अफगानिस्तान में तालिबान प्रमुख शहरों पर कब्जा करता जा रहा है. हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि गहराते सुरक्षा संकट के मद्देनजर भारत ने मजार-ए-शरीफ स्थित दूतावास से सभी भारतीय राजनयिकों और कर्मचारियों को निकालने का फैसला किया है. सरकार जल्द से जल्द अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से वापस लेकर आएगी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि है कि हम अफगानिस्तान में बिगड़ती स्थिति और वहां रह रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा का ध्यान रख रहे हैं. हालात बिगड़ते ही हम अपने नागिरकों को वहां से बाहर निकलेंगे.
अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती ताकत भारतीय प्रशासन के लिए चिंता का सबब बना हुआ है. एक तरफ तालिबान और अफगानिस्तान सरकार वर्चस्व की लड़ाई लड़ रही है, वहीं दूसरी तरफ दोहा में अफगानिस्तान-तालिबान बातचीत की रूपरेखा बन रही है.
तालिबान का हमला तेज, 2 दिन में अफगानिस्तान की 5 प्रांतीय राजधानियों पर किया कब्जा
कंधार से भी निकाले जा चुके हैं कर्मचारी
इससे पहले जुलाई में, भारत सरकार ने कंधार में भारतीय दूतावास में तैनात लगभग पचास भारतीय राजनयिकों और सुरक्षा अधिकारियों को वहां से निकाला था, जब तालिबान इस शहर में अपनी दस्तक दे रहा था. तब 50 भारतीयों को भारतीय वायु सेना के विमान से नई दिल्ली भेजा गया था. स्थानीय कर्मचारी अभी भी मिशन का हिस्सा हैं. लेकिन, सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए दूतावास अस्थायी रूप से बंद है. इसी तरह मजार-ए-शरीफ में स्थानीय कर्मचारियों की तैनाती जारी रहेगी.
अफगानिस्तान-तालिबान में भीषण संघर्ष
भले ही दूतावासों के आस पास सुरक्षा के इंतजाम बेहद पुख्ता हैं लेकिन सरकार किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती है. ऐसे में भारतीय एजेंसियों की यही कोशिश है कि जल्द से जल्द अपने नागरिकों को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचा दिया जाए. पाकिस्तान स्थित हजारों आतंकवादी समूह, लश्कर-ए-तैयबा के साथ तालिबानी आतंकियों के साथ जुड़ गए हैं. ऐसे में अफगानिस्तान में भीषण संघर्ष देखा जा रहा है. इसलिए भारत अपने नागरिकों को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है.
गीता मोहन