उत्तराखंड पुलिस ने कांवड़ मेले की तैयारियों को लेकर कमर कस ली है. इस संबंध में आज बुधवार को देहरादून के पटेल भवन सभागार में डीजीपी दीपम सेठ की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित हुई. बैठक में राज्य भर से वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, यातायात, एसटीएफ, पीएसी, एसडीआरएफ और खुफिया इकाइयों के प्रतिनिधि मौजूद रहे.
डीजीपी दीपम सेठ ने कहा कि कांवड़ मेला एक विशाल धार्मिक आयोजन है और इसका शांतिपूर्ण और सुरक्षित संचालन पुलिस की सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन्होंने सुरक्षा, यातायात, निगरानी, जनसहयोग और अंतरराज्यीय समन्वय से जुड़े कई निर्देश जारी किए.
डीजीपी ने कहा कि संवेदनशील और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों की पहचान कर वहां पर्याप्त संख्या में अनुभवी पुलिसकर्मियों, महिला पुलिस और रिज़र्व बल की तैनाती की जाएगी. एटीएस, बम निरोधक दस्ता और खुफिया एजेंसियां भी महत्वपूर्ण स्थानों पर सक्रिय रहेंगी.
यातायात व्यवस्था के लिए मुख्य मार्गों, कांवड़ रूट्स और वैकल्पिक रास्तों का स्पष्ट ट्रैफिक प्लान तैयार कर सीमावर्ती राज्यों में उसका प्रचार किया जाएगा. भारी वाहनों को अन्य रास्तों से डायवर्ट किया जाएगा और पैदल व डाक कांवड़ियों के लिए अलग सुरक्षित रास्ते बनाए जाएंगे.
निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे, ड्रोन और बॉडी वॉर्न कैमरों से 24 घंटे नजर रखी जाएगी. कंट्रोल रूम में तैनात क्विक रिस्पॉन्स टीमें हर समय सतर्क रहेंगी. सोशल मीडिया पर अफवाहों और गलत जानकारियों पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी.
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पेयजल, मोबाइल टॉयलेट, रात्रि विश्राम स्थल, चिकित्सा सहायता और शिविरों की व्यवस्था की जाएगी. इन स्थानों पर ठहरने वालों का पुलिस सत्यापन अनिवार्य होगा. हरिद्वार के हरकी पैड़ी पर अत्यधिक भीड़ होने की स्थिति में अन्य घाटों को विकल्प के रूप में प्रचारित किया जाएगा. आमजन को समय-समय पर सुरक्षा और यातायात संबंधी जानकारी दी जाएगी.
सीमावर्ती जिलों और राज्यों के पुलिस अधिकारियों के साथ समन्वय बैठकें आयोजित की जाएंगी और इंटेलिजेंस इनपुट्स पर तत्काल कार्रवाई के लिए मानक प्रक्रिया (SOP) लागू की जाएगी. आपदा प्रबंधन टीमों को पहले से तैनात किया जाएगा और भीड़ वाले इलाकों में विशेष सुरक्षा योजना और पब्लिक एड्रेस सिस्टम की व्यवस्था की जाएगी. इसके अलावा, संवेदनशील क्षेत्रों में मांस, शराब और नशीले पदार्थों की बिक्री पर सख्ती से रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं.
श्रद्धालुओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करने और असामाजिक या सांप्रदायिक तत्वों पर कड़ी निगरानी रखने को कहा गया है. हालांकि डीजीपी के निर्देश निश्चित रूप से मजबूत और विस्तृत हैं, लेकिन हर साल की तरह इस बार भी असली चुनौती इन योजनाओं को ज़मीन पर उतारने की होगी. बीते आयोजनों में अव्यवस्था, ट्रैफिक जाम, और आपात स्थिति में देरी जैसी समस्याएं सामने आती रही हैं. ऐसे में कांवड़ मेला 2025 की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि योजनाएं कितनी प्रभावी ढंग से लागू हो पाती हैं.
अंकित शर्मा