एक अनार सौ बीमार. इन दिनों यह कहावत छत्तीसगढ़ बीजेपी पर लागू हो रही है. छत्तीसगढ़ से राज्य सभा की एक सीट के लिए बीजेपी के 25 नेता दौड़ में हैं. नेताओं की इस सूची को देखते हुए पार्टी ने अंतिम फैसले की जिम्मेदारी केंद्रीय नेतृत्व के हवाले कर दी है.
राज्य सभा में जाने के लिए बीजेपी के भीतर घमासान मचा हुआ है. अनुसूचित जाति समुदाय में गहरी पैठ रखने वाले भूषण लाल जांगड़े का कार्यकाल इसी माह खत्म हो रहा है. लिहाजा संसद में प्रवेश करने के लिए बीजेपी के कई नेताओं ने कमर कस ली है.
राज्यसभा में दाखिल होने के लिए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के अलावा संगठन के कई पदाधिकारियों, पूर्व विधायकों , पूर्व सांसदों और मंत्रियों के अलावा कुछ धर्मगुरु भी शामिल हैं. ये धर्म गुरु अपने समुदाय के वोट बैंक को बीजेपी के खाते डलवाने का हवाला देकर अपना नाम पैनल में शामिल कराने में कामयाब हो गए हैं.
राज्य सभा में जाने के इच्छुक बीजेपी नेताओं की फेहरिस्त इतनी लंबी हो गई है कि मुख्यमंत्री रमन सिंह और केंद्रीय संगठन के पदाधिकारियों को काफी माथापच्ची करनी पड़ रही है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कटाई-छंटाई के बावजूद 25 नेताओं की सूची तैयार हुई है. पहली बार 25 नेताओं के नाम का पैनल दिल्ली भेजा गया. लंबी सूची देखते हुए छत्तीसगढ़ बीजेपी ने यह जिम्मेदारी केंद्रीय नेतृत्व के माथे पर डाल दी है.
छत्तीसगढ़ की राज्य सभा की पांच सीटों में से तीन बीजेपी के खाते में हैं जबकि दो पर कांग्रेस का कब्जा है. बीजेपी नेता राम विचार नेताम अनुसचित जनजाति वर्ग और रणविजय सिंह जूदेव सामान्य वर्ग से अभी राज्य सभा सदस्य हैं जबकि भूषण लाल जांगड़े को अनुसूचित जाति वर्ग से राज्य सभा में भेजा गया था.
ऐसे में उनकी खाली हो रही सीट से इसी वर्ग के उम्मीदवार के तय किए जाने की संभावना ज्यादा दिखाई दे रही है. फिर भी दूसरे वर्ग के तमाम नेताओं को भरोसा है कि इस बार उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाएगा.
छत्तीसगढ़ में जातीय संतुलन साधने के लिए राज्य सभा के उम्मीदवारों का चयन किया जाता है, न कि उम्मीदवार की योग्यता परखी जाती है. यह एक परंपरा सी बन गई है. हालांकि पैनल में नाम शामिल नहीं किए जाने से नाराज कई नेता अपनी आवाज यह कहकर बुलंद कर रहे हैं कि पार्टी आलाकमान को जाति और धर्म से ऊपर उठकर फैसला लेना चाहिए.
वरुण शैलेश / सुनील नामदेव