Running Shoes Vs Training Shoes: रनिंग शूज और ट्रेनिंग शूज में क्या है अंतर? जानें कंफर्टेबल जूते पहनना क्यों है जरूरी

Shoes Selection: रनिंग शूज को रनिंग करते समय पहना जाता है और ट्रेनिंग शूज को जिम में या अन्य जगहों पर स्टेबिलिटी के लिए पहना जाता है. रनिंग और ट्रेनिंग शूज में क्या अंतर है और इन्हें पहनना क्यों जरूरी है, इस बारे में डिटेल में जानेंगे.

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रनिंग शूज या ट्रेनिंग शूज रनिंग शूज या ट्रेनिंग शूज

मृदुल राजपूत

  • नई दिल्ली,
  • 16 मई 2025,
  • अपडेटेड 1:32 PM IST

Running Shoes Vs Training Shoes: आपके पैर आपके शरीर की नींव हैं और अक्सर लोग अपनी लोअर बॉडी के साथ-साथ पैरों की हेल्थ पर अधिक ध्यान नहीं देते जिसके कारण उन्हें समय के साथ कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. लोअर बॉडी के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक हैं, आपके द्वारा चुने गए जूते. दरअसल, आप जिस तरह के जूते पहनते हैं, उनका आपकी ओवरऑल हेल्थ पर लंबे समय तक प्रभाव पड़ सकता है.

जर्नल ऑफ फुट एंड एंकल रिसर्च में पब्लिश एक रिसर्च से पता चला है कि युवाओं और महिलाओं द्वारा ऐसे जूते पहनने की अधिक संभावना होती है जो जनरल मूवमेंट या लोअर बॉडी (जांघों से लेकर पैर की उंगलियों तक) की हेल्थ के लिए सही नहीं होते हैं जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस और खराब पोश्चर जैसी समस्याएं पैदा होती हैं. 

वहीं अगर जिम या किसी स्पोर्ट एक्टिविटी की बात की जाए तो लोग अक्सर कोई भी शूज पहन लेते हैं. ऐसा करने से उन्हें चोट लग सकती है. रनिंग के लिए या फिर जिम में वेट ट्रेनिंग के लिए खास मैकेनिज्म से जूते तैयार किए जाते हैं जो कि चोट से बचाते हैं. हालांकि कई लोगों को इन बारे में अधिक जानकारी नहीं होती लेकिन इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि रनिंग शूज और ट्रेनिंग शूज क्या होते हैं, दोनों में क्या अंतर है और इन्हें कब पहनना चाहिए.

सही जूते पहनना क्यों जरूरी हैं?

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यदि कोई सही तरह के जूते नहीं पहनता तो इससे पैरों का बैलेंस बिगड़ सकता है जिससे पैर, घुटने, कमर और यहां तक ​​कि आपके लोअर बैक-पीठ पर भी अतिरिक्त दबाव बन सकता है.

गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल के ऑर्थोपेडिक्स और फुट एंड एंकल के कंसल्टेंट डॉ. अनुज चावला का कहना है. 'एड़ी में अच्छा कुशन प्लांटर फैस्कीटिस जैसी समस्याओं को रोक सकता है जो एक सामान्य स्थिति है जिसके कारण एड़ी में दर्द और एड़ी से लेकर पैर की उंगलियों तक के टिश्यूज में सूजन का कारण बनती है. घिसे हुए जूते, विशेषकर यदि एक ओर से टेढे जूते आपके शरीर के अलाइनमेंट को प्रभावित करते हैं तथा घुटनों, कूल्हों और पीठ पर प्रभाव डाल सकते हैं.'

आइए अब गलत जूते पहनने के कारण पैरों में कौन-कौन सी समस्याएं हो सकती हैं, यह भी जान लीजिए.

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प्लांटर फेशिआइटिस (Plantar fasciitis)

प्लांटर फेसिआइटिस एक आम स्थिति है जिसमें एड़ी या पैर के आर्च में दर्द होता है. ऐसा तब होता है जब पैरों में प्लांटर फेसिया यानी टिश्यू का एक मोटा सा बैंड बन जाता है और उसमें सूजन आ जाती है.

