कानपुर के इत्र कारोबारी पीयूष जैन की जमानत पर फैसला कल (शनिवार) को आने की उम्मीद है. आज एसीएमएम कोर्ट में लगभग चार घंटे लम्बी बहस में अदालत ने दोनों पक्षी की दलील सुनी. पीयूष जैन ओर से चिन्मय पाठक ने अपनी तरफ से 182 पेज की जमानत अर्जी लगाई थी. जिसमे पीयूष जैन की 53 पेज की मेडिकल रिपोर्ट लगी है.
उनका कहना है हमने अदालत से कहा है कि चार्जशीट दाखिल करने बाद भी डीजीजीआई अभी तक हमारे क्लाइंट पर अपनी जीएसटी की देनदारी नहीं फ़ाइनल कर पाई है. हमने अदालत के सामने सारा पक्ष रख दिया है. अब अदालत का जो फैसला होगा हमें मान्य होगा. डीजीजीआई की तरफ से उनके वकील अम्ब्रीश जैन से जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी ने अभी तक घर से बरामद पैसों का स्रोत नहीं उजागर किया है. इसलिए जमानत न दी जाए. अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. जिस पर शनिवार को सम्भवतः अदालत का फ़ाइनल आदेश आएगा.
23 दिसंबर को मारा था छापा:
दरअसल, इत्र कारोबारी पीयूष जैन के यहां डीजीजीआई अहमदाबाद ने 23 दिसंबर को छापा डाला था. उसके कानपुर और कन्नौज के घर से डीजीजीआई ने 197 करोड़ बरामद किए थे. इन पैसों को डीजीजीआई ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) में जमा कराया था. ये पूरी रकम 95 बड़े-बड़े बक्सों में जमा कराई गई थी. डीजीजीआई के वकील अम्ब्रीश जैन का कहना है कि पीयूष जैन के घर से बरामद पैसे का हमने भारत सरकार के नाम से एफडी करा दी है, इस एफडी पर 3.3 प्रतिशत की दर से ब्याज मिल रहा है, जिसके अनुसार जमा रकम में प्रति घंटे के हिसाब से 7421 रुपये का ब्याज मिल रहा है लेकिन ये रकम केस प्रॉपर्टी मानी जायेगी.
यानी साफ़ है कि इत्र कारोबारी पीयूष जैन भले जेल में रहकर अपना धंधा नहीं कर पा रहा है, लेकिन उसके घर से बरामद पैसे लगातार बढ़ते जा रेह हैं. अब देखने वाली बात ये होगी अदालत जब तक इस रकम का मालिकाना हक़ तय करेगी तो 197 करोड़ पर मिल रहा यह ब्याज किसके हिस्से में जाएगा?
रंजय सिंह