त्रिपुरा CM की रेस में बिप्लव देब आगे, लेकिन सहयोगी दल ने रखी बिल्कुल अलग मांग

बीजेपी के साथी दल IPFT ने राज्य में आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर दी है. ऐसे में जब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बि‍प्लब देब का सीएम बनना तय माना जा रहा है, यह भारी जीत हासिल कर चुके गठबंधन के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं.

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बीजेपी नेता बिप्लब देब हैं राज्य में सीएम के प्रबल दावेदार बीजेपी नेता बिप्लब देब हैं राज्य में सीएम के प्रबल दावेदार

दिनेश अग्रहरि

  • कोलकाता,
  • 05 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 9:38 AM IST

त्रिपुरा में भारी जीत का जश्न मना रही बीजेपी के लिए नतीजे आने के 24 घंटे बाद ही एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है. असल में गठबंधन के उसके साथी दल IPFT ने राज्य में आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर दी है. ऐसे में जब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बि‍प्लब देब का सीएम बनना तय माना जा रहा है, यह भारी जीत हासिल कर चुके गठबंधन के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं.

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इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, बिप्लब देब रविवार को अगरतला के अपने विधानसभा क्षेत्र बनमालीपुर में पत्नी और हजारों समर्थकों के साथ एक विजय जुलूस लेकर निकले थे. इसी बीच इंडिजिनस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) के अध्यक्ष एन.सी. देबबर्मा ने प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य में आदिवासी सीएम बनाने की मांग कर दी. उनके इस बैठक के बारे में बीजेपी नेताओं को कोई जानकारी नहीं थी.

आदिवासी वोटों से ही मिला बहुमत!

देबबर्मा ने कहा, 'चुनाव के नतीजों में बीजेपी और आईपीएफटी गठबंधन को भारी बहुमत मिला है. लेकिन यह आदिवासी वोटों के बिना संभव नहीं हो पाता. हम आरक्ष‍ित एसटी विधानसभा क्षेत्रों में जीत की वजह से ही यह चुनाव जीत पाए हैं. आदिवासी वोटों की भावना को ध्यान में रखते हुए, यह उचित होगा कि सदन का मुखिया एसटी क्षेत्र के ही किसी विधायक को बनाया जाए. स्वाभाविक है कि जो विधानसभा का लीडर होगा, वही मुख्यमंत्री होगा.'

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बिप्लब देब के बारे में पूछे जाने पर आईपीएफटी के नेता ने कहा, 'मैं बिप्लब देब के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.' किस नेता को सीएम बनाया जाए इस सवाल पर देबबर्मा ने कहा कि इसके बारे में चर्चा के बाद ही कुछ तय किया जा सकता है.

बीजेपी के त्रिपुरा प्रभारी सुनील देवधर ने कहा कि उन्हें देबबर्मा के बयान की जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा, 'उन्होंने अपना विचार दिया है. हम सोमवार सुबह को आईपीएफटी नेताओं से मिलेंगे और इसके बाद ही इस पर कुछ विचार किया जा सकता है.'

क्या है समीकरण

त्रिपुरा में बीजेपी और इंडिजिनस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) गठबंधन को 59 सीटों में से 43 सीटों पर जीत मिली. बीजेपी की झोली में 35 सीटें आईं जबकि आईपीएफटी आठ सीटों पर कब्जा जमाने में कामयाब रही. इस गठबंधन ने प्रदेश की सभी सुरक्षित 20 जनजातीय विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की है.

त्रिपुरा में बीजेपी को 2013 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 1.5 फीसदी वोट मिले थे और 50 में 49 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. जबकि इस विधानसभा चुनाव में भाजपा को 43 फीसदी वोट मिले हैं.

जल्द खत्म होगा हनीमून!

सीपीएम और कांग्रेस नेताओं ने कहा कि उन्हें इस बात पर कोई आश्चर्य नहीं है. आदिवासी नेता और सीपीएम सांसद जितेंद्र चौधुरी ने कहा, 'बीजेपी और आईपीएफटी का यह हनीमून ज्यादा दिन तक नहीं टिकेगा. जब आप अलगाववादी समूह के साथ तात्कालिक चुनावी फायदों के लिए गठबंधन बनाएंगे तो ऐसा ही होगा.'

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