यूपी: SP के दो सहयोगी दल अखिलेश के साइकिल चुनाव निशान पर लड़ेंगे इलेक्शन

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (SP) के दो सहयोगी दल सपा की साइकिल का निशान लेकर चुनाव लड़ेंगे. साइकिल निशान से उन्हीं उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाया जाएगा, मजबूत स्थिति में होंगे. इसके पीछे कारण माना जा रहा है कि साइकिल निशान की पहचान लोगों के बीच में है.

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अखिलेश यादव  (फाइल फोटो) अखिलेश यादव (फाइल फोटो)

कुमार अभिषेक

  • लखनऊ,
  • 06 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 5:06 PM IST
  • अपने इलाके में अपनी जातियों के बीच अच्छी पैठ मानी जाती है
  • साइकिल निशान के पीछे अखिलेश यादव का बड़ा सियासी दांव

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections) से पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने तमाम छोटे दलों के साथ गठबंधन कर रखा है, लेकिन अभी तक सीट शेयरिंग का फॉर्मूला सामने नहीं आ सका है. ऐसे में सपा के दो सहयोगी केशव देव मौर्य की महान दल और डॉ. संजय चौहान की जनवादी पार्टी ने सीट बंटवारे में अलग से सीट लेने के बजाय सपा (SP) के टिकट पर लड़ने का मन बनाया है. इसके पीछे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav)  का बड़ा सियासी दांव है. 

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सूत्रों की मानें तो महान दल और जनवादी पार्टी रजिस्टर्ड दल तो हैं, लेकिन इन्हें अभी तक पक्के तौर कोई चुनाव निशान फिक्स नहीं है. ऐसे में इनके सीट की डिमांड भले ही जितनी कर रहे हों, लेकिन सपा के साइकिल निशान पर लड़ना इनकी सियासी मजबूरी बन गई है. 

दरअसल, सपा के इन दोनों ही सहयोगी दलों की अपने अपने इलाके में अपनी जातियों के बीच अच्छी खासी पैठ मानी जाती है. पूर्वांचल में बनारस जौनपुर चंदौली मऊ ऐसे जिलों में चौहान (नोनिया) बिरादरी के वोट काफी हैं. जनवादी पार्टी के प्रमुख संजय चौहान की नोनिया बिरादरी के बीच अच्छी पैठ रखते हैं, लेकिन उनकी पार्टी की पहचान न के बराबर है.

सपा चुनाव निशान को पहचान की दिक्कत नहीं 

लोकसभा चुनाव में संजय चौहान समाजवादी पार्टी के टिकट पर चंदौली से चुनाव लड़ भी चुके हैं. ऐसे में आने वाले चुनाव में समाजवादी पार्टी इनके कुछ ऐसे उम्मीदवार जो जीतने का की हैसियत रखते हैं, उन्हें पार्टी साइकिल चुनाव चिह्न पर लड़ाएगी. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि सपा का चुनाव निशान को पहचान की दिक्कत नहीं है, जबकि जनवादी पार्टी अगर किसी दूसरे निशान पर लड़ेगी तो दिक्कत हो सकती है. 

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पूर्वांचल के 10 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्र में चौहान बिरादरी (नोनिया) निर्णायक भूमिका में है. संजय सिंह चौहान जातीय अस्मिता को मुद्दा बना रहे हैं. उनका दावा है कि मऊ जिले की सभी विधानसभा क्षेत्र में उनकी जाति के 50 हजार अधिक वोटर हैं, जबकि गाजीपुर के जखनियां में करीब 70 हजार वोटर हैं. इसी तरह बलिया, देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़, महराजगंज, चंदौली व बहराइच में भी बड़ी संख्या में उनकी बिरादरी है. पूरे प्रदेश में नोनिया आबादी 1.26 फीसदी है. 

केशव देव मौर्य के उम्मीदवार भी लड़ेंगे चुनाव

वहीं, महान दल के प्रमुख केशव देव मौर्य भी अपने उम्मीदवारों को समाजवादी पार्टी के चुनाव निशान पर लड़ाएंगे. यह बात केशव मौर्य आजतक से पहले भी कह चुके हैं. ऐसे में कहने के लिए ये दोनों ही दल कहने को भले ही यह सहयोगी दल हों, लेकिन यह एक तरीके से समाजवादी पार्टी का हिस्सा होंगे. दोनों पार्टियां इस बात के लिए तैयार हैं कि उनके दल को टिकट दिए जाएं, बेशक वह साइकिल चुनाव चिह्न् ही क्यों न हो.

महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य की नजर में कुशीनगर, मिर्जापुर, अंबेडकरनगर, जौलान, मुरादाबाद, लखीमपुर, बदायूं, बरेली, कासगंज, मैनपुरी में सियासी आधार पर है, फिर वह भले ही यूपी में अखिलेश यादव ने भले ही संजय चौहान की जनवादी पार्टी और केशव देव मोर्य के महान दल के साथ तालमेल बेहतर बना रखा हो और पूर्वांचल से लेकर रुहेलखंड में अपने को मजूबत मान रहे हों.

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