दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जारी मामले में अब एक और मोड़ आ गया है. दिल्ली सरकार ने कोर्ट में एक अर्जी दायर की है. जिसमें दिल्ली सरकार ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कोयला से चलने वाले ताप बिजली घरों को दिल्ली में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया है.
अर्जी में कहा गया कि पड़ोसी राज्यों की सरकारों ने इनकी जगह गैस से चलने वाले बिजलीघर स्थापित करने की बात कही थी, लेकिन इस बारे में अब तक कुछ नहीं हुआ. इसके अलावा दिल्ली के आसपास सैकड़ों ईंट भट्ठे भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं. ये सभी राज्य पराली जलाने के अलावा प्रदूषण बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है. अब इस मामले पर जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की पीठ सुनवाई करेगी.
दिल्ली सरकार की गुहार है कि इस मामले में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पिछले आदेश पर रोक लगाते हुए केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि दिल्ली के आसपास स्थित इन दस कोयला आधारित ताप बिजली घरों में फ्यूल गैस डिफ्यूजर तकनीक स्थापित करें.
CPCB ने इन बिजलीघरों में तकनीक सुधार को लेकर समय सीमा बढ़ाई थी. अर्जी के मुताबिक पावर प्लांट्स रेगुलेटरी अथॉरिटी, राज्य और केंद्र सरकारों और उनके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड्स को सुप्रीम कोर्ट निर्देश दे कि रियल टाइम पर ऑनलाइन मॉनिटरिंग डाटा अपनी -अपनी वेबसाइट पर लगातार उपलब्ध कराएं.
संजय शर्मा