कहते हैं इंसान की परीक्षा संकट के वक्त ही होती है. कोरोना की त्रासदी के बीच जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आने वाले हाथों की भी कमी नहीं है. मदद की ऐसी ही एक मिसाल कानपुर का एक परिवार पेश कर रहा है. कानपुर के रहने वाले 30 साल के गौरव चोपड़ा का इन दिनों एक नया ही रूटीन है. रूटीन है अपनी कार से होम आइसोलेशन में रह रहे कोविड-19 मरीजों तक दोनों वक्त का खाना पहुंचाना. ऐसे कई घर भी हैं, जहां सारे के सारे सदस्य कोविड-19 से संक्रमित हैं. गौरव अपनी जेब से पैसा खर्च कर जरूरतमंदों के घर खाना पहुंचा रहे हैं. इस काम में उनका पूरा परिवार जी-जान से जुटा है.
गौरव के घर से हर दिन 50 से 60 लोगों के घर खाना पहुंचाया जा रहा है. बड़ी बात ये है कि खाना किसी होटल या कैटरिंग सर्विस से नहीं मंगाया जाता. बल्कि गौरव के परिवार की महिलाएं खुद अपने हाथों से इसे तैयार करती हैं. ये भी ध्यान रखा जाता है कि मसालेदार खाने की जगह पौष्टिक खाना जरूरतमंदों तक पहुंचे जिससे उनकी इम्युनिटी बढ़ने में मदद मिले.
पेशे से कारोबारी गौरव की मां शालिनी बेटे के उठाए इस कदम से बहुत खुश हैं. उनका कहना है कि उनके परिवार को सेवा का यह मौका मिला है, इसलिए सभी सदस्य पूरे मन से खाना बनाने में जुटे हैं.
चोपड़ा परिवार को ऐसा करने की कैसे प्रेरणा मिली, ये गौरव की पत्नी नमिता ने साफ किया. नमिता ने आजतक को बताया कि उनके पास दिल्ली से किसी सहेली का फोन आया था कि कानपुर में रहने वाले उसके बुजुर्ग माता-पिता कोविड-19 से संक्रमित हैं और उन्हें सही से खाना नहीं मिल पा रहा. फोन करते वक्त वो सहेली बहुत भावुक थी और यही कह रही थी कि किसी तरह उसके माता-पिता तक घर का बना खाना पहुंच जाए. नमिता के मुताबिक यहीं से शुरुआत हुई और इसके बाद परिवार ने सोचा कि ऐसे और भी कोविड मरीजों वाले घर होंगे, जिन्हें खाना मिलने में दिक्कत हो रही होगी. बस फिर ये सिलसिला आगे बढ़ता गया. हमने सोशल मीडिया पर इस संबंध में मैसेज भी पोस्ट किया.
गौरव चोपड़ा के मुताबिक पहले दिन ही हमने 6 लोगों तक खाना पहुंचाया और अब हर दिन 50 लोगों को सुबह और शाम खाना पहुंचाया जा रहा है. गौरव के पिता नीरज चोपड़ा भी परिवार की इस मुहिम से बहुत खुश हैं.
खाने की पैकिंग का भी विशेष ध्यान रखा जाता है, जिससे वो अधिक से अधिक कॉन्टेक्टलेस रहें. गौरव चोपड़ा के घर से 70 साल के प्रेम शुक्ला के घर भी खाना पहुंच रहा है. शुक्ला गौरव को दिल से दुआएं देते हुए कहते हैं कि उनकी बहू कोरोनावायरस से संक्रमित है. इसकी वजह से घर में खाना नहीं बन पा रहा था. ऐसे में गौरव उनके लिए देवदूत से कम नहीं हैं. शुक्ला के मुताबिक उन्होंने गौरव को खाने के लिए पैसे देने चाहे तो उन्होंने लेने से इनकार कर दिया और कहा कि बस आपका आशीर्वाद ही सब कुछ है.
चोपड़ा परिवार के इस नेकी के काम के बारे में जानकर गौरव के कई दोस्त भी हाथ बंटाने के लिए आगे आ गए हैं. कोई खाने का कच्चा सामान तो कोई डिस्पोजेबल बर्तन देकर योगदान दे रहा है. बहरहाल चोपड़ा परिवार की रसोई ही कानपुर के कई जरूरतमंद घरों के लिए चूल्हा बनी हुई है.
आशुतोष मिश्रा