उन्नाव रेप: CJI को क्यों नहीं मिला पीड़िता की मां का पत्र? होगी जांच

इस पूरे मामले की जांच सेक्रेटरी जनरल करेंगे, जिसकी निगरानी चीफ जस्टिस की ओर से नामित सीटिंग जज करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने पूरी जांच 7 दिनों में पूरी करने का आदेश दिया है.

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सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 4:00 PM IST

उन्नाव रेप मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने एक और अहम फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता की मां के पत्र को लेकर हुई चूक या लापरवाही के मामले में जांच के आदेश दिए. इस पूरे मामले की जांच रजिस्ट्री के सेक्रेटरी जनरल करेंगे, जिसकी निगरानी चीफ जस्टिस की ओर से नामित सीटिंग जज करेंगे. पूरी जांच 7 दिनों में पूरी कर लेने का आदेश दिया गया है.

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता से जुड़े पांच मामलों को दिल्ली ट्रांसफर किया और मामले में हर दिन सुनवाई के लिए एक विशेष जज नियुक्त किया. अदालत ने कहा है कि ट्रायल 45 दिनों के भीतर पूरी हो जानी चाहिए. साथ ही अदालत ने पीड़िता को 25 लाख रुपए की मुआवजा राशि देने को कहा है.

शीर्ष अदालत ने उस ट्रक-कार दुर्घटना को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से सात दिनों में जांच पूरी करने को कहा है, जिसकी वजह से पीड़िता और उसका वकील अस्पताल में अपने जीवन की लड़ाई लड़ रहे हैं और उसके दो रिशतेदारों की मौत हो चुकी है.

सुप्रीम कोर्ट ने रायबरेली स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कमांडमेंट को आदेश दिया है कि वह पीड़िता के परिवार को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करें, जिन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उसके आदमियों से खतरा है.

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