नोटबंदी पर बोली कांग्रेस- तुगलकी फरमान के लिए देश से माफी मांगें PM मोदी

मोदी सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद करने का ऐलान किया था. 8 नवंबर की रात से ये पुराने नोट बंद हो गए थे. नोटबंदी के बाद से ही लगातार आरबीआई नोटों की गिनती करने में लगी हुई थी.

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कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी

विवेक पाठक

  • नई दिल्ली,
  • 29 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 10:35 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ नोटबंदी के बाद जमा हुए नोटों का आधिकारिक आंकड़ा सामने आने के बाद, कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है. कांग्रेस ने नोटबंदी तुगलकी फरमान करार देते हुए कहा है कि पीएम मोदी को इस फैसले के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए.

कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि, नोटबंदी के समय प्रधानमंत्री ने तीन मकसद गिनाए थे. पहला यह कि आतंकवाद पर चोट लगेगी, दूसरा यह कि जाली नोट पर अंकुश लगेगा और तीसरा यह कि कालाधन वापस आएगा. सवाल यह है कि इस तुगलकी फरमान का क्या नतीजा निकला?

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तिवारी ने दावा किया कि, नोटबंदी की वजह से जीडीपी को 1.5 फीसदी का नुकसान हुआ. इस हिसाब से एक साल में 2.25 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी. इसके अलावा कतारों में खड़े होने की वजह से 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और लाखों लोग बेरोजगार हो गए.  

तिवारी ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री में रत्ती भर भी नैतिकता होती तो वह इस्तीफा दे देते, लेकिन उनसे इसकी उम्मीद नहीं की जाती. कांग्रेस ने नोटबंदी को तुगलकी फरमान बताते हुए कहा कि पीएम मोदी को इसकी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए देश से माफी मांगनी चाहिए.

गृहमंत्री पी चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए सवाल किया कि याद करिए कि किसने कहा था कि तीन लाख करोड़ रुपये वापस नहीं आएंगे और यह सरकार के लिए लाभ होगा?

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रिजर्व बैंक की ओर से जारी ताजा आंकड़े के अनुसार नवंबर, 2016 में नोटबंदी लागू होने के बाद बंद किए गए 500 और 1000 रुपये के नोटों का 99.3 प्रतिशत बैंको के पास वापस आ गया है.

नोटबंदी के समय मूल्य के हिसाब से 500 और 1,000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे. इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं. जिसका मतलब है कि बंद नोटों में सिर्फ 10,720 करोड़ रुपये ही बैंकों के पास वापस नहीं आए हैं.

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