संसद पर हमले के आरोप से बरी गिलानी का निधन, जिम में पड़ा दिल का दौरा

दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर एसएआर गिलानी का निधन हो गया है. संसद हमले के मामले में गिलानी पर गंभीर आरोप लगे थे.

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संसद आतंकी हमले में आरोपी थे एसएआर गिलानी संसद आतंकी हमले में आरोपी थे एसएआर गिलानी

चिराग गोठी

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  • 24 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 12:14 AM IST

  • कार्डियक अरेस्‍ट के कारण प्रोफेसर एसएआर गिलानी का निधन
  • DU के जाकिर हुसैन कॉलेज में अरबी भाषा पढ़ाते थे गिलानी

संसद हमले के मामले के आरोपी दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर एसएआर गिलानी का निधन हो गया है. गिलानी के परिवार के मुताबिक, गुरुवार शाम को उन्होंने आखिरी सांस ली. गिलानी के परिवार ने बताया कि कार्डियक अरेस्‍ट के कारण उनकी मौत हुई. गिलानी दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज में अरबी भाषा पढ़ाते थे. गिलानी के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटियां हैं.

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मेट्रो जिम में थे गिलानी

बताया जा रहा है कि शाम करीब 5:30 बजे दिल्‍ली के नेहरू प्लेस मेट्रो स्‍टेशन स्थित जिम में चेस्ट पेन की शिकायत हुई. इसके बाद जीके के फोर्टिस हॉस्पिटल ले जाया गया जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. फिलहाल, दिल्ली मेट्रो पुलिस पूरे मामले की तहकीकात कर रही है. पुलिस इस मामले में पोस्टमार्टम कराना चाहती है लेकिन गिलानी का परिवार इसके लिए तैयार नहीं है.

संसद आतंकी हमले में लगे गंभीर आरोप

प्रोफेसर एसएआर गिलानी को 13 दिसंबर, 2001 को भारतीय संसद आतंकी हमले में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया. इसके बाद उन्होंने जाकिर हुसैन कॉलेज को भी अलविदा कह दिया था.

इसके अलावा साल 2016 में राष्ट्र विरोधी नारेबाजी की वजह से भी गिलानी की गिरफ्तारी हुई थी. गिलानी पर आरोप था कि उन्होंने 10 फरवरी 2016 को अफजल गुरु की बरसी के मौके पर प्रेस क्लब में एक कार्यक्रम आयोजित किया था और वहां देश-विरोधी नारे लगाए गए थे.

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नारे लगाने वालों में कथित रूप से गिलानी भी शामिल थे. पुलिस ने उनके खिलाफ आईपीसी की धाराओं 124A(राजद्रोह), 120B(आपराधिक साजिश), 149(गैर-कानूनी रूप से जमा होने) और 34 के तहत केस दर्ज किया गया था. बता दें कि फरवरी 2004 को गिलानी पर जानलेवा हमला भी हुआ था. दरअसल, गिलानी की वकील नंदिता हकसर के घर के सामने एक अज्ञात हमलावर ने उन्हें पांच गोलियां मारीं.इस हमले में गिलानी बाल-बाल बचे थे. इस हमले के बाद लंबे समय तक प्रोफेसर गिलानी को कड़ी सुरक्षा भी मुहैया कराई गई थी.

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