाह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की तीन गंभीर धाराएं– 152, 196(1)(b) और 197(1)(c) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.
आज हाईकोर्ट ने फिर फटकार लगाई...
गुरुवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में फिर सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने मंत्री विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के तरीके को लेकर पुलिस को फटकार लगाई. बेंच ने एफआईआर के ड्राफ्ट पर सवाल उठाते हुए पूछा, क्या यही है? क्या आपने एफआईआर पढ़ी है? अपराध के तत्व कहां हैं? अदालत ने देखा कि FIR में ऐसा कोई भी सामग्री नहीं है जो संज्ञेय अपराध दर्शा सके. अदालत ने टिप्पणी की कि इसे इस तरह से ड्राफ्ट किया गया है कि रद्द किया जा सके. बेंच ने आगे कहा, FIR में कुछ भी नहीं है.
HC ने कहा, FIR इस तरीके से ड्राफ्ट की गई है, जिसमें अभियुक्त की करतूतों का जिक्र नहीं है. FIR को अगर चुनौती दी गई तो आसानी से रद्द हो सकती है. ये FIR अदालत के विश्वास पर खरी नहीं उतरती है. HC ने सरकार को आदेश दिया कि FIR में सुधार किया जाए. बिना किसी हस्तक्षेप और दबाव के FIR और जांच आगे बढ़ाई जाए. वेकेशन के बाद मामले में सुनवाई होगी.
कोर्ट ने पूछा- पूरी एफआईआर पढ़ें. इसे किसने तैयार किया है? इस पर वकील ने कहा, मैंने तैयार नहीं किया है. HC ने कहा, जाहिर है आपने इसे तैयार नहीं किया है. महाधिवक्ता ने जस्टिस से कहा, आप जैसा कहेंगे, वैसा होगा.
वकील ने कहा कि हमने हाईकोर्ट के पूरे आदेश को एफआईआर के साथ संलग्न किया है, जिस पर अदालत ने कहा, यह कल रात दर्ज की गई है, लेकिन इसकी सामग्री एफआईआर में होनी चाहिए. यदि आपने आदेश संलग्न किया है तो इसे एफआईआर के हिस्से के रूप में पढ़ा जाएगा.
अदालत ने दोहराया, यह संज्ञेय अपराध होना चाहिए और सवाल किया, अपराध की सामग्री कहां है? इस एफआईआर को आसानी से रद्द किया जा सकता है.
अदालत की टिप्पणियों पर महाधिवक्ता ने प्रतिक्रिया दी और कहा, हम अदालत के निर्देशानुसार कार्य करेंगे. जबकि वकील ने बेंच से अनुरोध किया कि वे यह ना मानें कि वे अभियुक्तों को बचा रहे हैं. हालांकि, अदालत ने टिप्पणी की कि कार्य से इरादा स्पष्ट है. कार्य से पता चलता है कि एफआईआर की सामग्री नहीं है.
सात साल तक की हो सकती है जेल
- FIR में जिस धारा 152 को शामिल किया गया है, वो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्यों के खिलाफ है. इस धारा के अंतर्गत जीवनकाल तक की सजा या अधिकतम सात वर्ष की जेल हो सकती है.
- धारा 196(1)(b) के तहत यदि किसी व्यक्ति द्वारा धर्म, जाति, भाषा, या क्षेत्र के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी फैलाने का प्रयास होता है, तो उसे तीन साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.
- धारा 197(1)(c) उन आरोपों से संबंधित है जो राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचा सकते हैं, विशेष रूप से यदि कोई वर्ग यह कहे कि किसी विशेष समुदाय के लोग भारत के संविधान या देश की अखंडता के प्रति सच्ची निष्ठा नहीं रख सकते.
विजय शाह ने मांगी माफी
विजय शाह ने आजतक से बातचीत में माफी मांगी और कहा, 'मैं सपने में भी कर्नल सोफिया बहन के बारे में गलत नहीं सोच सकता. ना ही मैं सेना के अपमान की बात सोच सकता हूं. सोफिया बहन ने जाति और धर्म से ऊपर उठकर देश की सेवा की और आतंकियों को जवाब दिया, मैं उन्हें सलाम करता हूं. मेरा पारिवारिक बैकग्राउंड भी सेना से जुड़ा है. मैंने उन बहनों के दर्द को ध्यान में रखकर बयान दिया था, जिनके सिंदूर आतंकियों ने उजाड़े. अगर जोश में मेरे मुंह से कुछ गलत निकल गया, तो मैं इसके लिए माफी मांगता हूं.'
रवीश पाल सिंह