Uttar Pradesh: वाराणसी के प्रतिकार यात्रा मामले में शंकराचार्य सहित 25 के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी

ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, सतुआ बाबा आश्रम के महंत संतोष दास, पातालपुरी मठ के महंत बालक दास सहित 25 लोगों को फरार घोषित करते हुए उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट भी जारी किया गया. साथ ही सभी की संपत्ति कुर्क करने के आदेश भी दिए गए हैं. सात साल पुराने मामले में कोर्ट ने यह फैसला लिया है.

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वाराणसी प्रतिकार यात्रा विवाद में 25 के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी (फोइल फोटो). वाराणसी प्रतिकार यात्रा विवाद में 25 के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी (फोइल फोटो).

रोशन जायसवाल

  • वाराणसी,
  • 22 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 11:53 PM IST

वाराणसी (Varanasi) में सात साल पहले हुए गणेश प्रतिमा विसर्जन बवाल और आगजनी मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. एमपी-एमएलए कोर्ट के जज सियाराम चौरसिया ने ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, सतुआ बाबा आश्रम के महंत संतोष दास, पातालपुरी मठ के महंत बालक दास सहित कुल 25 लोगों को फरार घोषित करते हुए उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट भी जारी कर दिया है.

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इतना ही नहीं इन सभी की संपत्ति कुर्की के आदेश भी कोर्ट ने दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने कहा कि पुलिस कार्रवाई की रिपोर्ट काशी जोन एडीसीपी को भी पेश की जाए.

दरअसल, 7 साल पहले गणेश प्रतिमा विसर्जन को लेकर पुलिस के सामने राजनीतिक दल, काशीवासी और संतों ने मोर्चा खोल दिया था. जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था. इसी लाठीचार्ज के खिलाफ 5 अक्टूबर 2015 को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, कांग्रेस नेता अजय राय की अगुवाई में प्रतिकार यात्रा निकाली गई थी. इस यात्रा में सैंकड़ों संत-महंत भी शामिल हुए थे. यात्रा वाराणसी के मैदागिन स्थित टाउनहाल मैदान से गोदौलिया तक निकाली गई थी.

प्रदर्शनकारियों ने लगाई थी वाहनों में आग (फाइल फोटो).

इस दौरान रास्ते भर पुलिस और प्रदर्शनकारियों में जमकर कहासुनी होती रही थी. जैसे ही यात्रा गोदौलिया चौराहे से दशाश्वमेध मार्ग की तरफ आगे बढ़ने की कोशिश में थी वैसे ही भीड़ में से किसी ने पुलिस पर पानी की बोतलें फेंकना शुरू कर दिया था.

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इस हरकत पर पुलिस ने सभी प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज किया था. इसके विरोध में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी भी की थी. पुलिस ने सख्त एक्शन लेते हुए प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ आंसू गैस के गोले, रबड़ बुलेट और हवाई फायरिंग का सहारा लिया था.

मीडियाकर्मियों की गाड़ियों को भी लगाई थी आग (फाइल फोटो).

प्रदर्शनकारियों ने लगा दी थी आग

इस विवाद के दौरान गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बूथ सहित कई सरकारी वाहनों के अलावा वहां मौजूद मीडियाकर्मियों के वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया था. इस दौरान तत्कालीन एडीएम, सिगरा थानाध्यक्ष, पीएसी जवान सहित कई मीडियाकर्मी घायल हुए थे. कई घंटों तक गोदौलिया चौराहे तनाव की स्थित बनी रही थी. 

लगाना पड़ा था कर्फ्यू 

काफी देर तक पर चले तांडव में अंत में हालात को काबू में करने के लिए शहर के कोतवाली, चौक, दशाश्वमेध, लक्सा और चेतगंज इलाकों में दो घंटों तक कर्फ्यू लगाया गया था. इस मामले में 25 लोगों को दशाश्वमेध थाने में आरोपी बनाकर मुकदमा लिखा गया था. इसमें मुख्य रूप से शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, सतुआ बाबा संतोष दास, पातालपुरी मठ के महंत बालक दास, पूर्व विधायक और मंत्री अजय राय का नाम शामिल था.

बाद में जब मामले की सुनवाई हुई तो अजय राय को छोड़कर कोई भी कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ. जिसपर कोर्ट ने शंकराचार्य समेत बाकी के सभी संतों-महंतों और अन्य को फरार घोषित करते हुए उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी कर उनकी संपत्तियों की कुर्की की भी आदेश दिया.

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