'नरक पुरी, बदबू विहार, घिनौना नगर...' आगरा के लोगों ने बदले कॉलोनियों के नाम, अफसरों ने हटवाए पोस्टर

उत्तर प्रदेश के आगरा में देवरेथा क्षेत्र में स्थानीय लोगों ने करीब छह कॉलोनियों के नाम बदलकर नरक पुरी, बदबू विहार, घिनौना नगर, कीचड़ नगर आदि रख दिए. दरअसल, लोगों ने इलाके का विकास न होने से नाराज होकर ऐसा कदम उठाया. जब अफसरों को पता चला तो टीम भेजकर पोस्टर फाड़ दिए गए.

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कॉलोनी में लगे पोस्टर, जिन्हें अफसरों ने फाड़ दिया. कॉलोनी में लगे पोस्टर, जिन्हें अफसरों ने फाड़ दिया.

सिराज कुरैशी

  • आगरा,
  • 11 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 9:25 PM IST

उत्तर प्रदेश के आगरा में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां के देवरेथा क्षेत्र में लगभग आधा दर्जन कॉलोनियों के लोगों ने अपनी कॉलोनियों का नाम बदलकर नरक पुरी, घिनौना नगर, कीचड़ नगर आदि रखने का फैसला किया और इसके बोर्ड लगवा दिए. 

जब प्रशासन को इस बात की जानकारी मिली, तो आगरा विकास प्राधिकरण के अधिकारी मौके पर पहुंच गए. इसके बाद वहां लगे इन पोस्टर को हटवाया गया. अधिकारियों ने लोगों को इस तरह के पोस्टर दोबारा न लगाने की हिदायत दी है.

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बता दें कि इस साल स्वच्छ भारत सर्वेक्षण में आगरा को उत्तर प्रदेश में छठवां सबसे स्वच्छ शहर का दर्जा मिला है. स्वच्छ भारत सर्वेक्षण में पेश किए गए आंकड़ों की असलियत को चुनौती देते हुए स्थानीय लोगों ने कॉलोनियों के नए नाम वाले पोस्टर लगा दिए थे. इन पोस्टरों को आज आगरा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने हटवा दिया.

क्षेत्र के विकास की मांग को लेकर प्रदर्शन करते लोग.

स्थानीय निवासी राजेंद्र सिंह ने कहा, "आगरा विकास प्राधिकरण की सचिव गरिमा सिंह और एडीए अधिकारियों की टीम पुलिस के साथ सोमवार सुबह क्षेत्र में पहुंची. कॉलोनियों के नए नाम वाले पोस्टरों को फाड़ना शुरू कर दिया."

ADA सचिव बोलीं- अगर विकास चाहते हो, तो देना होगा शुल्क

इस दौरान एडीए अधिकारियों ने लोगों को चेतावनी दी कि अगर ऐसे पोस्टर दोबारा लगाए, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. लोगों ने अधिकारियों को घेरकर उनसे सवाल किया कि उनके क्षेत्र का विकास क्यों नहीं हो रहा है? 

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इस पर एडीए सचिव गरिमा सिंह ने स्वीकार किया कि यह क्षेत्र एडीए के दायरे में है. अगर लोग विकास चाहते हैं, तो उन्हें इसके लिए विकास शुल्क देना होगा.

स्थानीय लोग बोले- 2008 में क्षेत्र के लिए पारित की गई थी सड़क

इस पर स्थानीय निवासी और हिंदुस्तान बिरादरी के उपाध्यक्ष विशाल शर्मा ने कहा, "इस क्षेत्र के लिए 2008 में सड़क पारित की गई थी. इसके निर्माण के लिए 2.5 करोड़ रुपए जारी किए गए थे, लेकिन ठेकेदार ने इसे अधूरा छोड़ दिया."

आगरा के लोगों ने बदले कॉलोनियों के नाम.

उन्होंने कहा, "पिछले 14 वर्षों से स्थानीय लोग सड़क और सीवर लाइन को पूरा करने की मांग को लेकर दर-दर भटक रहे हैं. मगर, न तो एडीए और न ही जनप्रतिनिधियों ने इस क्षेत्र के विकास पर ध्यान दिया. इस क्षेत्र में रहने वाले लगभग 20 हजार लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है."

विशाल वर्मा ने कहा, "जैसे ही कॉलोनी के निवासियों द्वारा कॉलोनियों के 'नामकरण' की खबर सामने आई, तो स्थानीय अधिकारी पुलिस के साथ मौके पर पहुंच गए. उन्होंने वहां लगे सभी पोस्टर फाड़ दिए, जबकि अधिकारी क्षेत्र में विकास कार्य कराने से साफ इनकार करते हैं."

