न बोल पा रही थी और न ही कुछ खा रही थी...एम्स में हुई सफल सर्जरी; 10 लाख में से एक होती है ये बीमारी

MP News: महिला के शरीर में समस्या की शुरुआत कुछ खाने पर सीने में दर्द के साथ हुई. जिसे महिला ने नजरअंदाज किया. जिसके कारण समस्या ने गंभीर रूप ले लिया. जिसके बाद पीड़िता एम्स पहुंची. जहां जांच में 10 लाख में से एक को होने वाली मेगाओसोफेगस नामक दुर्लभ बीमारी होने की बात सामने आई.  

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(प्रतीकात्मक तस्वीर) (प्रतीकात्मक तस्वीर)

aajtak.in

  • भोपाल,
  • 06 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 5:59 PM IST

MP News: बोलने, सांस लेने, खान खाने और पानी पीने तक में असमर्थ 75 साल की बुजुर्ग महिला की आहार नली की भोपाल एम्स में जटिल सर्जरी की गई. यह जटिल सर्जरी सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और ईएनटी विभाग के विशेषज्ञों ने की. महिला के शरीर में समस्या की शुरुआत कुछ खाने पर सीने में दर्द के साथ हुई. जिसे महिला ने नजरअंदाज किया. जिसके कारण समस्या ने गंभीर रूप ले लिया. जिसके बाद पीड़िता एम्स पहुंची. जहां जांच में 10 लाख में से एक को होने वाली मेगाओसोफेगस नामक दुर्लभ बीमारी होने की बात सामने आई.  

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क्या है मेगाओसोफेगस की बीमारी
महिला मरीज को मेगाओसोफेगस के साथ अचलासिया कार्डिया भी था. यह ऐसी स्थिति है, जिसमें भोजन नली की मसल्स और नसों में सूजन आ जाती है. साथ ही वे सख्त हो जाती हैं, जिसके कारण खाना या पानी अंदर नहीं पहुंच पाता है. ऐसे में आहार नली में अटके भोजन के कारण ही सीने में दर्द और भारीपन जैसी परेशानी का मरीज को सामना करना पड़ता है.

सामान्य से चार गुना ज्यादा फैल गई थी आहार नली
मरीज को सांस लेने में गंभीर तकलीफ, तरल पदार्थ भी ना निगल पाना और बोलने में भी समस्या हो रही थी. जिसे देख तत्काल ऑपरेशन का फैसला लिया गया. इस दौरान सर्जरी से पहले सीटी स्कैन करने में सामने आया कि भोजन नली बड़े पैमाने पर फैली हुई थी. डॉक्टरों के अनुसार, यह सामान्य आकार से लगभग 4 गुना बढ़ गई थी. जिसके कारण श्वांस नली, हृदय और छाती में मौजूद प्रमुख नसों (रक्त वाहिकाओं) को दबा रही थी.

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मरीज की आहार नली की ऐसी हो गई थी हालत.

 
एक प्रक्रिया में निकला फंसा भोजन, दूसरे में किया समस्या का हल 
सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. विशाल गुप्ता ने बताया कि सबसे पहले भोजन नली में एक ट्यूब डालकर दबाने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली. इसके बाद ईएनटी विभाग के डॉ. विकास गुप्ता और उनकी टीम ने एक आपातकालीन डीकंप्रेसिंग प्रक्रिया की. जिसमें आहार नली से लगभग 800 मिलीलीटर भोजन और तरल पदार्थ निकाला गया. इसके कुछ दिन बाद दूसरी प्रक्रिया में सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों ने भोजन नली में सुधार करने के लिए दूसरा ऑपरेशन किया गया. मरीज अब सामान्य रूप से खाना खा रही है और पूरी तरह से ठीक है. 

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