बूनियन (Bunions)

यह एक हड्डीदार उभार जो बड़े पैर के अंगूठे के जोड़ पर विकसित होता है, जिसमें दर्द होता है.

कॉर्न्स और कॉलस (Corns and calluses)

कॉर्न्स और कॉलस में त्वाचा मोटी हो जाती है जो पैरों में गलत तरीके से बार-बार दबाव के कारण विकसित होते हैं. इनके कारण चलने फिरने या जूते पहनने में काफी परेशआनी होती है.

मॉर्टन न्यूरोमा (Morton's neuroma)

मॉर्टन न्यूरोमा एक ऐसी स्थिति है जिसमें पैर की चोट तक जाने वाली नस के आस-पास के टिश्यूज मोटे हो जाते हैं, जिससे दांतों के तलवे में तेज, जलन वाला दर्द होता है. यह अक्सर सबसे ऊंची एड़ी के जूते या नैरो टो बॉक्स वाले उपभोक्ताओं की पसंद के कारण होता है.

एथलेटिक्स शूज पहनना क्यों जरूरी हैं?

खास एक्टिविटी के दौरान बने खास एथलेटिक्स शूज से कंफर्ट और कुशनिंग में सुधार हो सकता है. स्पोर्ट एक्टिविटीज और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से टखनों और लोअर बैक पर बहुत अधिक दबाव आता है. उदाहरण के लिए, दौड़ने और कूदने पर इंसान के वजन से 3 से 5 गुना लोड पैरों पर पड़ता है. 

आपके जूतों का सिलेक्शन आपकी स्वास्थ्य और ओवरऑल हेल्थ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसलिए हमेशा सही और कंफर्टेबल जूते खरीदने की सलाह दी जाती है. आइए अब रनिंग शूज और ट्रेनिंग शूज के बारे में भी जान लीजिए.

रनिंग शूज (रनिंग शूज)

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दौड़ने से फिजिकल और मेंटल हेल्थ को काफी सारे फायदे मिलते हैं जिसमें एंग्जाइटी, डिप्रेशन, स्ट्रेस कम करना, फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाना शामिल हैं. लेकिन अगर आप दौड़ते समय सही जूते नहीं पहन रहे हैं तो आपके पैरों के जमीन से टकराने से आपके शरीर पर दबाव भी पड़ सकता है और चोट लग सकती है. 

रनिंग शूज शॉक एब्जॉर्ब करने और आगे की ओर बढ़ने में मदद के लिए डिजाइन किए गए हैं. ये हल्के भी होते हैं ताकि आप सड़क या ट्रैक पर तेजी से दौड़ सकें. इनमें ट्रेनिंग शूज की तुलना में अधिक मिडसोल कुशनिंग और आर्च सपोर्ट होता है, जो स्ट्रेस फ्रैक्चर जैसी चोटों से बचाने में मदद कर सकता है.

रनिंग शूज विशेष रूप से रनिंग के लिए ही डिजाइन किए जाते हैं इसलिए आपको दौड़ते समय उन्हें पहनना चाहिए. हालांकि यदि आप वेट ट्रेनिंग करने से पहले कुछ समय ट्रेडमिल पर वॉक करके वॉर्मअप कर रहे हैं तो आप ट्रेनिंग शूज भी पहन सकते हैं लेकिन उससे अधिक समय के लिए रनिंग शूज ही पहनना चाहिए.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि आर 1.6 किलोमीटर से कम दौड़ रहे हैं तो आप ट्रेनिंग शूज भी पहन सकते हैं. लेकिन यदि आप सड़क या ट्रेडमिल पर लंबी दूरी दौड़ रहे हैं तो हल्के वजन वाले रोड-रनिंग शूज ही खरीदें. यदि आप बाहर दौड़ रहे हैं तो आपको रनिंग शूज ही पहनना चाहिए.