'आमजन की आवाज को दबाए रखना चाहती है सरकार'

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एक अन्य स्थानीय निवासी प्रहलाद सिंह ने कहा, "इस घटना से स्पष्ट है कि 'न्यू इंडिया' में विरोध के लोकतांत्रिक तरीके से विरोध के लिए कोई जगह नहीं है. अगर ज्यादा विरोध करते तो बुलडोजर की कार्रवाई का भी डर है, क्योंकि पोस्टरों को हटाए जाने से यह बात स्पष्ट हो रही है."

उन्होंने कहा कि एडीए सचिव ने ADA द्वारा निर्मित 100 फीट चौड़ी सड़क के अस्तित्व को ही मानने से इनकार कर दिया, जहां अभी घुटने तक कीचड़ है. कहा गया कि एडीए ने इस क्षेत्र में कभी भी सड़क को मंजूरी नहीं दी थी. 

जब लोगों ने कहा कि 2008 में भीम नगरी कार्यक्रम के दौरान एडीए ने एक सड़क और अन्य सहायक विकास को मंजूरी दी थी, तो एडीए सचिव ने कहा कि इस तरह की मंजूरी का कोई रिकॉर्ड कभी जारी नहीं किया गया.

पिछले हफ्ते शुरू हुआ था लोगों का शांतिपूर्ण विरोध

बता दें कि यह पूरा विवाद पिछले हफ्ते शुरू हुआ, जब अवध पुरी, मान सरोवर, नवनीत नगर आदि के साथ ही देवरेठा क्षेत्र में आधा दर्जन कॉलोनी के लोगों ने कॉलोनियों के नाम बदलकर क्षेत्र के विकास के लिए शांतिपूर्ण विरोध शुरू कर दिया.

अवधपुरी में लगा 'नरक पुरी' का पोस्टर, यहां रहते हैं कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी 

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लोगों ने विरोधस्वरूप मोहल्लों में नरक पुरी, कीचड़ नगर, घिनौना नगर आदि लिखकर पोस्टर लगा दिए. यहां अवधपुरी के लोगों ने नरक पुरी लिखा पोस्टर लगा दिया. यहां अर्जुन पुरस्कार विजेता क्रिकेटर दीप्ति शर्मा, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर दीपक चाहर और राहुल चाहर भी रहते हैं. इसके अलावा कई अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी रहते हैं.

किसके आदेश पर फाड़े पोस्टर, नहीं है स्पष्ट

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि किसके आदेश पर एडीए अधिकारियों ने बदले हुए नामों के पोस्टर फाड़ने का फैसला किया. अफसरों के इस कदम से आगरा प्रशासन और जन प्रतिनिधियों के खिलाफ लोगों में आक्रोश बढ़ गया.

इस बार स्वच्छ भारत सर्वेक्षण में आगरा उत्तर प्रदेश में छठे स्थान पर था. कई लोगों का मानना ​​है कि अधिकारियों ने सर्वेक्षण रैंकिंग में हेरफेर किया है, यह सच्चाई नहीं है.

जनप्रतिनिधियों को लेकर लोगों में है नाराजगी

कॉलोनी में रहता है जलभराव.

लोगों ने भाजपा विधायक और सूबे की सरकार में कबीना मंत्री बेबी रानी मौर्य और भाजपा सांसद व भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर से अनदेखी करने की शिकायत है. महिलाओं का कहना है कि बेबी रानी मौर्य जब वोट मांगने आई थीं तो बड़े-बड़े वादे कर गई थीं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उन्होंने कभी कॉलोनी का रुख नहीं किया.

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क्रिकेटर राहुल चाहर ने बेच दिया है कॉलोनी का मकान

स्थानीय लोगों ने बताया कि गंदगी के कारण अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर राहुल चाहर ने तो अपना मकान तक बेच दिया है. दीपक चाहर कभी कॉलोनी में नहीं आते हैं. स्थानीय निवासी लता शर्मा ने कहा कि विधायक की न हमने शक्ल देखी है, न हम जानते हैं. बड़े-बड़े वादे करके गई थीं. कोई काम नहीं हुआ है. कॉलोनी का नाम नरक पुरी और बदबू बिहार रख दिया गया है.

जलभराव की वजह से आने-जाने में होती है परेशानी

कॉलोनी की समस्याएं बतातीं स्थानीय महिलाएं.

शशि शर्मा ने कहा कि जलभराव की समस्या है. घर तक स्कूल बस नहीं आ पाती है. बच्चों को स्कूल छोड़ने जाना पड़ता है. आने जाने में बहुत दिक्कत होती है. गुड्डी देवी ने कहा कि बच्चों के खेलने तक की जगह नहीं है. कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है.

प्रह्लाद सिंह ने कहा कि 14 महीने से हम संघर्ष कर रहे हैं. जिला पंचायत से सर्वे करवा दिया गया. एस्टीमेट भी बन गया. इस बार विधायक से मिल चुके हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ है. राहुल चाहर ने तो अपना मकान बेच दिया. कॉलोनी में आना कोई पसंद नहीं करता है.
 

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