MP: बदजुबान मंत्री को FIR में 'श्री' लिखकर दिया गया सम्मान, अपराध का जिक्र तक नहीं; अब तक गिरफ्तारी से भी दूर

मध्य प्रदेश सरकार के बदजुबान मंत्री विजय शाह अभी भी कानून की गिरफ्त से दूर हैं. पुलिस भी मंत्री को सम्मान देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. हाईकोर्ट की फटकार के बाद केस दर्ज तो हुआ, लेकिन एफआईआर में आरोपी के नाम के आगे 'श्री' लगाकर बाकायदा सम्मान दिया गया.

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विजय शाह के खिलाफ FIR पर हाई कोर्ट ने जताया असंतोष. विजय शाह के खिलाफ FIR पर हाई कोर्ट ने जताया असंतोष.

aajtak.in

  • इंदौर,
  • 16 मई 2025,
  • अपडेटेड 12:43 PM IST

कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर अपमानजनक बयान देने वाले मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री विजय शाह का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. हाई कोर्ट के आदेश के बाद शाह के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज की गई, लेकिन करीब 36 घंटे बीतने के बाद भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. इतना ही नहीं, पुलिस ने एफआईआर में आरोपी विजय शाह के नाम के आगे दो बार 'श्री' लिखकर भरपूर सम्मान दिया. शायद इसी वजह से हाई कोर्ट ने कड़ा असंतोष जताया है. कोर्ट ने एफआईआर को कमजोर करार दिया.

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हाई कोर्ट की युगलपीठ में शामिल जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला ने गुरुवार को एफआईआर की कमियों पर सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा कि एफआईआर में अपराध का स्पष्ट और विस्तृत विवरण शामिल नहीं है, जिसके कारण यह निष्पक्ष जांच को प्रभावित कर सकती है. 

कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाए और एफआईआर में अपराधों का व्यापक विवरण शामिल किया जाए. जस्टिस श्रीधरन ने टिप्पणी की, "एफआईआर को इस तरह तैयार किया गया है कि इसे ऊपरी अदालत में चुनौती देकर रद्द कराया जा सकता है. इसमें अपराध के तथ्यों का जिक्र तक नहीं है."

दरअसल, विजय शाह ने इंदौर जिले के महू में 12 मई को एक कार्यक्रम के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर उन्हें 'आतंकवादियों की बहन' कहा था. इस बयान के बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 14 मई को पुलिस को चार घंटे के भीतर शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था. इसके अनुपालन में बुधवार रात 11:27 बजे इंदौर के मनपुर थाने में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाला कृत्य), 196(1)(बी) (समुदायों के बीच सद्भाव को प्रभावित करने वाला कृत्य) और 197(1)(सी) (सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने वाला बयान) के तहत एफआईआर दर्ज की गई.

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'क्या यह हाई कोर्ट की अवमानना नहीं?'

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इस मामले में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समानता का अधिकार देता है. किसी को विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता. लेकिन मध्य प्रदेश सरकार सेना का अपमान करने वाले मंत्री को 'श्री' कहकर संबोधित कर रही है. क्या यह हाई कोर्ट की अवमानना नहीं है? क्या सरकार विजय शाह को 'श्री' कहकर अपनी स्वामीभक्ति दिखा रही है? कानून सबके लिए समान है."

विजय शाह ने मांगी माफी 

उधर, विजय शाह ने अपने बयान पर कई बार माफी मांगी है और कहा कि वह कर्नल सोफिया कुरैशी का अपनी बहन से भी अधिक सम्मान करते हैं. हालांकि, कांग्रेस ने उनकी माफी को अपर्याप्त बताते हुए उनके इस्तीफे की मांग तेज कर दी है. कांग्रेस नेताओं ने गुरुवार को राजभवन के बाहर काले कपड़े पहनकर प्रदर्शन किया और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर शाह के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. 

पुलिस पर उठे सवाल, कोर्ट ही करेगा निगरानी 

उधर, हाई कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए जांच की निगरानी करने का फैसला किया है. कोर्ट ने कहा कि एफआईआर में जानबूझकर कमियां छोड़ी गई हैं, ताकि इसे भविष्य में रद्द कराया जा सके. इस बीच, शाह ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जहां शुक्रवार को सुनवाई होनी है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी फटकार लगाई और कहा कि एक मंत्री को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए. मंत्री पद की कुछ मर्यादा होती है. 

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बता दें कि यह मामला मध्य प्रदेश की सियासत में उबाल ला रहा है. बीजेपी के भीतर भी पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने शाह के बयान की निंदा की और मंत्री को बर्खास्त करने की मांग की है. दूसरी ओर, कांग्रेस ने इसे सेना और नारी शक्ति के अपमान का मुद्दा बनाकर राज्यव्यापी प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं. 

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