MP: सिर्फ 40 मिनट के लिए चादर-गद्दे 'बिजली की दुकान' से किराए पर उठाए, मंत्री के कार्यक्रम में ₹10 लाख कर दिए फुर्र

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि गद्दे और चादर बिजली की दुकान से किराए पर लिए गए. तो सवाल उठता है कि क्या अब बल्ब बेचने वाले भी बिस्तर किराए पर देने लगे हैं?

Advertisement
मंत्री के कार्यक्रम में अफसरों ने 10 लाख लुटाए. (PHOTO:ITG) मंत्री के कार्यक्रम में अफसरों ने 10 लाख लुटाए. (PHOTO:ITG)

विजय कुमार विश्वकर्मा

  • मऊगंज ,
  • 21 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 9:01 PM IST

मध्य प्रदेश के शहडोल में 'ड्राय फ्रूट' घोटाला उजागर हुआ तो अब मऊगंज में मंत्रीजी के कार्यक्रम में गद्दा और चादर के किराए पर 10 लाख रुपए खर्च हो गए. हैरान करने वाली बात है कि मंत्रीजी 'गंगा जल संवर्धन योजना' के तहत आयोजित कार्यक्रम में महज 40 मिनट के लिए शामिल हुए थे, जहां गद्दे और चादर की कोई जरूरत ही नहीं पड़ी. बावजूद इसके अफसरों ने बल्ब बेचने वाली दुकान से गद्दे और चादर किराए पर लेकर सरकारी खजाने को 10 लाख रुपए का चूना लगा दिया.

Advertisement

17 अप्रैल 25 को जिले के खैरा गांव में जल गंगा संवर्धन अभियान का कार्यक्रम आयोजित हुआ था. इस कार्यक्रम में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम शामिल हुए. कार्यक्रम महज 40 मिनट चला और जनपद पंचायत मऊगंज ने यहां 10 लाख रुपये खर्च कर दिए. यह राशि एक ही वेंडर प्रदीप इंटरप्राइजेज को दी गई है. 

किराना, मिठाई, टेंट, लाइट, नाश्ता सब कुछ एक ही दुकान से लिया गया. गद्दे 30 रुपये, चादर 35 रुपये प्रति यूनिट की दर से किराए पर ली गईं. वो भी बिजली बल्ब बेचने वाली दुकान से.

दरअसल, यह ऐसा खर्च है जिनका जमीन पर कोई नामोनिशान नहीं है. सबसे हैरान करने वाली बात कि गद्दे और चादर बिजली की दुकान से किराए पर लिए गए है. तो सवाल उठता है कि क्या अब बल्ब बेचने वाले बिस्तर किराए पर देने लगे हैं?

Advertisement

मामला तब उजागर हुआ जब लेखापाल ने सीईओ पर लिखित आरोप लगाया है कि रामकुशल मिश्रा ने जबरन उसकी डीएससी और मोबाइल छीनकर भ्रष्टाचार किया गया है.

जनपद अध्यक्ष ने बताया नीलम सिंह ने बताया कि मंच पर उन्हें जगह तक नहीं मिली थी. इस कार्यक्रम में लगभग 150 लोग मौजूद थे. मंच पर जनप्रतिनिधियों को बैठने तक की जगह नहीं थी और ना ही नाश्ता पानी का इंतजाम. फिर लाखों के चाय-नाश्ते के बिल कैसे बने. 

पंचायत दर्पण पोर्टल पर अपलोड नोटशीट कहती है कि 2.54 लाख की स्वीकृति दी गई थी. लेकिन निकाले गए 7.45 लाख से ज्यादा. वो भी बिना जनपद पंचायत की बैठक, बिना प्रस्ताव पारित हुए है. इस पूरे प्रकरण की निगरानी जिन अधिकारियों को करनी थी वो खुद विवादों में हैं.

मामला उजागर होने की बाद कलेक्टर संजय कुमार जैन ने जांच के आदेश दिए है. इनका कहना है कि सभी दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement