आजादी के सात दशक बीत गए. इतने दशक बाद भी देश के कई हिस्से बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. सरकारें दावे करती हैं, और समय-समय पर देश के विभिन्न इलाकों से आने वाली तस्वीरें हकीकत बयान कर दावों की पोल खोल देती हैं. स्वास्थ्य और शिक्षा की कौन कहे, लोगों को इन सबका आधार मानी जाने वाली सड़कें तक मयस्सर नहीं.
ऐसी ही दिल दहला देने वाली एक तस्वीर देश के दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश से आई है, जहां एक गर्भवती महिला को सड़क और स्ट्रेचर के अभाव में लकड़ी और चादर से स्ट्रेचर बना 6 किलोमीटर दूर अस्पताल ले जाया गया.
दिल दहला देने वाला यह मामला विशाखापत्तनम का है. जहां के कोठावलसा गांव के लोगों ने गर्भवती महिला को चादर में डालकर पैदल ही छह किलोमीटर दूर केजे पुरम अस्पताल पहुंचाया. जहां जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ बताए जाते हैं.
कीचड़-पानी करना पड़ा पार
आंध्र प्रदेश के तटीय शहर विशाखापत्तनम के कजई गांव के लोग आज भी सड़क आदि से वंचित हैं. अस्पताल तक पहुंचने के लिए भी खेतों के बीच से कच्चे रास्तों पर चलते हुए 6 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है. महिला की हालत बिगड़ती देख ग्रामीणों ने आनन-फानन में यह कदम उठाया.
बता दें कि पिछले माह ही उत्तर प्रदेश के शामली जिले में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था. जहां पंसारिया मोहल्ला निवासी बॉबी को एंबुलेन्स नहीं मिलने पर अपनी पत्नी को ठेले पर लेकर अस्पताल जाना पड़ा था. दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में भी एंबुलेन्स न मिलने पर परिजनों द्वारा ठेले से शव ले जाए जाने की घटना सामने आई थी.
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