जॉर्ज फर्नांडिस ने खाई थी कुंआरा रहने की कसम, शादी के फैसले से नाराज था बैचलर क्लब

जुलाई 1971 में जॉर्ज फर्नांडिस ने लैला कबीर से शादी की थी. जनवरी 1974 में दोनों की जिंदगी में बेटा शॉन आया. लैला कबीर के मुताबिक जॉर्ज अपने छोटे से बेटे को बहुत प्यार करते थे.

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अपनी पत्नी लैला कबीर के साथ जॉर्ज फर्नांडीज (फोटो साभार: georgefernandes.org) अपनी पत्नी लैला कबीर के साथ जॉर्ज फर्नांडीज (फोटो साभार: georgefernandes.org)

स्वप्निल सारस्वत

  • नई दिल्ली,
  • 30 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 1:47 PM IST

देश के पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस का 88 साल की उम्र में निधन हो गया. जॉज फर्नांडिस ने साल 1967 से 2004 तक 9 लोकसभा चुनाव जीते और इस दौरान उन्होंने कई बड़े मंत्रालय भी संभाले, जिसमें रक्षामंत्री, कम्यूनिकेशन, इंडस्ट्री और रेलवे मंत्रालय का नाम शामिल है.

जॉर्ज फर्नांडिस की शादी लैला कबीर से हुई थी. लीला के पिता हुंमायू कबीर नेहरू कैबिनेट में मंत्री थे. मुंबई में 1967 के लोकसभा चुनाव में एसके पाटिल जैसे कद्दावर नेता को हराकर जॉर्ज फर्नांडिस राष्ट्रीय राजनीति में उभर कर आ गए थे. उन्हें जॉर्ज दे ज्वाइंट किलर के नाम से जाना गया. उस समय 37 साल के जॉर्ज को देश के मोस्ट एलिजिबल बैचलर्स में गिना जाता था., पर जिंदगी भर बैचलर रहने की कसम खाने वाला ‘बैचलर्स इलेवन’ ग्रुप जब नाराज हो गया जब जॉर्ज फर्नांडिस ने लैला कबीर से अपनी इंगेजमेंट का ऐलान किया.

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(फोटो साभार: georgefernandes.org)

‘बैचलर्स इलेवन’ को डर था शादी के बाद जॉर्ज भी घरेलू किस्म के इंसान बन जाएंगे और उनमें समाज, दुनिया को बदलने की वो आग खत्म हो जाएगी लेकिन शादी के बाद भी जॉर्ज में कुछ नहीं बदला. 1974 की रेलवे हड़ताल और 1977 में आपातकाल में जॉर्ज फर्नांडिस देश भर में हीरो बनकर उभरे. जॉर्ज और लैला बहुत ही अलग तरह के बैकग्राउंड से आते थे.

लैला के पिता पंडित नेहरू की कैबिनेट में मंत्री थे जबकि फर्नांडिस गरीब मजदूरों के बीच रहने वाले इंसान. दोनों में एक चीज समान थी, वो थी गरीबों का दुख दर्द समझना. लीला ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की पढ़ी हुई थीं लेकिन सेवा के लिए उन्होंने 150 रुपये महीने की नर्स की नौकरी की. सुरेश वैद्य और उनकी पत्नी ने 1968 में लैला और जॉर्ज के बीच मैचमैकिंग की कोशिश की लेकिन सारी कोशिशें फेल हो गईं. अगले चार साल तक डॉ. राम मनोहर लोहिया के घर पर ही दोनों की कभी-कभी मुलाकात हो जाती थी.

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साल 1971 के अप्रैल महीने में कोलकाता से दिल्ली आ रही फ्लाइट में दोनों ने शादी का फैसला किया और जुलाई 1971 में दोनों की शादी हुई. जनवरी 1974 में दोनों की जिंदगी में बेटा शॉन आया. georgefernandes.org में लैला कबीर लिखती हैं कि जॉर्ज अपने छोटे से बेटे को बहुत प्यार करते थे. रेलवे हड़ताल से दो दिन पहले ही जॉर्ज को अरेस्ट कर लिया गया. जॉर्ज को तिहाड़ जेल में रखा गया था. बेटे को गोदी में लिए ही लैला कबीर जॉर्ज से मिलने तिहाड़ जाती थीं और वकीलों के चक्कर काटती थीं. 26 जून 1975 को देश में आपातकाल थोपे जाने के बाद फर्नांडिस फिर अपने 17 महीने के बेटे से अगले 22 महीनों के लिए दूर हो गए.

(फोटो साभार: georgefernandes.org)

एक लेख में उनकी पत्नी लिखती हैं कि फर्नांडिस 95 फीसदी सारा वक्त लोगों के लिए ही था. 1977 में फर्नांडिस जनता सरकार में इंडस्ट्री मिनिस्टर बने. पत्नी के साथ उनका समय बिताना कम होता गया. जॉर्ज के दिलो-दिमाग में सोते-जागते सिर्फ गरीब और मजदूरों के लिए लड़ने का जज्बा रहता था. मंत्री बनने के बाद जॉर्ज की भारी व्यस्तता के चलते लैला से मिलना नाम-मात्र का ही रह गया था. आखिरकार एक दिन लीला कबीर ने खुद ही उनसे कहा कि क्यों न वो अलग ही रहें ताकि जॉर्ज को पूरी फ्रीडम मिल सके. शुरुआत में जॉर्ज इसके लिए राजी नहीं थे लेकिन बाद में वो तैयार हो गए. ये फैसला दोनों के लिए दुखद था. पर जॉर्ज कहीं भी हों, अपने बेटे के जन्मदिन में शामिल होने हमेशा पहुंचते थे.

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बेटे की एमबीए ग्रेजुएशन सेरेमनी के लिए वो शिकागो भी गए थे. वर्ष 2002 में जापान में हुई बेटे की शादी में भी शरीक हुए. वर्ष 2009 में अपने पोते को देखकर भी वो काफी खुश हुए थे. इसके बाद उनकी याददाश्त जाती रही. 2010 में लैला करीब 25 साल दूर रहने के बाद जॉर्ज की जिंदगी में दोबारा लौट आईं और उन्होंने कोर्ट के आदेश के जरिए जया के मिलने को केवल 15 दिन में एक बार सीमित कर दिया.

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