सुप्रीम कोर्ट पीआइएल मैन अश्विनी उपाध्याय के बेटे ने भी ज्ञानवापी मामले में वाराणसी की जिला अदालत में अर्जी दाखिल की है. कानून के छात्र निखिल उपाध्याय ने हस्तक्षेप याचिका दायर कर कोर्ट से गुहार लगाई है की उनकी दलीलें भी सुनी जाएं. निखिल की दलील है कि उपासना स्थल कानून 1991 सिर्फ पर्सनल लॉ के सिद्धांतों पर या निजी तौर पर बनाए गए स्थलों पर ही लागू होता है.
उपासना स्थल कानून मंदिर के लिए बना है मस्जिद के लिए नहीं
याचिका के मुताबिक उपासना स्थल कानून मंदिर के लिए बना है मस्जिद के लिए नहीं. पूजा स्थल कानून की दलील मंदिर पक्ष अपनी तरफ से दे सकता है. मस्जिद पक्ष नहीं दे सकता. जहां तक कानून की बात है, कोई भी कानून कोर्ट का दरवाजा बंद नहीं कर सकता है. कोई भी कानून हो लेकिन ज्यूडिशियल रिव्यू नहीं रोक सकता है. यह कानून किसी भी नागरिक से राइट टू जस्टिस नहीं छीन सकता है.
याचिका में कई मांग
याचिका के मुताबिक अवैध तौर पर जबरन बनाए गए या परिणत की गए धार्मिक स्थलों के मामले में रेट्रोस्पेक्टिव कट ऑफ की मियाद लागू नहीं की जा सकती है. क्योंकि हिंदू मंदिरों के मामले में आक्रमणकारी लोगों ने यही किया है. लेकिन हमारे संविधान के अनुच्छेद 372 के मुताबिक मंदिर का चरित्र और स्थिति नहीं बदली जा सकती.
क्योंकि मुस्लिम मंदिर की जगह को मस्जिद कह कर अपना दावा नहीं कर सकते. क्योंकि वो मुस्लिम उसूलों के मुताबिक वैध रूप से नहीं बनाई गई है. ज्ञानवापी के मामले में तो औरंगजेब का फरमान सबसे बड़ा गवाह है कि मंदिर और जमीन न तो उसकी थी और न ही निरापद थी.
ज्ञानवापी परिसर में मीडिया को जाने की अनुमति की मांग
निखिल उपाध्याय ने कोर्ट से दो मांगें रखी हैं. पक्षकार बनाने के साथ ही दूसरी मांग ये है कि एक दिन के लिए ज्ञानवापी परिसर में सभी मीडिया को जाने दिया जाए. सभी न्यूज चैनल वहां जाएं और जनता को भी बताएं कि असलियत क्या है. इस हफ्ते की शुरुआत तक पांच याचिकाएं और दाखिल हुई. इनमें स्वयंभू ज्योतिर्लिंग आदि विश्वेश्वर के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी भी शामिल हैं.
रस्तोगी की दलील है कि सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 के तहत मेरिट के जिस बिंदु पर सुनवाई चल रही है, उसमें प्राचीन स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर को पक्षकार नहीं बनाया गया है. वह मुख्य देवता हैं और आवश्यक पक्षकार हैं. ऐसे में उनका पक्ष सुना जाना आवश्यक है. उनका पक्ष सुने बिना उनके हितों की रक्षा कैसे होगी?
ये याचिकाएं भी लगाई गईं
हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता, विश्व हिंदू सेना के प्रमुख अरुण पाठक, विश्व हिंदू महासमिति के प्रमुख अभिषेक शर्मा उर्फ करन, निर्मोही अखाड़ा और केंद्रीय ब्राह्मण महासभा की याचिकाएं भी शामिल है. सभी ने ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग की पूजा करने का अधिकार मांगा है. सभी की मांग है कि वे इस प्रकरण से अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं. इसलिए उन्हें मुकदमे में वादी या फिर बतौर पक्षकार शामिल किया जाए.
संजय शर्मा