देश विदेश में आस्था के केंद्र मैहर के मां शारदा देवी मंदिर में चढ़ावा विवाद शुर्खियों में हैं. करोड़ों श्रद्धालुओं के अर्पित किए जाने वाले चढ़ावे के प्रबंधन पर एक गंभीर सवाल खड़ा हो गया है. मंदिर समिति के एक आंतरिक पत्र और पूर्व विधायक के सीधे आरोप के बाद यह खुलासा हुआ है कि एक दानदाता द्वारा माता रानी को अर्पित किए गए महत्त्वपूर्ण आभूषण मंदिर के कोष में जमा ही नहीं हुए.
दरअसल विवाद की शुरुआत तब हुई जब मां शारदा देवी मंदिर प्रबंध समिति ने बीते 30 अक्टूबर को प्रधान पुजारी को एक पत्र जारी किया. इस पत्र में स्पष्ट किया गया था कि जबलपुर निवासी दानदाता संजय पटेल ने 22 अक्टूबर 2025 को माता रानी को दो किलोग्राम चांदी का छत्र, एक चांदी का मुकुट और एक सोने की नथ अर्पित की थी.
हालांकि, प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई कि यह बहुमूल्य दान मंदिर समिति के कोष में जमा नहीं हुआ है. समिति ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे न केवल श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हुई हैं, बल्कि मंदिर की गरिमा भी धूमिल हुई है. समिति ने प्रधान पुजारी से तत्काल जवाब मांगा और संतोषजनक उत्तर न मिलने पर वैधानिक कार्रवाई की बात कही.
राजनीतिक हलचल
इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी. पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी ने सीधे मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मंदिर प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने स्पष्ट कहा कि मंदिर में भक्तों के दिए गए सोने-चांदी के दान की चोरी हो रही है, जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच रही है. त्रिपाठी ने न केवल दोषी व्यक्तियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की, बल्कि भविष्य में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कई महत्त्वपूर्ण सुझाव भी दिए. उनके सुझावों में गर्भगृह में सभी दर्शनार्थियों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित करना, सभी दान और चढ़ावे की गणना व नीलामी सार्वजनिक रूप से करना और दान की वस्तुओं को गुम बताकर पिघलाने पर रोक लगाना शामिल है.
मंदिर पक्ष की सफाई
जैसे ही यह प्रशासनिक पत्र और पूर्व विधायक का बयान मीडिया में आया, मंदिर से जुड़े पक्षों ने अपनी सफाई पेश की. मंदिर के प्रधान पुजारी पवन पांडेय ने वायरल हो रहे पत्र को अनावश्यक बताते हुए दावा किया कि दान की वस्तुएं चोरी नहीं हुई थीं. उन्होंने कहा कि दानदाता की विशेष इच्छा थी कि आभूषण छठ पर्व तक मां के चरणों में ही रहें, जिसके चलते उन्हें रखा गया था. उन्होंने दावा किया कि चढ़ावा 28 अक्टूबर को ही मंदिर के कोषालय में जमा कर दिया गया था और प्रशासन की नोटिस मिलने पर इसका जवाब भी दे दिया गया था.
वहीं, मंदिर की प्रशासक दिव्या पटेल ने बताया कि समिति को शिकायत प्राप्त होने के बाद संबंधित कर्मचारियों को पत्र जारी किए गए थे और अब उनके जवाब प्राप्त हो चुके हैं. प्रशासक ने स्पष्ट किया कि जमा की तारीख और पत्र जारी होने की तारीख के विरोधाभास पर वे अभी कोई टिप्पणी नहीं करेंगी. उन्होंने कहा कि अब सभी उत्तरों और तथ्यों का गहन परीक्षण किया जाएगा, जिसके बाद ही इस मामले की सत्यता सामने आएगी और आगामी कार्रवाई की जाएगी.
फिलहाल, मंदिर प्रबंधन समिति इस संवेदनशील मामले की जांच में जुटी हुई है, जिसने लाखों भक्तों की आस्था और मंदिर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है.
वेंकटेश द्विवेदी