पानी नहीं, अब कीचड़ और अंधेरा सबसे बड़ी बाधा... धराली त्रासदी में रेस्क्यू एजेंसियों के सामने ये चुनौतियां

धराली में रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीमें अब प्राकृतिक आपदा से ज्यादा प्राकृतिक परिस्थितियों से जूझ रही हैं. हालात ऐसे हैं कि पानी का बहाव थम गया है, लेकिन पीछे छूटी है कई फीट तक गाद, स्लिट और मलबा, जिसने गांव के कई हिस्सों को पूरी तरह ढक दिया है. रेस्क्यू में सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी समेत कई एजेंसियां जुटी हैं.

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धराली में रेस्क्यू एजेंसियों के सामने अब कई चुनौतियां हैं (फोटो- मनजीत नेगी ITG/PTI) धराली में रेस्क्यू एजेंसियों के सामने अब कई चुनौतियां हैं (फोटो- मनजीत नेगी ITG/PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 11:28 PM IST

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने के बाद आई भयावह बाढ़ ने न केवल दर्जनों घर, होटल और बाजार का नामोनिशान मिटा दिया, बल्कि अब राहत और बचाव कार्य को भी कठिन बना दिया है. रेस्क्यू में सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी समेत कई एजेंसियां जुटी हैं.

रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीमें अब प्राकृतिक आपदा से ज्यादा प्राकृतिक परिस्थितियों से जूझ रही हैं. हालात ऐसे हैं कि पानी का बहाव थम गया है, लेकिन पीछे छूटी है कई फीट तक गाद, स्लिट और मलबा, जिसने गांव के कई हिस्सों को पूरी तरह ढक दिया है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए केंद्र से हर संभव मदद का भरोसा दिया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आंध्र प्रदेश का दौरा बीच में छोड़ तुरंत देहरादून लौटने का फैसला लिया है. लेकिन अब राहत दलों के सामने तेज बारिश, कीचड़, अंधेरा, टूटे रास्ते और टूटी संवाद-व्यवस्था से पार पाना सबसे बड़ी चुनौती है. इस भयावह आपदा में हर बीतता पल एक और जान को संकट में डाल सकता है.

रेस्क्यू में सामने आ रही बड़ी चुनौतियां-

1. कीचड़ और स्लिट बनी सबसे बड़ी रुकावट

तेज बहाव के बाद अब गांव में पानी कम हो गया है, लेकिन चारों ओर गाढ़ी कीचड़, गाद और भारी मलबा फैल गया है. बचाव दलों को किसी भी व्यक्ति तक पहुंचने से पहले कई फीट तक कीचड़ हटानी पड़ रही है. इससे राहत की रफ्तार बहुत धीमी हो गई है.

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2. खराब मौसम और लगातार बारिश

इलाके में अब भी रुक-रुककर बारिश जारी है, जिससे जमीन फिसलन भरी हो गई है और भूस्खलन का खतरा बना हुआ है. मौसम विभाग ने अगले दिन भी ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जिससे राहत कार्यों के और प्रभावित होने की आशंका है.

3. रात का अंधेरा और बिजली की कमी

त्रासदी के बाद गांव में बिजली पूरी तरह ठप है. रात का अंधेरा और घना बादल राहत कार्यों में बाधा बन रहे हैं. बचावकर्मियों को टॉर्च और सीमित संसाधनों के साथ काम करना पड़ रहा है, जिससे मलबे में फंसे लोगों तक पहुंचना और मुश्किल हो गया है.

4. पहाड़ी भूगोल और दुर्गम रास्ते

धराली जैसे पहाड़ी गांव में पहले से ही रास्ते संकरे और जोखिमभरे होते हैं. अब कई सड़कें टूट चुकी हैं, 163 से अधिक रास्ते बंद हैं, जिनमें 5 राष्ट्रीय राजमार्ग, 7 राज्य राजमार्ग और 2 बॉर्डर रोड्स शामिल हैं. इससे राहत टीमें समय पर प्रभावित गांव तक नहीं पहुंच पा रही हैं.

5. संपर्क साधन पूरी तरह टूटे

धराली और आसपास के गांवों से मोबाइल नेटवर्क ठप हो गया है. कमजोर कनेक्टिविटी के चलते लोगों से संपर्क नहीं हो पा रहा, जिससे सही जानकारी जुटाना और राहत भेजना बेहद मुश्किल हो गया है.

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6. हेलिकॉप्टर मदद भी रुकी

खराब मौसम और नजदीकी हेलिपैड को हुए नुकसान के कारण हवाई राहत ऑपरेशन भी शुरू नहीं हो सका है. AIIMS ऋषिकेश में बेड तैयार हैं, एंबुलेंस रवाना की गई हैं, लेकिन हवाई मार्ग से फंसे लोगों को निकालना संभव नहीं हो पा रहा.

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