रनिंग शूज की खासियत:

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कंफर्ट और फिटिंग: रनिंग शूज को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि वो घुटने पर पड़ने वाले दवाब को सह सकें. दौड़ने वाले जूतों में पैरों को ज़मीन से टकराने से बचाने के लिए अतिरिक्त सोल सपोर्ट होता है. दौड़ते समय रनिंग शूज आपको आगे की ओर आगे धकेलते हैं. रनिंग शूज में झटके को अवशोषित करने के लिए मोटी पैडिंग, सपोर्ट के लिए एक यूनीक आर्च और आपके पैरों को ठंडा रखने के लिए सांस लेने योग्य सामग्री होती है. वे आम तौर पर अन्य प्रकार के जूतों की तुलना में अधिक आर्च सपोर्ट और शॉक अवशोषण प्रदान करते हैं. रनिंग शूज चुनते समय, अपने पैर के प्रकार (जैसे, सपाट पैर, ऊंचे आर्च) पर विचार करें और तभी खरीदें.

कुशनिंग और रिस्पॉन्सिवनेस: मिडसोल कुशनिंग वाले जूते पहनें, खासकर अगर आप लंबी दूरी तक दौड़ रहे हैं. अधिक लचीले बेस के साथ तैयार किए गए हैं जो रनर को आगे धकेलने का कारण करते हैं. 

वजन: आप नहीं चाहेंगे कि आपके दौड़ने के जूते आपकी स्पीड को धीमा कर दें इसलिए हल्के वजन वाले जूते चुनें तथा जहां आपको सबसे अधिक आवश्यकता हो, वहां कुशनिंग से समझौता न करें.

सही हील-टो ड्रॉप: पारंपरिक रनिंग शूज में हील-टो ड्रॉप 10 मिमी या उससे अधिक का होता है जो एड़ी में अतिरिक्त कुशनिंग से आता है। यदि  आपकी एड़ी पर एक्स्ट्रा दवाब आता है तो आप इस कुशिंग वाले जूते पहलें. 

ट्रेनिंग शूज (Training Shoes)

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ट्रेनिंग शूज, प्लायोमेट्रिक मूव्स (स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग एक्सरसाइजेज) और वेट ट्रेनिंग के लिए तैयार किए जाते हैं. ट्रेनिंग शूज आम तौर पर नीचे से सपाट होते हैं, जिनमें एड़ी-पैर की अंगुली का निचला हिस्सा और भी अधिक लचीला होता है. इन्हें अधिक स्थिरता प्रदान करने के लिए भी डिजाइन किया गया है. उदाहरण के लिए, ट्रेनिंग शूज में वेट उठाते समय आपका लोड पूरे पैर पर वितरित होता है जिससे किसी एक एंगल पर लोड नहीं आता. इसलिए इनका यूज करना काफी सरुक्षित माना जाता है.

हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग, आउटडोर ट्रेनिंग बूटकैम्प, वेट ट्रेनिंग, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, प्लायोमेट्रिक एक्सरसाइज, बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, टेनिस, एरोबिक्स क्लास, क्रॉस फिट, ज़ुम्बा और डांस क्लास में ट्रेनिंग शूज का पहन सकते हैं.

ट्रेनिंग शूज की खासियत:

कंफर्ट और फिटिंग: ट्रेनिंग शूज लेते समय देखें कि आप अपने पैर की उंगलियों को हिला सकें, आपकी एड़ी फिसले नहीं और आपका पैर पीछे के ऊपरी हिस्से से बाहर न निकले.

आर्च सपोर्ट: अपने आर्च को सपोर्ट देने के लिए पर्याप्त कुशनिंग वाले जूते चुनें, जिससे मोच आने की संभावना कम हो जाएगी.

स्थिरता: जब आप एक ओर से दूसरी ओर जाएंगे तो चौड़े, मोटे आउटसोल आपके पैर को अपनी जगह पर बनाए रखेंगे.

मजबूत एड़ी समर्थन: वेट ट्रेनिंग के दौरान टखने को स्थिरता प्रदान करने के लिए मजबूत एड़ी वाले ट्रेनिंग शूज पहनना चाहिए. साथ ही जूतों को मटेरियल ऐसा चुनें तो थोड़ा हार्ड भी हो.

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हमेशा सही जगह पर सही तरह के जूते पहनें और सुरक्षित रहें.

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