महाराष्ट्र में 10 साल के बच्चे की मौत, छोटी उम्र में क्यों बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामले... जानें लक्षण और बचाव

महाराष्ट्र में एक 10 साल के बच्चे को खेलते-खेलते हार्ट अटैक आया और कुछ ही पलों में उसकी मौत हो गई. आजकल के दौर में हार्ट अटैक और हार्ट डिसीस हर उम्र के लोगों को घेर रही हैं जिनसे सर्तक रहकर ही बचा जा सकता है.

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बच्चों में क्यों बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामले (Photo: AI generated) बच्चों में क्यों बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामले (Photo: AI generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:12 PM IST

महाराष्ट्र में कोल्हापुर जिले में एक दस साल के बच्चे की हार्ट अटैक से मौत की हो गई. बताया गया कि वो बच्चा घर के पास गणपति मंडल पंडाल में खेल रहा था. खेलते-खेलते उसे कुछ बेचैनी सी महसूस होने लगी. वो घर पहुंचकर अपनी मां की गोद में लेट गया. कुछ ही पलों में उसने मां की गोद में ही दम तोड़ दिया. 

सीके बिरला हॉस्पिटल्स वेबसाइट के अनुसार, हार्ट अटैक को लेकर आमतौर पर धारणा है कि इसका खतरा बुजुर्गों को ज्यादा होता है लेकिन पिछले कुछ समय से युवाओं और बच्चों में भी हार्ट अटैक की ऐसी कई खबरें सामने आईं हैं. बच्चों में हृदय संबंधी समस्याओं का अक्सर तब तक पता नहीं चलता जब तक बहुत देर न हो जाए. इस खबर में हम आपको बता रहे हैं कि बच्चों में हार्ट अटैक के क्या कारण हो सकते हैं, इसके लक्षण क्या हैं और ऐसी कंडीशन में मां-बाप को तुरंत क्या करना चाहिए क्योंकि जब बात आपके बच्चे के दिल की आती है तो हर पल मायने रखता है.

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बच्चों में दिल का दौरा क्यों पड़ता है?
वयस्कों में जहां दिल का दौरा धमनियों के बंद होने के कारण होता है. वहीं, बच्चों को कई औरर कारणों से दिल की समस्याएं होती हैं.

जन्मजात हृदय रोग (CHD कार्डियोवस्कुलर हार्ट डिसीस)

बच्चे के जन्म के समय मौजूद दिल की बीमारी. यह कंडीशन रक्त प्रवाह को प्रभावित करती है.

कावासाकी रोग

एक दुर्लभ बीमारी जो रक्त वाहिकाओं में सूजन पैदा करती है और हृदय को नुकसान पहुंचा सकती है.

दिल की धमनी में दिक्कत

जब धमनियां बहुत संकरी या गलत जगह पर स्थित होती हैं जिससे रक्त का हृदय तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है.

मायोकार्डिटिस 

एक वायरल संक्रमण जो हृदय की मांसपेशियों को कमजोर करता है.

खून के थक्के जमना

कुछ जेनेटिक्स कंडीशन के कारण शरीर में खून के थक्के बन सकते हैं जो ब्लड फ्लो को अवरुद्ध करते हैं.

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मोटापा और हाई कोलेस्ट्रॉल

खराब खानपान और फिजिकल एक्टिविटी की कमी दिल पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती है.

दवाओं का रिएक्शन

कुछ दवाएं गंभीर प्रकार की दिल की समस्याओं का कारण बन सकती हैं.

बच्चों में दिल के दौरे के लक्षण क्या हैं?
दिल का दौरा पड़ने पर बच्चे में बड़ों जैसे सामान्य लक्षण दिखाई नहीं दे सकते. माता-पिता को मेडिकल हेल्प लेने के लिए बच्चों में दिख रहे चेतावनी के संकेतों पर जरूर ध्यान देना चाहिए.

सीने में दर्द
सांस लेने में कठिनाई
थकान और चक्कर आना
त्वचा का पीला या नीला पड़ना
तेज या अनियमित दिल की धड़कन
ठंडा पसीना और मतली आना

बच्चों को दिल की समस्याओं से कैसे बचाया जा सकता है?
दिल से जुड़ी कुछ दिक्कतें अनुवांशिक होती हैं लेकिन जीवनशैली में बदलाव बच्चों में दिल की समस्याओं को रोकने में मदद कर सकते हैं.

बच्चों के खानपान में फल, सब्जियां और साबुत अनाज शामिल करें.
जंक फूड सीमित करें, चीनी, नमक और बाहर का प्रॉसेस्ड फूड ना दें 
बच्चों से रोजाना एक्सरसाइज कराएं. 
बच्चों में कोलेस्ट्रॉल और ब्लडप्रेशन की निगरानी करें
फ्लू, बुखार और वायरल संक्रमण का तुरंत इलाज कराएं
धूम्रपान के संपर्क में आने से बच्चे के दिल को नुकसान पहुंच सकता है.
अगर परिवार में दिल का रोग रहा है तो डॉक्टर से सलाह लें.

अगर आपके बच्चे में दिल की कोई भी समस्या दिखाई दे तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें. शुरुआती डॉग्नॉस से जान बच सकती है.

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इन संकेतों को ना करें नजरअंदाज

सीने में तेज दर्द या बेचैनी की शिकायत करे.
सांस लेने में तकलीफ हो या अचानक बेहोश हो जाए
होंठों या नाखूनों पर नीलापन आ जाए
दिल की धड़कन बहुत तेज या अनियमित हो
असामान्य थकान या चक्कर आए तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें

बच्चों में दिल का दौरा पड़ने पर तुरंत क्या करें
तुरंत आपातकालीन सेवाओं को कॉल करें.
बच्चे को शांत रखें और घबराएं नहीं.
बच्चे के बेहोश होने पर सीपीआर दें
डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा न दें.

बच्चों में दिल का दौरा दुर्लभ लेकिन गंभीर होता है. लक्षणों और कारणों को जानने से माता-पिता को तुरंत एक्शन लेने में मदद मिल सकती है. नियमित तौर पर जांच, संतुलित आहार और सक्रिय जीवनशैली आपके बच्चे के दिल को स्वस्थ रख सकती है. 

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